प्रेमनगर क्षेत्र के विकास की मांग को लेकर रेल मंत्री को भेजा जाएगा ज्ञापन
नवीन कोच फैक्ट्री के निर्माण से पेड़ों के काटने से हुआ पर्यावरण को बड़ा नुकसान
झाँसी : प्रेमनगर नगरा में महानगर की लगभग एक तिहाई आबादी निवास करती है। यह क्षेत्र तीनों ओर से रेलवे से घिरा है। इसके चलते इस क्षेत्र के विकास की परिकल्पना बगैर रेलवे के संभव नहीं है। रेलवे की नवीन कोच फैक्ट्री का कार्य प्रगति पर चल रहा है। ऐसे में यहां गढ़िया फाटक बाहर हजारों की संख्या में पेड़ काट दिए गए हैं। इसमें बड़े छायादार और फलदार वृक्ष कटे हैं। ऐसे में यहां बड़ी संख्या में वृक्षो के कटान से पर्यावरण को बड़ी क्षति पहुंची है। इस सम्बन्ध में रानी झांसी फांऊडेशन के अध्यक्ष डा. जितेन्द्र कुमार तिवारी ने क्षेत्र के प्रबुद्धजनों के साथ बैठक कर चर्चा की। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के लोग सुबह के समय घूम कर ऑक्सिजन ग्रहण करते थे। छोटे और बड़े सभी आयु वर्ग के लोग इसका लाभ उठाते थे।
रानी झांसी फांऊडेशन एवं जिला जनकल्याण महासमिति स्वच्छता, जल एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर संकल्प-365 अभियान चला रही है। ऐसे में क्षेत्र में बड़ी संख्या में वृक्षों के कटान को समिति गम्भीरता से ले रही है। सम्बोधन में रेलवे से इन वृक्षों के बदले नवीन वन निर्मित करने की मांग की गई। उन्होंने बताया कि इस विषय पर मण्डल रेल प्रबन्धक से वार्ता के लिए प्रतिनिधिमण्डल की नियुक्ति महासमिति द्वारा की गई है। यह संवाद स्थापित कर क्षेत्र में रेलवे की जमीन पर नियमानुसार पौधारोपण कराने की मांग करेगी। इस दौरान अब्दुल नोमान, एचएन शर्मा, सौरभ सिंह, अमित श्रीवास्तव, दीपक वर्मा बाक्सर, सतेंद्र कुमार तिवारी, अशोक बिलगैंया सहित प्रेमनगर नगरा के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की अपील करते हुए कहा कि कोरोना काल में आक्सीजन की कमी की भयावहता को सभी ने महसूस किया है।
संकल्प-365 अभियान के संयोजक डा. जितेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा कि प्रेमनगर नगरा में महानगर की एक तिहाई आबादी रहती है। यहां का विकास पूरी तरह रेलवे पर निर्भर क्योंकि प्रेमनगर तीनों ओर से रेलवे क्षेत्र से घिरा हुआ है। यहां की अधिकांश आबादी में रेलवे के कार्यरत एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों के परिजन ही निवास करते हैं। यहां पश्चिम की ओर रेलवे के लगभग सभी बड़े प्रतिष्ठान जैसे वैगन मरम्मत कारखाना, इलैक्ट्रिक शैड, डीजल शैड, नई रेल कोच फैक्ट्री, रेलवे का सबसे बड़ा स्टोर, रेलवे की छोटी अस्पताल स्थित हैं। अब नई रेल फैक्ट्री का भी निर्माण यहीं हो रहा है। इन सभी प्रतिष्ठानों के दुष्प्रभाव जैसे वायु और ध्वनि प्रदूषण को यहीं के निवासी इस आशा से झेलते हैं कि अब यहां का विकास होगा, तो छोटे-बड़े रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
परंतु हर बार की तरह ही बड़ी-बड़ी कंपनिया यहां आकर काम करतीं हैं। अब तो इन कंपनियों ने मजदूर भी बाहर से लाना प्रारंभ कर दिया है। नगरा निवासियों को यहां से बाहर निकलने के लिए भी अभी तक कोई ऐसा रास्ता नहीं मिल पा रहा है, जिससे चार पहिया दुपहिया वाहनों का एक साथ आवागमन हो सके। मीटिंग में निर्णय लिया गया कि इस बारे में रेलमंत्री को इन समस्याओं से सम्बन्धित ज्ञापन भेजा जाएगा।