योगी सरकार करेगी दो चरणों में खरीफ फसलों की ई-पड़ताल, अन्नदाताओं को होगा बड़ा लाभ

लखनऊ (अवनीश अवस्थी)। उत्तर प्रदेश में अन्नदाताओं को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए योगी सरकार प्रयासरत हैं। योगी सरकार ने मोदी सरकार की एग्रीस्टैक योजना को यूपी में वृहद स्तर पर लागू करने की कार्ययोजना पर काम करना शुरू कर दिया है।मोदी सरकार द्वारा फसलों के निरीक्षण और अन्नदाताओं को लाभ पहुंचाने के दृष्टिगत एग्रीस्टैक योजना की शुरुआत की गई है।इसका उद्देश्य देश में फसलों का एक केंद्रीयकृत डाटाबेस तैयार करना है।

 

यह डाटाबेस अन्नदाताओं के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन की तरह काम करेगा।जहां उन्हें फसल संबंधी समस्याओं के निराकरण, सरकारी अनुदान व प्रशस्ति प्रबंधन और विस्तृत बाजार तक पहुंच जैसी अनेकों सुविधाएं मुहैया हो सकेंगी। इसी तर्ज पर कार्य करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप यूपी में ई-पड़ताल सर्वे को अंजाम देने की विस्तृत रूपरेखा पर कार्य शुरू हो गया है।

 

खास बात यह है कि मौजूदा खरीफ सीजन के मध्य राज्य में इस सर्वे को अंजाम देने के लिए 3 करोड़ से ज्यादा कृषि योग्य रजिस्टर्ड भूमि को चिन्हित किया गया है। यह सर्वे 10 अगस्त से 25 सितंबर के बीच दो चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में 21 जबकि दूसरे चरण में 54 जिलों में ई-पड़ताल सर्वे को अंजाम देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए पहले ही जिला और तहसील समेत कुल 4 स्तरीय समितियों का गठन हो चुका है। इसके अंतर्गत मुख्य सचिव खुद स्टीयरिंग कमेटी की अध्यक्षता करेंगे जबकि अन्य समितियां इंप्लीमेंटेशन समिति के अंतर्गत कार्य करेंगी। सर्वे को अंजाम देने के लिए सभी स्तरों पर ट्रेनिंग, मॉनिटरिंग व मेंटोरिंग जैसे अहम पहलुओं को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से कार्यशाला व बैठकों के आयोजन का दौर निरंतर जारी है।

 

ई-पड़ताल को यूपी में महज एक फसलों का डाटा एकत्रित करने वाले सर्वे के तौर पर नहीं बल्कि 6 सूत्रीय लाभ का जरिया मानकर क्रियान्वित करने की रूपरेखा रखी गई है। दरअसल इसके जरिए एकत्रित डाटा के आधार पर अन्नदाता बैंकों से केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) योजना के अंतर्गत अनुदान प्राप्त कर सकेंगे। वहीं फसलों के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) निर्धारण का भी यह एक सशक्त जरिया बन सकेगा। इसके अतिरिक्त, सॉइल हेल्थकार्ड योजना के जरिए ई-पड़ताल से जुटाए गए आंकड़े कृषि योग्य भूमि के मृदा निरीक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण योगदान निभाएंगे।

 

इससे अन्नदाताओं को अपनी भूमि की उर्वरता के आधार पर फसलों की बोआई का उचित विकल्प मिल सकेगा। वहीं कृषि भूमि पर फसलों के समुचित क्रॉप एरिया के निर्धारण और अन्नदाताओं को फसल संबंधी कस्टमाइज्ड एडवायजरी जारी करने के लिहाज से भी ई-पड़ताल सर्वे प्रमुख भूमिका निभाएगा। कुल मिलाकर, सर्वे में यूपी के 75 जिलों के 350 तहसीलों के अंतर्गत आने वाले 31002 लेखपाल अधीन क्षेत्रों के 35983 ई-पड़ताल क्लस्टर्स के आंकड़ों को समावेशित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है,जिसे क्रियान्वित करने की तैयारी अभी से शुरू हो गई है।

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