पंचायत चुनाव विशेष : हर फैसले सिक्के उछाल कर नहीं होते

गाँव की सरकार – पार्ट 3


झाँसी (राजू शर्मा नौटा) : किसी कानून के बिल पर संसद की बहस सुन रहा था कभी। उस समय दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के द्वारा बोला गया वो शेर मुझे आज तक याद है-

“ये जब्र भी देखा है तारीख की नजरों ने
लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई।

वो बादशाह जहांगीर की राबर्ट क्लाइव को व्यापार की अनुमति देना लम्हों की ही तो भूल थी, जिसकी सजा इस देश को 200 साल की गुलामी के रूप में चुकानी पड़ी।

साथियों,

यह एक संदर्भ है इतिहास में लिए गए गलत फैसलों और उसके फलस्वरूप पैदा हुए दुष्परिणामों का। पंचायत चुनाव वर्तमान में सर पर हैं। भले ही आरक्षण नियमों को लेकर न्यायालय के हस्तक्षेप से कुछ वक्त आगे के लिए टल जाऐं!

लेकिन बहुत जल्द ही वो दिन आने वाला है जब आपको वोटिंग की कतार में लगकर अपने जनप्रतिनिधि का फैसला करना होगा।

आपके गांव का भविष्य आने वाले पांच सालों के लिए इसी प्रतिनिधि, जिसको कि आप अपने वोट की ताकत प्रदान करने वाले हैं, के द्वारा लिए गए फैसलों पर ही निर्भर करेगा।

गांवों में चुनाव का माहौल गर्म है, गांव के वह लोग जो कभी लट्ठ बहादुर और बाहुबली की भूमिका में नजर आते थे, वही वर्तमान दौर में आम आदमी के हमदर्द बनकर सामाजिक समरसता की बातें करते हुए हर एक गांव में दिख जायेंगे। राम राम की संख्या में इस समय भारी इजाफा हो गया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो रामराज बहुत करीब है और जल्द ही आने वाला है।

साथियों,

क्या आपने कभी इसके कारणों पर विचार किया है? और यदि नहीं तो मैं आपको बता दूं कि यह लोकतन्त्र है और लोकतन्त्र में आम आदमी को मताधिकार का अधिकार प्राप्त है। इसकी ताकत से वह किसी भी व्यक्ति को अर्श से फर्श और फर्श से अर्श पर पहुंचा सकता है।

और यही कारण है इस सारी कवायद का।

ये जो ‘नेता नहीं, बेटा चुनिए’ के नारे गढ़े जा रहे है। यह बेटा कहकर बाप बनने की तमन्ना मात्र के अलावा कुछ नहीं है। चरण छूकर आपके सिर पर बैठने की तमन्ना रखने वाले लोग हैं यह।

इस महत्वपूर्ण समय में आपको बेहद स्वविवेक से निर्णय लेने की जरूरत है क्योंकि आपकी उंगली के द्वारा दबाया गया एक गलत बटन आपको पूरे पांच साल हाथ मलने के लिए विवश कर सकता है।

इसीलिए बहुत ही सूझ बूझ से निर्णय लेने की जरूरत है। इन घढ़ियाली और मगरमच्छी आंसू बहाने वालों से सावधान रहना होगा। ये महीने भर के लिए आंसू बहाकर पांच साल तक आपका मांस नोचने के इंतजार में बैठे हैं।

इसीलिए दोस्त, वोट करते समय प्रत्याशी का पुराना व्यवहार, उसका चाल चरित्र जेहन में रखकर ही वोट करें। वोट किसी ऐसे सुपात्र को ही दिया जाए जो आपके सिर का बोझ हल्का करने की सोच रखता हो! अपने वोट से उन बाजुओं को मजबूती दीजिए जो आपका सहारा बनने को आतुर हों।

कहीं उन हाथों को मजबूत मत बना देना जो आपकी गिरेबां तक पहुंचने के ख्वाब रखते हों।

आगे आपकी मर्जी।

poem-on-farmers-protest-by-raju-sharma

Kuldeep Tripathi

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