चित्रकूट जेल हत्याकांड में मारे गए अंशु का आपराधिक अतीत
सुर्ख़ियों में रहे चित्रकूट जेल हत्याकांड मामले में मुख़्तार अंसारी के गुर्गे समेत एक अन्य कैदी की हत्या कर, एनकाउंटर में ढेर होने वाला अंशु दीक्षित था। जो सीतापुर शहर इलाके के मोहल्ला रोटी गोदाम का रहने वाला बताया जा रहा है। इसके पिता जगदीश दीक्षित आँख के अस्पताल के निकट परचून की दुकान चलाकर परिवार का जीवन यापन करते थे। अंशु अपने चाचा के सीतापुर आँख अस्पताल के एक सर्वेन्ट क्वार्टर में रहकर अपराध की दुनिया की तरफ मुड़ गया।
अंशू सीतापुर में लगभग 15 वर्ष पूर्व सेठी ड्राई क्लींनर्स के सामने एक एमएलसी पुत्र के ऊपर जानलेवा हमला करने के बाद सुर्खियों में आया था।
उसके बाद वह सीतापुर से लखनऊ भाग गया जहां उसने लखनऊ यूनिवर्सिटी में छात्र नेता विनोद त्रिपाठी के संरक्षण में रहा। अन्य घटनाओं को अंजाम देते हुए बाद में अंशु ने विनोद त्रिपाठी की भी हत्या कर दी थी ।
इसके बाद वो पुलिस व एसटीएफ के राडार पर था। मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में अंशु के छिपे होने की जानकारी होने पर एसटीएफ टीम उसे पकड़ने गई थी। परंतु अंशु वहां से एसटीएफ के ऊपर गोली चला कर फरार हो गया था।
अंशु का नाम लखनऊ के सीएमओ रहे विनोद आर्या की हत्त्या में आया था। गिरफ्तारी से पूर्व में इसके ऊपर सीतापुर रेलवे व लखनऊ एवं भोपाल पुलिस ने इसके ऊपर इनाम भी घोषित कर रखा था।
टीवी चैनलों पर इसे अंशुल दीक्षित कहा जा रहा है, जबकि सही व वास्तविक नाम अंशू दीक्षित है।