योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया की अहम भूमिका: संयुक्त निदेशक

डेंगू को लेकर जनपद में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में

झांसी। स्वास्थ्य संचार सुदृढ़ीकरण के लिए जिला स्वास्थ्य समिति के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एण्ड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से गुरुवार को स्थानीय एक होटल में मीडिया कार्यशाला आयोजित हुईद्य इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित तमाम योजनाओं के बारे में मीडिया को विस्तार से जानकारी दी गई और योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार में सहयोग की अपील की गयी।

कार्यशाला में डॉ. विनोद कुमार यादव-संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य ने कहा कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य संबंधी तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं, उन्हें जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। हम सभी को चाहिए कि आपसी सामंजस्य बनाकर काम किया जाए, जिससे कि योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाया जा सके।

स्वास्थ्य संचार में मीडिया की अहम् भूमिका के बारे में बताते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि मीडिया ने कोविड काल में आम जनमानस को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोरोना वैक्सीन को लेकर व्याप्त तमाम भ्रांतियों को दूर किया है। इसी का नतीजा है कि आज कोरोना का संक्रमण कम हुआ है। इसके साथ ही टीकाकरण में भी हम प्रदेश में पांचवें स्थान पर पहुंच गए हैं। वायरल फीवर और डेंगू के बढ़ते मामलों के बारे में सीएमओ ने कहा कि बारिश का मौसम है, डेंगू के मरीज बढ़े हैं, लेकिन जनपद में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में हैं। थोड़ी सी सर्दी बढ़ते ही वायरल और डेंगू के केस कम होने शुरू हो जाएंगे। 15 अक्टूबर तक इसमें कमी आएगी।

एसीएमओ डॉ. एन के जैन ने प्रजनन, महिला, नवजात, बाल स्वास्थ्य आदि के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जननी सुरक्षा कार्यक्रम की वजह से संस्थागत प्रसव के मामले बढ़े हैं। शहरी इलाके में 1000 रूपये और ग्रामीण इलाके की गर्भवती को संस्थागत प्रसव कराने पर 1400 रुपए की धनराशि प्रोत्साहन के रूप में दी जाती है। उन्होंने बताया कि अप्रैल से लेकर अब तक जिले में 13657 संस्थागत प्रसव हो चुके हैं । बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जिला महिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में एसएनसीयू वार्ड हैं, जहां नवजात बच्चों का निरूशुल्क उपचार किया जाता है। कुपोषण के निवारण को लेकर मेडिकल कॉलेज में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) स्थापित है, जहाँ पर कुपोषित बच्चों को 14 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत एक से 19 साल तक के बालक-बालिकाओं का आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूलों में स्क्रीनिंग की जाती है। जन्मजात विकारों से ग्रसित बालकों का निरूशुल्क उपचार की व्यवस्था है।

नियमित टीकाकरण को बढ़ावा देने के बारे में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ.रविशंकर ने अपील की कि कोरोना के चलते टीकों से वंचित बच्चों को टीका लगवाने के प्रति लोगों को जागरूक करने में मीडिया अहम् भूमिका निभाए।
इस अवसर पर वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. आर के सचान ने मच्छर जनित रोगों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जनवरी वर्ष 2021 से डेंगू संभावित 1573 के लोगों के सैंपल लिए गए हैं, जिसमें 209 में डेंगू की पुष्टि हुई। 23104 ब्लड सैंपल में 12 में मलेरिया की पुष्टि हुई। चार मरीज स्क्रब टाइफस और सात मरीज लेप्टोस्पाइरोसिस के मिले। जनपद में 315078 घरों का निरीक्षण किया गया, जिसमें 1555 पात्रों में मच्छर के लार्वा पाये गये जिसको खाली कराया गया। 1028 व्यक्तियों को महामारी अधिनियम धारा 188 के तहत नोटिस भी दिया गया। स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. वेदप्रकाश, उप जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ.महेंद्र कुमार ने भी अपने-अपने कार्यक्रम से संबंधित जानकारी दी। कार्यशाला का संचालन जिला स्वास्थ्य शिक्षाधिकारी डॉ. विजयश्री शुक्ला के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के आखिरी में मीडिया कर्मियों ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव भी दिए।
कार्यशाला में संयुक्त निदेशक डॉ.आरके सोनी, डिप्टी सीएमओ डॉ. रमाकांत, एसीएमओ डॉ.एसके कुलश्रेष्ठ, जिला मलेरिया अधिकारी आरके गुप्ता, डीपीएम ऋषिराज सहित स्वयं सेवी संस्था यूनिसेफ, यूएनडीपी, पीएसआई, आईसीएमआर, डब्लूएचओ आदि के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

जिला अस्पताल में बनेगा डेंगू मरीजों के लिए अलग काउंटर
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कार्यशाला में एक सवाल के जवाब में कहा कि डेंगू को लेकर लोगों में व्याप्त भ्रांतियों और भय को दूर करने के लिए जिला अस्पताल में पृथक काउंटर खोला जाएगा, जहां डेंगू मरीजों की काउंसिलिंग की जाएगी और उपचार को लेकर आ रही बाधाओं को दूर कराया जाएगा। उन्होंने मीडिया कर्मियों को आश्वस्त किया कि स्वास्थ्य विभाग से संबंधित सूचनाएं उन्हें समय पर मिलती रहेंगी।

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