परंपरा: 500 वर्षों से लगता आ रहा है पचकुंइया माता मंदिर पर मेला
पचकुंइया माता को माना जाता है पूरे बुन्देलखण्ड की कुलदेवी
झांसी। महानगर की प्रसिद्ध पचकुंइया माता मंदिर पर मेला लगने की परंपरा पिछले 500 वर्षों से अनवरत रुप से चली आ रही है। कोविड काल को छोड़ दें तो आज तक इस परंपरा का निर्वहन चंदेलकाल से बिना किसी व्यवधान के पूरा किया जाता है। चैत्र की नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक लगने वाले इस मेले की तैयारियां जोरों पर हैं। मंगलवार से शुरु होने जा रही नवरात्रि के प्रथम दिवस पर इसका स्वतः शुभारंभ भी हो जाता है।
ऐसी मान्यता है कि पचकंुइया माता मंदिर पर पूजा अर्चना करने के लिए विश्व के इतिहास में अपनी शौर्य गाथा के लिए चर्चित वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई प्रतिदिन आया करती थी। इस स्थान को जल संरक्षण का प्रमुख स्थान भी माना जाता है। बताया जाता है कि यहां पांच कुंए व पांच कुंइयां हुआ करती थी। इसी कारण इस मंदिर का नाम पचकुंइया मंदिर रखा गया था। यही नहीं ज्योतिषाचार्य पं आनन्द मिश्रा बताते हैं कि इस मंदिर में मां शीतला व मां संकटा माता की मूर्ति स्थापित है। इन्हंे बुन्देलखण्ड की कुलदेवी कहा जाता है। कोई भी विवाह उत्सव उनके पूजन अर्चन के बिना सपन्न नहीं माना जाता है। विवाह के बाद भी वधू अपने वर के साथ यहां हाथे लगाने आती हैं।
दूर-दूर से आते हैं दुकान लगाने वाले
इस मेले में देश प्रदेश के कोने-कोने से लोग विभिन्न वस्तुओं की दुकानें लगाते हैं। मिट्टी के बर्तन की दुकानें निवाड़ी से आने वाले लोग लगाते हैं तो पत्थर के सिल बट्टे से लेकर तमाम वस्तुएं राजस्थान से आती हैं। इसके अलावा बर्तन,लोहे के औजार हंसिया, अमकटा, कलछुरी, खुरपी, कुल्हाड़ी आदि भी यहां मिलते हैं।
मिट्टी के मिलने वाले बर्तन
मेले में मिट्टी के बर्तनों की करीब 8-9 दुकानें लगाई जाती हैं। दुकान संचालकों ने बताया कि उनके पूर्वजों के समय से वे दुकानें लगाते चले आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि चैत्र की नवरात्रि में वे 15 दिनों के लिए यहां आते हैं। मिट्टी के बर्तनों में जग,मटका,भगोनी, सुराई, गुल्लक, कढ़ाई, कप, गिलास, आदि बनाते हैं। दुकानदारों में रामवती प्रजापति ने बताया कि वह लगातार 25 वर्षों से आ रही है। साथ में मनोहर प्रजापति,करन प्र्रजापति,राजाराम प्रजापति आदि दुकानों का संचालन करते हैं।
तैयारियां पूर्ण
मेले की तैयारियां लगभग पूर्ण हैं। हालांकि कुछ दुकानदार अभी अपनी दुकानें लगाने पहुंचे ही हैं। जबकि कुछ कल तक आ सकते हैं।