मोहन भागवत ने दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं को किया संबोधित
चित्रकूट/सतना : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के दौरान आठ दिवसीय प्रवास पर चित्रकूट पधारे सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने प्रवास के अंतिम दिन दीनदयाल शोध संस्थान के सभी प्रकल्पों के प्रभारियों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वावलंबन अभियान का काम देख रहे समाजशिल्पी दंपतियों को संबोधित किया।
कार्यकर्ताओं ने भागवत से पूछा कि वर्तमान में सामाजिक, आर्थिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो परिस्थितियां बन रही हैं, उनमें ग्रामीण क्षेत्र में काम कर रहा दीनदयाल शोध संस्थान कैसे लोगों की आकांक्षाओं एवं अपेक्षाओं को कैसे पूरा करे। इस पर भागवत ने कहा कि समय के अनुसार सब को बदलना होता है। आकांक्षाएं तो पहले भी थीं। यह समाज में चलने वाली मानसिक प्रक्रिया है। चिंतन करते रहना चाहिए। कई बातों को तो कोरोना की परिस्थितियों ने बता दिया। अपने परिवार का पालन पोषण किस तरह करना, समाज की व्यवस्था किस तरह चले, सृष्टि ठीक रहे, यह एक अपना तरीका अपने पास है, भारत के पास है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण एवं वनवासी क्षेत्रों में आज भी संस्कारों का नुकसान नहीं है। वहां संस्कारों में कोई क्षति नहीं हुई है। शिक्षा नहीं पहुंची उसका नुकसान हुआ है। लेकिन, शहरी क्षेत्रों में शिक्षा के कारण कुछ नुकसान भी हुआ है। उन्होंने आयुर्वेद का उदाहरण देते हुए कहा कि काल की कसौटी पर जो आयुर्वेद में है वह एलोपैथी में नहीं है। इसका मतलब यह नहीं कि एलोपैथी ठीक नहीं उसका भी एक अपना महत्व है।
इस मौके पर आरोग्यधाम के वरिष्ठ चिकित्सक न्यूरो सर्जन डॉ मिलिंद देवगांवकर ने बताया कि आरोग्यधाम में आयुर्वेद एवं मॉडर्न मेडिसन के साथ इंटीग्रेटेड थेरेपी का मॉडल तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। आयुर्वेद में बहुत अच्छी दवाइयां हैं, उसको साइंटिफिक तरीके से बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस पर भागवत ने कहा कि चिकित्सा में एक और विचार करना चाहिए जैसे इंटीग्रेटेड थेरेपी एक अलग बात है, वैसे ही स्पेसिफिक थेरेपी भी है। हर व्यक्ति की प्रवृत्ति अलग-अलग होती है पॉलीसिस्टेमिक रिलीफ उसमें सब उपलब्ध है। उसकी कुछ हिस्ट्री है कुछ लक्षण है उसके आधार पर उपचार किया जाना चाहिए।
हमारा काम है संपर्क के जरिए लोगों को संस्कारवान बनाना। डीआरआई इसी कार्य में लगा हुआ है। सभी कार्यकर्ता इस दिशा में पूरी ईमानदारी से लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि काम हमें अनुभवी बनाता है। लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता तथा विचारों के प्रति समर्पण हमें संगठन में टिकाए रखता है।
इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन, कोषाध्यक्ष बसंत पंडित एवं महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ठ, उप महाप्रबंधक डॉ अनिल जायसवाल सहित संस्थान के सभी प्रकल्पों के प्रभारी एवं समाज शिल्पी दंपत्ति उपस्थित रहे।
मंगलवार की सुबह सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा संघ स्थान के बाद आरोग्यधाम में मंदाकिनी कॉटेज के समीप (पंचवटी) 5 पौधों का रोपण किया गया। पंचवटी में पांच प्रकार बड़, पीपल, आंवला, अशोक और बेल के पौधे लगाए गए। ये पौधे सबसे ज्यादा आक्सीजन देने वाले हैं।