अपात्रों को आवास देने के मामले में टॉप10 सूची में शामिल है फतेहपुर जनपद
अमीरों” को “आवास” देने में “फतेहपुर” जिला “प्रदेश” में “08-नंबरी
👉बीडीओ,प्रधान एवं सचिव की तिकड़ी का तिलिस्म तोड़ पाने में असफल हैं अधिकारी
👉पात्र को अपात्र व अपात्र को पात्र बनाने के खेल में माहिर है त्रिमूर्ति
👉भ्रष्टाचारियों पर लगाम न लगने से सरकार का पूरा नहीं हो पा रहा अंत्योदय का सपना
फतेहपुर (चंद्रिका दीक्षित)। अकेले सितंबर माह के शुरुआती दिनों में हुई बारिश से जिले के विभिन्न कोनों से कई ऐसी तस्वीरें सामने आईं जिनमें कच्चे मकान भरभरा कर ढह जाने से या तो लोगों की जान गई या फिर उन्हें घायल होना पड़ा।ये हालात केवल इस महीने के नहीं हैं बल्कि जब भी बरसात होती है साल-दर-साल एक छत की आश में गरीबों के ढहते आशियानें सुर्खियों में रहते हैं।* यहां प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 1लाख 10हजार के करीब आवास तो दे दिए गए लेकिन गरीबों का एक बड़ा कुनबा पक्की छत के लिए अभी भी तरस रहा है।अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह घर जा कहां रहे हैं। *एक रिपोर्ट यह बताने के लिए काफी है कि अमीरों को घर देने के मामले में फतेहपुर जिला प्रदेश में 08वें नंबर पर है।
जिले की आबादी 29 लाख के करीब है और यहां बहुधा आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में है जो खेती,किसानी और मजदूरी पर निर्भर है।इन्हीं से रोजी-रोजगार व काम कर गरीब अपने परिवार पाल रहे हैं। *शासकीय योजनाएं हर गरीब तक पहुंचे यह शासन-प्रशासन का सपना जरूर है लेकिन गरीबों के हकों में डांका अपात्र व अमीर अभी भी डाल रहे हैं।* इसी का नतीजा है कि गरीबी है कि जिले से हटने का नाम ही नहीं ले रही। *पहले इंदिरा आवास फिर लोहिया आवास और अब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवासों की बड़ी खेपें आने के बावजूद हर गरीब को पक्की छत नसीब नहीं हो सकी है।खंड विकास अधिकारी,ग्राम प्रधान एवं ग्राम पंचायत सचिवों की त्रिमूर्ति के बड़े कारनामें ने गरीबों के हकों पर बड़ा ब्रेकर लगा कर रखा है।कहानी भ्रष्टाचार से शुरू होकर भ्रष्टाचार में ही खत्म होती है।* पात्र को अपात्र बनाकर धन की उगाही करने एवं मिलने वाले आवासों में पैसों की वसूली कोई नई बात नहीं है।इसकी शिकायतें होती रहती हैं *लेकिन भ्रष्टाचारियों पर नकेल ना कस पाने की वजह से सरकार का अंत्योदय का सपना सरकार नहीं हो पा रहा है।
हालिया कुछ दिन पहले हुई बरसात के बाद असोथर क्षेत्र के बिलारीमऊ में कच्ची कोठारी गिरने से एक युवक सोनू को काल के गाल में समाना पड़ा तो एक बच्चा व वृद्धा घायल हो गयी।मिश्रामऊ की मंजू देवी पर भी बरसात ने कहर बरपाया।कच्ची कोठरी गिर गई और उसकी मौत हो गई।सरौली की पिंकी,भोलेपुरवा के बाबूलाल, प्यारेलाल, लल्लू दपसौरा की अनीता एवं ललौली के सातआना के शिवकुमार,रमदेईया,रीना,भूरा नमूने के ऐसे उदाहरण हैं जो कच्चे मकान ढह जाने की वजह से मौत का आमना-सामना कर वापस आए हैं। *अनगिनत ऐसे लोग हैं जिन्हें एक अदद छत की तलाश है।ये सब जरूरतमंद हैं फिर भी कहीं भ्रष्टाचारियों की नजर लगी तो कहीं सरकारी खानापूरी ने उनकी समस्या को जस का तस बनाकर रखा।* एक रिपोर्ट जो सामने आई है उसमें वर्ष 2016-17 से वर्ष 2023-24 में पूरे प्रदेश में 9217अमीरों को आवास दिए गए। *इनमें टॉप-10 के जो 10 जिले हैं उनमें प्रयागराज मंडल के प्रतापगढ़ और फतेहपुर का नाम भी शामिल है।
इन टॉप-10 जनपदों ने अकेले 3340 अमीरों को आवास देने में खूब उदारता दिखाई और अब इनसे 54.61करोड रुपए की रिकवरी होनी है। *अमीरों को आवास देने में नंबर एक में प्रदेश में बहराइच जनपद है जिसने 816,प्रतापगढ़ ने 475,सीतापुर ने 375,बलिया ने 326,हरदोई ने 300,रायबरेली ने 286,सुल्तानपुर ने 263 एवं फतेहपुर जिले ने 209 अमीरों को आवास दे दिए।आजमगढ़ 187आवास के साथ 09वें नंबर पर और औरैया 103आवास के साथ 10वें नंबर पर प्रदेश सूची में शामिल है।* जब इस तरह से आवासों को देने में लापरवाही व उदासीनता बरती जाएगी तो फिर जाहिर सी बात है कि गैर जरूरतमंद तो नजरानों की आड़ में अपना उल्लू सीधा करने में कामयाब हो जाएगा लेकिन गरीब इसी तरह तरसता नजर आएगा। *अभी भी आवासों के लिए गरीबों की लंबी लाइन अफसरों की तरफ कातर निगाहों से देख रही है।परियोजना निदेशक शेषमणि सिंह का कहना है कि जिन अपात्रों को गलत आवास दिए गए हैं उनसे रिकवरी की जा रही है। वर्ष 2011व 18 के सर्वे में जो पात्र आवासों से वंचित हैं उन्हें सूचीबद्ध कराकर आवासों से आच्छादित किया जाएगा।