हिम्मत: घर में रहकर ही पूरे परिवार ने दी कोरोना को मात
टीबी ग्रसित पत्नी, को-मोर्बिड पति और 10 साल की नातिन भी थी शामिल
झाँसी : पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों के कोरोना की चपेट में आने से स्थिति गंभीर होने का अंदेशा बना रहता है। इस अंदेशे को झुठलाते हुए जनपद के एक ऐसे परिवार ने होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना को मात दी, जिस परिवार में एक महिला टीबी से ग्रसित थी। एक व्यक्ति कोमोरबिड (जिसे दो या दो से अधिक बीमारियाँ हों) था, तो उपचाराधीनों में 10 साल की बेटी भी शामिल थी। इस परिवार के चार लोगों ने अपनी हिम्मत और सतर्कता के बल पर होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना से जंग जीत ली।
परिवार की देखभाल कर रहीं बेटी मनीषा बताती हैं कि उनकी 64 वर्षीय मां को-मोर्बिड तो थी हीं और छह महीने पहले ही जाँच में उन्हें स्पाइनल टीबी की पुष्टि हुयी थी। वह सही से उठ बैठ नहीं पाती हैं। उनका ग्वालियर से इलाज भी चल रहा है।
कोविड की दूसरी लहर की शुरुआत में सबसे पहले 80 वर्षीय पिता मैथ्यू मसीह कोविड पाॅजिटिव हुए। उनकी देखभाल करते हुये पहले मां लिरिस, फिर मेरी 10 साल की भतीजी धानी और आखिर में मेरी बहन शीना कोविड का शिकार हो गयी। हम बस कोविड जांच और दवाइयों में ही उलझकर रह गए।
भतीजी के बीमार पड़ने पर टूटने लगा हौंसला
पेशे से अध्यापक मनीषा एक ओर परिवार की देखभाल में लगी थी वही दूसरी ओर ऑनलाइन क्लास के साथ बच्चों को भी पढ़ा रही थी। मनीषा बताती है वह परिवार की देखभाल के साथ प्रतिदिन डॉक्टर के संपर्क में रहतीं थीं। डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही उन्होंने माता-पिता को दवाइयां दी।
मनीषा बताती हैं, मम्मी पापा की उम्र और बीमारियों को देखते हुये मन में हर पल डर बना रहता था। फिर बच्चों पर इसके असर को सुना और उसके बाद भतीजी की भी तबीयत खराब हुई तो हौसला एकदम टूट रहा था। लेकिन, धैर्य और कोविड के उचित प्रोटोकॉल के साथ हम यह जंग जीत पाए।
प्रोटोकॉल पर बात करते हुये मनीषा ने बताया कि चारों लोगों के कोविड पॉजिटिव होने के बाद हमने उनको अलग-अलग आइसोलेट किया। दवाओं के साथ सुबह-शाम भाप दिलाना, गरारे करवाना, काढ़ा देना, गरम पानी, पौष्टिक खाना और पूरे टाइम मास्क लगाकर रखना आदि कार्य किए। इसके साथ ही उनका ऑक्सीजन लेवल, रक्तचाप और शरीर के तापमान को मॉनिटर करते रहते थे। परिणाम स्वरूप अब सब स्वस्थ हैं।
मनीषा बताती है कि ऐसी स्थिति में मानसिक संतुलन सही रखना बहुत कठिन होता है, लेकिन यही सबसे ज्यादा जरूरी भी होता है। यदि आप सकारात्मक हैं तो बीमारी से उबरने में बहुत मदद मिलती है।
रॉबिनहुड आर्मी की सक्रिय सदस्य हैं मनीषा
रॉबिन हुड आर्मी एक वालंटियर ग्रुप है, जो खाने की बर्बादी को बचाने से लेकर कई सामाजिक हित के कार्य करता है। मनीषा इसकी एक सक्रिय सदस्य हैं और पिछले आठ दिनों से मलिन बस्तियों में भोजन पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।