राष्ट्र सर्वोपरि, स्वयंसेवक राष्ट्र निर्माण के लिए करें कार्य : डॉ.मुकुल पस्तोर 

स्वयंसेवकों का अनुशासित पथ संचलन देख मंत्रमुग्ध हुआ समाज

झांसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ झांसी महानगर के दीनदयाल नगर द्वारा रविवार 14 अप्रैल को पूर्व गणवेश में संघ के वाद्ययंत्रों की धुन पर कदम ताल करते हुए नगर के स्वयंसेवकों द्वारा सैंकड़ों की संख्या में पथ संचलन निकाला गया। पथ संचलन के दौरान पुलिस का व्यापक बंदोबस्त रहा। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता महानगर कार्यवाह डॉ. मुकुल पस्तोर ने स्वयंसेवक के लिए राष्ट्र को सर्वोपरि बताते हुए राष्ट्रहित में कार्य करने का आह्वान किया। इसके अलावा माधव नगर व विश्वकर्मा नगर में भी पथ संचलन निकाला गया।

महानगर प्रचार प्रमुख डा. जितेन्द्र मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया गया कि दीनदयाल नगर में संघ स्थान पर अतिथियों के परिचय के बाद स्वयंसेवक अंश द्वारा एकल गीत व स्वयंसेवक कृष्णा द्वारा अमृतवचन प्रस्तुत किया गया। इसके उपरांत झांसी महानगर कार्यवाह डॉ. मुकुल पस्तोर ने अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने संघ के  6 उत्सवों में से प्रथम वर्ष प्रतिपदा उत्सव के महत्व के बारे विस्तार से बताया। उन्होंने स्वयंसेवकों के अनुशासन व दायित्वों के निर्माण पर विशेष चर्चा करते हुए कहा कि संघ की स्थापना 1925 में हिंदुओं को एकजुट तथा संगठित करने की उद्देश्य से की गई थी, और इसी उद्देश्य पर संघ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है, इसीलिए स्वयंसेवक को राष्ट्र के निर्माण के लिए कार्य करना चाहिए। मुख्य वक्ता ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम उत्सव वर्ष प्रतिपदा के महत्व के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवम वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ भीम राव अम्बेडकर के जन्मदिवस पर उन्होंने बाबा साहब के सामाजिक संघर्ष का वर्णन करते हुए संघ के साथ उनके समन्वय एवम संबंधों की चर्चा की।

पथ संचलन का नगरवासियों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया। संचलन मार्ग को रंगोली बनाकर व बैनरों से सजाया गया। कई स्थानों पर शर्बत व मिष्ठान भी वितरित किए गए। संचलन में आगे-आगे घोष का वादन हो रहा था तो वहीं स्वयंसेवक भारत माता की जय व वंदे मातरम का जयघोष कर रहे थे। कई जगह ध्वनियंत्रों पर देश भक्ति के गीत लगाये गए तो कुछ स्थानों पर जनता ने ही भारतमाता के जयकारों से वातावरण को राष्ट्रमय किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के घोष आनक, बांसुरी एवं बिगुल, ड्रम की मनमोहक धुन पर हाथों में दंड, दिलों में देश भक्ति भाव संजोए सैनिकों की भांति पूरे दीनदयाल नगर की सभी बस्तियों से आए सैंकड़ों की संख्या में स्वयंसेवकों का पथ संचलन गजानन पार्क (आवास विकास) से प्रारम्भ होकर आरोग्य सदन चौराहा, आवास विकास चैराहा, होते हुए नगन्दनपुरा चौराहा से होते हुए राधा कृष्णनन विद्यालय के सामने वाली गली से होते हुए वापस गजानन पार्क पहुंचा। संघ के घोष दल की मधुर ध्वनि, स्वयंसेवकों की राष्ट्रभक्ति, सामूहिक संगठन शक्ति और अनुशासन का दर्शन सभी को रोमांचित कर रहा था।

इस अवसर पर झांसी महानगर के सह संघचालक जय सिंह सेंगर, नगर संघचालक भनुप्रताप सिंह, झाँसी महानगर धर्मजागरण प्रमुख रवि गोस्वामी, झाँसी महानगर शारीरिक प्रमुख राहुल जी, झाँसी महानगर घोष प्रमुख सायुज, डा.रविप्रकाश, नगर कार्यवाह पुष्पेन्द्र, नगर विद्यार्थी विस्तारक विनय, नगर शारीरिक प्रमुख आलोक, सह शारीरिक प्रमुख शिशिर, नगर सम्पर्क प्रमुख अखिलेश, नगर बौद्धिक प्रमुख हरिओम, नगर प्रचार प्रमुख शुभम, नगर विद्यार्थी प्रमुख यश, नगर बालकार्य प्रमुख पवन, नगर घोष प्रमुख अभिषेक सहित रविन्द्र,  आयुष, शैलेन्द्र, रवि, श्रीकान्त, ध्रुव, अंश, पार्थ, सुधीर,  प्रशान्त,  देव, अनुज, रोहित, तेज सिंह, राकेश, जितेंद्र आदि दीनदयाल नगर के स्वयंसेवक बन्धु उपस्थित रहे।

 

संघ शाखा को बना रहा परिवर्तन का केंद्र
विश्वकर्मा नगर में पथसंचलन के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता महानगर सह संपर्क प्रमुख ललित ने नवसंवत्सर की वैज्ञानिकता के साथ डॉ अम्बेडकर जी के विचारों पर प्रकाश डाला। बताया कि 1939 में डॉ.भीमराव अंबेडकर भी संघ शिक्षा वर्ग में आए थे। वर्ग में सामाजिक समरसता देख उन्होंने कहा था कि ऐसा ही माहौल पूरे देश में करना है। संघ भी समाज में एक गतिविधि चलाकर सामाजिक समरसता को बढावा देने का कार्य कर रहा है। संघ शताब्दी वर्ष में शाखा को परिवर्तन का केंद्र बना रहा है। इस अवसर पर मंच पर नगर संघ चालक विपिन व कार्यक्रम की अध्यक्षता विनय अग्रवाल द्वारा की गई। महानगर से सौरभ,मुकुल तिवारी, मोहन,नगर कार्यवाह पवन,अमित सोनी, हरिश्चंद्र आदि उपस्थित रहे।

 

स्वयंसेवक का अनुशासन उसके स्वयंसेवक होने का प्रमाण
माधव नगर में भी नगर के स्वयंसेवकों द्वारा भारी संख्या में पथसंचलन निकाला गया। मुख्य वक्ता के रूप में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए सह महानगर कार्यवाह ब्रजेन्द्र ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार के विचारों को आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने डॉक्टर साहब के जीवन के कई प्रेरणादायक संस्मरण भी सुनाए। उन्होंने कहा कि एक स्वयंसेवक को स्वयं में अनुशासित होना चाहिए। यही उसके स्वयंसेवक होने का प्रमाण है। उन्होंने सामाजिक समरसता पर भी बल दिया। कार्यक्रम में मनोज,विनोद, नगर प्रचारक महेन्द्र, अमित व अभिषेक आदि स्वयंसेवकों का विशेष योगदान रहा।

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