गैंगस्टर एक्ट के तहत अलग-अलग मामलों में अभियुक्तों के जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त
झाँसी : विशेष न्यायाधीश गिरोह बंद अधि०/ अपर सत्र न्यायाधीश न्यायालय सं० ३, सुयश प्रकाश श्रीवास्तव की अदालत में गैंगस्टर एक्ट के तहत अलग-अलग मामलों में अभियुक्तों द्वारा प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिए गए।
जानकारी देते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राहुल शर्मा ने बताया कि सुसंगठित गिरोह के सदस्यों द्वारा समाज विरोधी क्रिया कलाप अपराधों में संलिप्त रहते हुए गैंग लीडर स्वयं तथा अपने साथियों को आर्थिक व भौतिक लाभ हेतु आपराधिक वारदातें कर लोगों में भय उत्पन्न कर समाज विरोधी क्रियाकलापो में संलिप्त गिरोहों के विरूद्ध धारा ३(१) गिरोह बन्द एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधि० १९८६ के अन्तर्गत विभिन्न थानों की पुलिस द्वारा कार्यवाही अमल में लाई गई थी। अभियुक्तों की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई उपरांत पर्याप्त आधार नहीं मानते हुए न्यायालय द्वारा उनके प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिये गये।
न्यायालय द्वारा अभियुक्त अर्जुन सिंह पोर्ते पुत्र स्व० चन्द्रभान सिंह, निवासी- ग्राम बेलहा थाना पचपेड़ी (मस्तूरी) जिला विलासपुर, अभियुक्त रामचरन पोर्ते पुत्र स्व० कुँवरलाल, निवासी- ग्राम वरभाठाथाना कोटा जिला विलासपुर, अभियुक्त दरियाब उर्फ दुरू गौड़ पुत्र कमल सिंह, निवासी- ग्राम बेलहा थाना पचपेड़ी (मस्तूरी) जिला विलासपुर, अभियुक्त कालीचरन पाल पुत्र अच्छेलाल पाल, निवासी- सैदनगर थाना- कोटरा जिला जालौन, अभियुक्त शिवनन्दन सिंह पोर्ते पुत्र स्व० नारायण सिंह,निवासी- ग्राम बेलहा थाना पचपेड़ी (मस्तूरी) जिला विलासपुर, अभियुक्त रघुवीर सिंह मराबी पुत्र जगदीश सिंह, निवासी-ग्राम बेलहा थाना पचपेड़ी ( ब्लाक मस्तूरी) जिला विलासपुर अभियुक्त गौरव उर्फ गोलू कुशवाहा पुत्र हरी सिंह, निवासी देवलाल चौबे का अखाड़ा थाना कोतवाली झाँसी, अभियुक्त अंकुश यादव पुत्र माते यादव निवासी ग्राम बेहटा थाना सीपरी बाजार झाँसी, अभियुक्तगण विशाल पुत्र अर्जुन यादव, अरविन्द पुत्र भगवती, निवासीगण ग्राम भोजला झाँसी, अभियुक्त राजू खान उर्फ अल्ताफ तनय अवरार खान निवासी- चिरगांव, अभियुक्त मानवेन्द्र ढीमर वर्ष पुत्र रमेश ढीमर, निवासी ग्राम बामौर एरच, अभियुक्त अरबाज पुत्र शमशाद निवासी दरीगरान थाना कोतवाली झाँसी के गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमे में प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई करते हुए रिहाई के लिए आधार पर्याप्त नहीं पाते हुए न्यायालय द्वारा सभी अभियुक्तों के प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिए गए।