बेजान रही बकरीद, बकरियां नहीं भैंसे हुए कुर्बान

कोरोना के कहर ने औपचारिकताओं पर ला छोड़ा मध्यम वर्गीय परिवारों को

झाँसी : विश्वव्यापी कोरोना के कहर का प्रभाव बकरीद पर भी देखने को मिला। इस बार समृद्ध परिवारों को छोड़ दें तो मध्यम व निम्न वर्गीय मुस्लिम परिवारों ने कुर्बानी की महज औपचारिकता ही पूरी की। अपनी परम्परा का निर्वहन करते हुए इस बार बड़े जानवर कहे जाने वाले भैंसे की मांग बकरे के स्थान पर ज्यादा देखी गई।

इस्लाम में बकरीद पर कुर्बानी की परम्परा उसी समय से चली आ रही है। जब से मजहब शुरु हुआ। ऐसा माना जाता है कि इस्लाम धर्म को मानने वाले जिन परिवारों की हैसियत साढ़े 52 तोला चांदी और साढ़े 7 तोला सोना रखने की होती है। उन्हें कुर्बानी अवश्य करनी चाहिए। प्रेमनगर निवासी जावेद सत्तार खान कुर्बानी को इस्लाम में खुदा के वास्ते किया गया नेक कार्य मानते हैं। इसके चलते इस अवसर पर किसी जानवर की कुर्बानी दी जाती है।

प्रतिवर्ष इस त्यौहार को मुस्लिम समुदाय पूरे उत्साह से मनाता है। सब नए-नए कपड़े पहनते हैं। अपनी हैसियत के हिसाब से कुर्बानी भी दी जाती है। लेकिन इस बार विश्वव्यापी कोरोना का असर इस त्यौहार पर भी देखने को मिला। दो वर्ष में दो बार भीषण लाॅकडाउन के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। इस कारण लोग त्यौहार को मनाते हुए औपचारिकता करते नजर आए। इस बार बकरे के स्थान पर कुर्बानी के लिए बड़े जानवर भैंसे की मांग ज्यादा रही।

भैंसे की मांग ज्यादा रहने का कारण

इस सम्बंध में शहर काजी मुफ्ती शाबिर ने बताया कि बकरीद पर भैंसे की मांग ज्यादा रही है। इसका कारण यह है कि मध्यम व निम्न वर्गीय लोगों की आर्थिक स्थिति कोरोना व लाॅकडाउन के चलते बड़ी ही कमजोर है। इस कारण लोग कुर्बानी के लिए बकरे की खरीद नहीं कर सके हैं। यही कारण है कि भैंसे की मांग बढ़ गई।

बड़े जानवर की कुर्बानी में 7 लोग ले सकते हैं हिस्सा

शहर काजी ने बताया कि बड़े जानवर की कुर्बानी में 7 लोग शिरकत कर सकते हैं। इनके नाम पर्ची के जरिए जाते हैं। ऐसा फरमाया गया है। जबकि छोटे जानवर यानि बकरे की कुर्बानी में किसी की शिरकत नहीं हो सकती है। बकरे की कीमत करीब 7-8 हजार रुपये से शुरु होती है। जबकि भैंसे की कीमत करीब 14 से 16 हजार ही होती है। इस प्रकार लोगों को भैंसे की खरीद में ज्यादा सुविधा मिलती है। उनके हिस्से में महज 2 हजार से 2200 रुपये ही आते हैं। जबकि बकरा खरीदने में उन्हें करीब 8 हजार रुपये अकेले ही अदा करने होते हैं।

बकरीद

Kuldeep Tripathi

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