एसडीएम का जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त
झाँसी : विवाहित व दो बच्चों का पिता होने के बाद भी छात्रा को शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने तथा जान से मारने की धमकी के मामले में कारागार में बंद एसडीएम का जमानत प्रार्थना पत्र प्रभारी विशेष न्यायाधीश, एससी/एसटी एक्ट अधिनियम नितेन्द्र कुमार की अदालत में निरस्त कर दिया गया।
जिला शासकीय अधिवक्ता मृदुल कान्त श्रीवास्तव के अनुसार वादिनी मुकदमा ने थाना नवाबाद में नामजद अभियुक्त सौजन्य कुमार विकास के धारा ४२०, ३७६, ५०४, ५०६ भा. द. सं एवं धारा ६७ सूचना प्रोद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम २००८ के रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि वह बीटीसी की छात्रा है। सौजन्य कुमार विकास उरई, जिला जालौन में उपजिलाधिकारी के पद पर कार्यरत है और उसके पड़ोस में आना जाना रहा। पहचान होने पर वह आये दिन हमेशा मिलते जुलते रहे और शादी का झांसा देकर साथ रहते हुए शारीरिक संबंध बनाये।
बाद में पता चला कि सौजन्य कुमार विकास एक शादीशुदा व दो बच्चों का पिता है। उसने शादी से स्पष्ट मना कर दिया। उक्त एसडीएम का इसी बीच मई २०१८ में चित्रकूट ट्रांसफर उपजिलाधिकारी के पद पर हुआ। वह जबरिया ताकत के बल पर आना जाना बनाये रहे व उसके परिवार वालों को धमकाता रहा। उपजिलाधिकारी चित्रकूट ने उसके परिवार वालो के मोबाइल पर तरह तरह की धमकियों भरे व्हाटसएप से मैसिज किये।
उक्त मामले में गुरुवार को अभियुक्त द्वारा प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त ने लोक सेवक के पद पर रहते हुए बादिया को छल -शादी का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार किया तथा गाली गलौज कर जान से मारने की धमकी दी। अभियोजन द्वारा यह भी कथन किया गया कि अभियुक्त की उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय से अग्रिम जमानत की याचिका खारिज हो चुकी है। अभियुक्त का जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किए जाने योग्य है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने जमानत दिए जाने का पर्याप्त आधार नहीं मानते हुए अभियुक्त सौजन्य कुमार विकास का धारा ४२०,३७६, ५०४, ५०६ भा. द. सं एवं धारा ६७ सूचना प्रोद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम २००८ के तहत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।