जालौन : पत्रकार उत्पीड़न के विरोध में आर-पार का संघर्ष करेगा उपजा
तहरीर पर पुलिस नहीं करती विचार, प्रशासन के उपेक्षित व्यवहार से पत्रकारों में रोष
लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के स्वाभिमान में एकजुट होकर संघर्ष करेंगे पत्रकार संगठन
उरई : जिला पुलिस और प्रशासन द्वारा पत्रकारों के साथ सामंजस्य पूर्ण व्यवहार न करने से पत्रकारों में रोष है। उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसियेशन (उपजा) द्वारा रविवार को आयोजित बैठक में पत्रकारों ने आरोप लगाया कि पत्रकारों का उत्पीड़न हो रहा है। हमें जिला प्रशासन द्वारा आयोजित बैठकों में जाने से रोका जाता है। लाभकारी योजनाओं के विज्ञापनों में अधिकारियों द्वारा एकाधिकार जमाया जा रहा है।
उपजा द्वारा आयोजित बैठक में ग्रामीण पत्रकार एसोसियेशन, सिटी रिपोर्टर संघ, प्रेस क्लब, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन आदि संगठनों ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया जायेगा। समाधान न होने पर पत्रकारों के हित में आंदोलन छेड़ा जायेगा और बुन्देलखण्ड के प्रवेश द्वार पर शासन-प्रशासन को खबरों का पूर्ण बहिष्कार किया जायेगा।
(आज) हिन्दी दैनिक कार्यालय में एनजेयूआई के राष्ट्रीय पदाधिकारी व पत्रकारिता प्रशिक्षण मिशन के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में उपजा जिलाध्यक्ष अरविन्द द्विवेदी ने कहा कि जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने पत्रकारों को एक दुधारु गाय से कम हैसियत का समझ रखा है। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष, विकास भवन में आयोजित होने वाली प्रशासनिक बैठकों से पत्रकारों को दूर रखकर खुद की मनमर्जी के तहत बैठकों में अपनी वाहवाही लूटने के बाद जिला सूचना विभाग द्वारा जारी होने वाली प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से खुद मियां मिट्ठू बनकर वाहवाही लूटने का जिला प्रशासन जो कार्य कर रहा है, वह बर्दास्त नहीं किया जायेगा।
इसके अलावा चाहे मुख्यमंत्री का आगमन हो या फिर किसी मंत्री का। प्रशासन द्वारा विकास योजनाएं विज्ञापन के द्वारा प्रकाशित करवाने में हर विभागाध्यक्ष को ऐसे सांप सूंघ जाता है, जैसे वह बजट को अपनी जेब से खर्च कर रहा हो। लाखों-करोड़ों के गबन में एक संविदा कर्मचारी भी संकोच नहीं करता है। मामला खुलासा होने पर अगर वाहवाही होती है तो निलम्बन के अलावा कुछ नहीं।
उपजा जिलाध्यक्ष अरविन्द द्विवेदी ने कहा कि शासनादेश के तहत स्थायी समिति की बैठक हर तिमाही में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होनी चाहिए। समिति के मनोनीत पत्रकारों के माध्यम से हमारी समस्याएं जिला प्रशासन तक पहुंचाने का यही एक माध्यम होता है। परन्तु वर्षो पूर्व से स्थायी समिति की बैठक न कर जिला प्रशासन लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के साथ उपेक्षा पूर्ण व्यवहार कर रहा।
इसके अलावा जनपद मुख्यालय में पत्रकार भवन बनवाने हेतु प्रशासन द्वारा कोई सकारात्मक पहल न किये जाने की वजह से पत्रकारों को एक मंच पर बैठने के लिए स्थान नहीं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के झांसी आगमन पर 20 लाख रुपये की स्वीकृति दे चुके थे। परन्तु जिला प्रशासन द्वारा पहल न किये जाने से यह धनराशि शासन स्तर से आवंटित नहीं हो पायी।
इसके अलावा पूर्व जिलाधिकारी रामगणेश द्वारा भवन बनवाये जाने हेतु राजकीय इण्टर कालेज उरई टाउन हाल मैदान में भवन निर्माण हेतु सार्थक प्रयास किये गये थे। परन्तु जगह का अभाव बताकर यह प्रयास भी हवा-हवाई हो गये।
बैठक में उपजा नवीन जिला कार्यकारिणी गठित किये जाने, सदस्यता बढ़ाये जाने के अलावा अहम मुद्दा पत्रकार उत्पीड़न का रहा। जिलाध्यक्ष अरविन्द द्विवेदी ने कहा कि पत्रकारों के विरुद्ध अगर कोई अपराधी तहरीर लेकर थाने पहुंचता है तो पुलिस शिकायतकर्ता के अपराधों को दरकिनार कर उसकी तहरीर इस रुचि से लेती है जैसे मानो उसने कोई बड़ा गुडवर्क कर लिया है और पत्रकार के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज किये जाने के बाद फिर हमदर्दी जताई जाती है कि जांच में देख लेंगे।
जिलाध्यक्ष ने कहा कि तहसील कालपी के ग्राम मंगरौल में षड़यंत्रकारी व्यक्ति ने एक सोची समझी रणनीति के तहत खुद तमंचे से गोली मारी और घटना की सूचना पुलिस को 32 घण्टे तक नहीं दी, जबकि उपचार के लिये वह कोतवाली की चाहरदीवारी उस पार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कालपी आया और रिफर होकर उरई गया फिर झांसी उपचार हेतु चला गया। जबकि कोतवाली कालपी पुलिस वार्ता करती रही परन्तु घायल सही जबाव नहीं दे सका।
घटना के 32 घण्टे बाद घायल के पुत्र द्वारा कोतवाली में तहरीर दी जाती है और बिना जांच के दो पत्रकारों समेत चार लोग (एक ही परिवार) के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली जाती है। घटना के बारे में कोतवाली पुलिस खुद कह रही है कि घटना असत्य है। हमने एसपी, एएसपी, सीओ को बता दी है। इतना सब होने के बाद मामला दर्ज करना खुल्लम खुल्ला पत्रकार उत्पीड़न बनता है।
इसके अलावा जनपद में अन्य पत्रकार उत्पीड़न के मामले को बिना जांच के दर्ज किये जाना पत्रकारों की निर्भीक, निष्पक्ष पत्रकारिता की आवाज को दबाने का माफियातंत्र, पुलिस प्रशासन की शह पर काम कर रहा है जिसे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जायेगा।
उपजा जिला मंत्री मनोज राजा ने कहा कि पत्रकार उत्पीड़न के लिए बिना किसी मतभेद के पत्रकारों को एकजुट होकर खुद के स्वाभिमान के लिए कार्य करना होगा। इसके लिए जो भी निर्णय संगठन द्वारा लिया जायेगा उसका हम सभी लोग पालन करेंगे।
बैठक में पत्रकार रामकुमार तिवारी (पूर्व अध्यक्ष बार संघ कालपी), अरविन्द द्विवेदी बब्बा, रामनरेश द्विवेदी, मुबीन खान, आशीष शिवहरे, गंगाराम चौरसिया जिलाध्यक्ष ग्रामीण पत्रकार एसोसियेश्र, सुरेश माहेश्वरी जिला मंत्री प्रेस क्लब, श्रीकांत शर्मा जिलाध्यक्ष श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, विकास गुप्ता, इबादत अली, मिथलेश, हरिश्चन्द्र दीक्षित, मनोज पाण्डेय, अवधेश वाजपेयी, ज्ञानेन्द्र मिश्रा महामंत्री उपजा कालपी, प्रदीप त्रिपाठी, अजय श्रीवास्तव, अलीम सिद्दीकी, राजू पाठक, भरत अवस्थी, राकेश तिवारी, अशोक पुरवार, संजय गुप्ता कुरेले उपाध्यक्ष, ओमप्रकाश राठौर जिला कोषाध्यक्ष, कमलकांत दुबे, रामआसरे त्रिवेदी अध्यक्ष सिटी रिपोर्टर संघ, महेश चौधरी, अरुण कुमार मिश्र, शशिशेखर द्विवेदी, प्रदीप गुप्ता, सुरेन्द्र द्विवेदी, गोपाल द्विवेदी, कन्हैया गुप्ता ने एक स्वर में कहा पत्रकार उत्पीड़न के विरोध में जो भी निर्णय सदन में लिया जायेगा, उस संघर्ष के लिये जो भी संघर्ष करना पड़ेगा उसे हम सब लोग स्वीकार करते है।
रिपोर्ट वापस न होने पर बुन्देलखंड प्रवेश द्वार पर होगा बहिष्कार
कोतवाल कालपी में षड़यंत्रकारी द्वारा एक ही परिवार के तीन भाईयों व एक पुत्र के विरुद्ध पुलिस द्वारा दर्ज की गयी रिपोर्ट अगर वापस नहीं ली जाती है तो वरिष्ठ पत्रकार अनिल शर्मा के प्रस्ताव पर कालपी के पत्रकारों में ज्ञानेन्द्र मिश्रा, राजू पाठक, रामकुमार तिवारी, मनोज पाण्डेय, हरिश्चन्द्र दीक्षित ने कहा कि बुन्देलखण्ड के प्रवेश द्वार कालपी में आने वाले हर मंत्री का घेराव किये जाने के साथ पुलिस उत्पीड़न का एक ज्ञापन दिया जायेगा और प्रशासन को कालपी में होने वाली बैठक, उपलब्धियों के समाचारों का बहिष्कार किया जायेगा।