विश्व स्तनपान सप्ताह : मां के दूध से बच्चे की बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

स्तनपान सुरक्षा की जिम्मेदारी, साझा जिम्मेदारी

झाँसी : हर बार की तरह इस बार भी विश्व स्तनपात सप्ताह अगस्त के पहले सप्ताह में मनाया जाएगा। झाँसी सहित पूरे विश्व में एक अगस्त से सात अगस्त तक चलने वाला इस सात दिवसीय अभियान के दौरान यह संदेश दिया जाता है कि जन्म के बाद स्तनपात बच्चे का मौलिक अधिकार है। स्तनपान मां की बेहतर सेहत के लिए भी जरूरी है। स्वस्थ्य माँ और बच्चा ही स्वस्थ्य समाज का निर्माण कर पाएंगे। इस बार कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए फ्रंटलाइन वर्कर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जाकर गर्भवती और माताओं को स्तनपान के बारे में जागरुक करेगी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जीके निगम का कहना है कि कोविड संक्रमण काल में स्तनपान का महत्व और भी बढ़ जाता है। स्तनपान से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के रिपोर्ट के आधार पर प्रत्येक मां यहां तक कि कोविड उपचाराधीन मां भी स्तनपान करा सकती है।

अभी तक किसी भी शोध में यह साबित नहीं हुआ है कि कोरोना वायरस मां के दूध से शिशु में पहुंच सकता है। बस मां को दूध पिलाते वक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। दूध पिलाने से पहले स्तनों को और खुद के हाथ साबुन से कम से कम 40 सेंकेड तक साफ करना चाहिए और नाक, चेहरे व मुंह में मास्क लगाना चाहिए। यदि मां दूध पिलाने में असमर्थ है तो उस स्थिति में परिवार के किसी सदस्य के सहयोग से मां के दूध को साफ कटोरी में निकालकर चम्मच से पिलाया जा सकता है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ एनके जैन ने बताया कि कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ने की चर्चा के बीच यह भी जानना जरूरी है कि जो माताएं बच्चे को सही समय पर और सही तरीके से भरपूर स्तनपान कराती हैं, उन्हें बच्चे को लेकर बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। मां के दूध की अहमियत सर्वविदित है। यह बच्चे को रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करने के साथ ही उसे आयुष्मान भी बनाता है।

कोरोना ही नहीं बल्कि कई अन्य संक्रामक बीमारियों से मां का दूध बच्चे को पूरी तरह से महफूज बनाता है। इसलिए स्तनपान के फायदे को जानना हर महिला के लिए बहुत ही जरूरी है। इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए ही इस साल इस सप्ताह की थीम-‘स्तनपान सुरक्षा की जिम्मेदारी, साझा जिम्मेदारी’ तय की गयी है।

चार “स” से बताए स्तनपान कराने की सही स्थिति

जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी विजयश्री शुक्ला ने चार “स” से स्तनपान के लिए सही स्थिति बताई। उन्होने बताया पहले ‘स’ से सीधादृ शिशु का सिर सीधा रखना, दूसरे ‘स’ से सहारादृ शिशु को स्तनपान करते समय कोई सहारा देना, तीसरा ‘स’ से समीप- स्तनपान कराते समय शिशु का मुख और माँ पर्याप्त समीप होना, और चैथे ‘स’ से अभिप्राय है सामनेदृ स्तनपान कराते समय शिशु का मुख माँ के सामने होना।

यह भी जानना जरूरी

यदि केवल स्तनपान कर रहा शिशु 24 घंटे में छह से आठ बार पेशाब करता है, स्तनपान के बाद कम से कम दो घंटे की नींद ले रहा है और उसका वजन हर माह करीब 500 ग्राम बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि शिशु को मां का पूरा दूध मिल रहा है।

स्तनपान के फायदे

शिशु के लिए सर्वोत्तम पोषक तत्व, सर्वोच्च मानसिक विकास में सहायक, संक्रमण से सुरक्षा (दस्त-निमोनिया),दमा एवं एलर्जी से सुरक्षा, शिशु के ठंडा होने से बचाव, प्रौढ़ एवं वृद्ध होने पर उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से सुरक्षा।

मां के लिए स्तनपान के फायदे

मां के लिए भी स्तनपान से बड़े फायदे हैं। जन्म के पश्चात बच्चेदानी के जल्दी सिकुड़ना व रक्तस्राव एवं एनीमिया से बचाव, कारगर गर्भनिरोधक ,मोटापा कम करने और शरीर को सुडौल बनाने में सहायक, स्तन एवं अंडाशय के कैंसर से बचाव भी बने रहते हैं।

Kuldeep Tripathi

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