समाज के सहयोग से ही दूर होंगी संक्रामक बीमारियां

कमिश्नर बोले, चलाया जाएगा ‘स्वैच्छिक सामुदायिक सतर्कता’ कार्यक्रम

झाँसी : संक्रामक बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए आम जनमानस में जागरूकता आवश्यक है। विगत कुछ महीनों में मण्डल के सभी जनपदों ने कोविड महामारी का सामना किया। कुछ क्षेत्रों में कोविड के मरीज अधिक निकले। कुछ क्षेत्रों में जहाँ लोगों ने बचाव के उपायों पर गंभीरता से अमल किया, उनमें महामारी का उतना प्रभाव देखने को नहीं मिला। इससे कहा जा सकता है कि समुदाय में संक्रामक बीमारियों के प्रति सतर्कता अत्यन्त आवश्यक है। यह कहना है मंडलायुक्त अजय शंकर पाण्डे का।

उन्होंने कहा कि बचाव के उपायों को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए ‘स्वैच्छिक सामुदायिक सतर्कता कार्यक्रम’ की शुरुआत की जानी है। इसका मूल उद्देश्य स्थानीय लोगों की भागीदारी से ऐसे वातावरण का सृजन करना है, जिससे कि कोविड तथा अन्य संक्रामक बीमारियों का फैलाव रोका जा सके।

सामुदायिक सहभागिता से न सिर्फ कोविड बल्कि अन्य संक्रामक बीमारियों को भी दूर किया जा सकता है। इस आशय में मुख्यमंत्री ने भी निर्देश दिये है कि सामुदायिक सहभागिता से ग्राम पंचायतों, ब्लॉक तथा नगर निकायों को ‘कोरोना मुक्त’ क्षेत्र घोषित कराया जाये। इसके लिए जनपद के सभी ग्राम पंचायतों तथा नगरीय वार्ड में ‘स्वैच्छिक सामुदायिक सतर्कता कार्यक्रम’ का संचालन किया जाना है।

मंडलायुक्त ने निर्देश दिये कि जनपद स्तर पर इस कार्यक्रम के संचालन हेतु मुख्य विकास अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित करते हुए पंचायती राज विभाग तथा नगर विकास विभाग के अधिकारियों को कार्यक्रम क्रियान्वयन के दायित्व सौंपे जाये। आम जनमानस में ‘कोविड एप्रोपियेट बिहेवियर’ जैसे केवल आवश्यक होने पर ही घर से निकलना, मास्क पहनना, हाथों की नियमित सफाई, समूह में एकत्र होकर न बैठना आदि का पालन करने के प्रति जागरूकता पैदा की जाए। बाजारों में भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए व्यापारिक संगठनों से अपील की जाए ताकि वे स्वैच्छिक रूप से ऐसा वातावरण बनायें जिससे कोविड का संक्रमण न फैले। दुकानों पर सामान खरीदते समय दूरी बनाये रखने, हाथ सेनेटाइज करने की व्यवस्था के लिए व्यापारियों व ग्राहकों में सतर्कता की भावना पैदा की जाए।

मंडलायुक्त बताते हैं कि अक्सर देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बीमारी के लक्षणों को गंभीरता से न लेकर कुछ दिन प्रतीक्षा करते हैं, जिससे बीमारी का प्रसार बढ़ता है। ऐसी स्थिति के लिए लोगों को जागरूक किया जाए कि लक्षण दिखने पर वह जाँच के लिए जरूर आएं। ग्रामीणों को नजदीकी जाँच केन्द्र की जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान के द्वारा दो स्वैच्छिक ग्रामवासियों को चयनित किया जाये। इनमें से एक ग्राम चौकीदार तथा दूसरे कम्युनिटी पुलिसिंग का कार्य करेंगे। ग्राम चौकीदार कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत गाँव में लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करवायेंगे। कोरोना प्रोटोकाल के उल्लंघन पर चालान की कार्यवाही भी सुनिश्चित करायेंगे।

जनपद में कार्यरत निगरानी समिति के कार्यों की नियमित समीक्षा की जाये। ग्राम पंचायत स्तर पर गठित ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समितियाँ के अनटाइड फण्ड का समुचित उपयोग कराये जाने के लिए ग्राम प्रधानों को प्रेरित किया जाये ताकि संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए इस धनराशि का सही उपयोग हो सके।

उन्होंने बताया कि न सिर्फ कोविड बल्कि बरसात के मौसम में अन्य संक्रामक बीमरियां जैसे- डायरिया, मलेरिया आदि के प्रसार को रोकने के लिए भी यह व्यवस्था कारगर साबित हो सकती है।

Kuldeep Tripathi

Editor

Kuldeep Tripathi has 1564 posts and counting. See all posts by Kuldeep Tripathi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *