देश के लिए पदक विजेता पहलवानों के साथ जो हो रहा है उससे देश की छवि धूमिल हुई है : अशोक ध्यानचंद

झांसी। 1975 विश्व विजेता हॉकी टीम के हीरो रहे ओलंपियन अशोक कुमार ने पहलवानों को लेकर बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा कि खिलाड़ी पानी की तरह मुलायम और पत्थर की तरह कठोर होता है ।पहलवानों के मुद्दे पर उन्होंने बेबाक अंदाज में कहा कि सरकार को हठधर्मिता का छोड़कर देश के इन पहलवानों से बात कर जल्दी यह मामला सुलझाने का प्रयास करना चाहिए ,क्योंकि इतने लंबे समय से सड़कों पर बैठे ओलंपिक पदक विजेता और पद्म पुरस्कार से सम्मानित खिलाड़ियों का यह प्रदर्शन देश की छवि को भी धूमिल कर रहा है।

मेरा आग्रह सरकार और पहलवानों से है कि वह आपस में सामंजस्य बनाकर इस प्रकरण को जल्द से जल्द सुलझाने का प्रयास करें ।वहीं उन्होंने देश के पदक विजेता पहलवानों को भी इशारा करते हुए कहा कि थोड़ा संयम आप भी रखें, क्योंकि देश के लिए पदक जीतना किसी तपस्या से कम नहीं और आपने कठोर तपस्या कर इन पदकों को प्राप्त किया है। उन्हें विसर्जित न करने का फैसला मैं सही मानता हूं। उन्होंने सरकार से कहा “ आशा करता हूं कि हमारी सरकार जो ‘ सबका साथ , सबका विकास ’ की नीति पर कार्य कर रही है वह खिलाडियों के दर्द को समझेगी और अपनी समझबूझ और विवेक से इसका निस्तारण करेगी।”

 

अर्जुन पुरुस्कार व यश भारती पुरुस्कार से सम्मानित अशोक कुमार ने कहा कि हिंदुस्तान के लिए पदक विजेता बेटियों को सड़कों पर बैठा देखकर मन आहत है। सरकार को भारत की बेटियों से बात कर अपना स्लोगन सार्थक करना चाहिए ,बेटी खिलाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ। उन्होंने कहा कि वह खिलाड़ियों से बात करके इस प्रकरण को जल्द से जल्द सुलझाए और खिलाड़ियों के दर्द को समझने के प्रयास करे। क्योंकि इस प्रकार से देश की छवि भी धूमिल हो रही है। वही उन्होंने देश के पदक विजेता पहलवानों को भी इशारा करते हुए कहा कि थोड़ा संयम आप भी रखें। अशोक ने कहा कि कड़ी मेहनत और तपस्या के बाद एक खिलाड़ी देश के लिए पदक जीता है वह पदक विसर्जन के लिए नहीं होते देश का गौरव हैं वह पदक ।मैं आशा करता हूं कि सरकार भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह और देश के पदक विजेता पहलवानों का टकराव अब जल्द दूर हो। इस बात को समझ कर आपस में सामंजस्य बिठाया जाए और वार्तालाप कर इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का प्रयास करे। जिससे कि देश की छवि धूमिल होने से बच सकें और खिलाड़ियों का नुकसान भी ना हो।

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