प्राचीन बारादरी का विलुप्त होता अस्तित्व

फतेहपुर (शेखर सिद्दीकी)। जिले के जहानाबाद विधान सभा क्षेत्र के जहानाबाद में मुगालरोड के किनारे स्थिति प्राचीन बारादरी आज भी पुराने दौर की नक्कासी और मेहराबी द्वार की सुंदरता को कायम रखे हुए हैं। भले ही यह धीरे धीरे जर्जर होती जा रही हैं, मगर इसको देखने वालों की आवा जाहि आज भी लगी रहती हैं।

बारादरी के ऊपर जाने के लिए सीढिया बनी हुई हैं। ऊपर का हिस्सा जो पूरब से लेकर पच्छिम और पच्छिम से लेकर दक्षिण को देखा जाय तो एक ही तरह की बनावट नज़र आती हैं। ,मेहराबी दरवाजे और उनपर की गई नक्कासी जिनकी बनावट यकसाँ हैं। दूसरे तल के ऊपर जाने के लिए सीढियो का सहारा लेना पड़ता हैं। यहां भी मेहराबी दरवाजे और उनपर नक्कासी मन को मोह लेती हैं। ऊपर से लेकर नीचे तक एक ही तरह का सवरूप दिया गया हैं।

इसमें कई एकड़ में फैला बाग जिसमे आम नींबू और तमाम फूल वाले पेड़ो के बीच में चंदन के पेड़ो से आने वाली मन मोहक खुश्बू बरबस ही यहां पर आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है। यहां हमेशा लोगो का आना जाना लगा रहता हैं। यहां पर आने वाले अपनी निशानी के तौर पर दीवारों से लेकर छतों पर अपना नाम लिख कर अपनी आने की शहादत कायम करते हैं। चारो तरफ एक ही तरह के मेहराबी दरवाजे हैं।

हवाओ के झरोखे भी रक्स करते हुए पास से गुज़र जाते हैं। बारादरी का आखरी जीना जो कि ऊपर छत पर ले जाता हैं, जहा से पूरब की तरफ से बहने वाली नहर और पश्चिम में इसकी दीवार से लगा तालाब इसकी सुंदरता को और खूबसूरत बनाते है। ,यहां से आस पास की बस्ती और बाग बगीचों की सुंदरता मन के अंदर ब्याकुलता बढा देती हैं। इस बाराददारी कि अगर देख रेख नही की गई तो धीरे धीरे यह अपना नामो निशान खो देगी। इस धरोहर की जिम्मेदारी इसके जिम्मेदारों पर बनती हैं, शायद अभी वो बेगाफ़िल हैं।

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