तीन दिवसीय मछली स्वास्थ्य प्रबंधन एवं रोग निदान प्रशिक्षण का हुआ शुभारम्भ
झाँसी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली – केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुम्बई एवं रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के संयुक्त तत्त्वाधान में अनुसूचित जाति उप-योजना (एससी एसपी) के अंतर्गत तीन दिवसीय मछली स्वास्थ्य प्रबंधन एवं रोग निदान के प्रशिक्षण का शुभारंभ कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह ने किया।
अधिष्ठाता मत्स्य डॉ बीके बेहेरा ने सभी अतिथियों का स्वागत परिचय कराते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण से बुंदेलखण्ड क्षेत्र के मछली पालक मछली के रोग पहचानने के साथ – साथ उसका निराकरण भी कर पाएंगे एवं इससे सम्बंधित नयी तकनीकियों का इस्तेमाल करते हुए भविष्य में बुंदेलखंड क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन को दुगना कर पाएंगे। अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने सभी मछली पालको को मत्स्य पालन के नवीनतम तकनीकों को अपना कर उत्पादन बढ़ाने की सलाह दी।इसके साथ साथ उन्होंने देश के अन्य क्षेत्र में हो रहे मछली रोग के बारे में जानकारी दी एवं इस प्रशिक्षण से किसान जरूर मछली रोग निदान के क्षेत्र में अग्रसर रहेंगे।
अधिष्ठाता मात्स्यिकी महाविद्यालय डॉ. बी. के. बेहेरा ने बताया कि बुंदेलखण्ड के मछली पालकों को इस प्रशिक्षण के तहत उत्तम बीज तथा मछली खाद्य्य उपलब्ध कराया जायेगा। इसके साथ साथ उन्होंने बुंदेलखंड क्षेत्र में हो रहे मछली रोग एवं उसके निदान के बारे में जानकारी दी। अधिष्ठाता पशु चिकित्सा एवं पशुविज्ञान महाविद्यालय डॉ. वी. पी. सिंह ने बताया कि बुंदेलखण्ड के मछली पालकों के साथ साथ पशुपालन करके दोगुना लाभ कमा सकते हैं। इस प्रकार के प्रशिक्षण द्वारा इस क्षेत्र के मछली पालक आत्मनिर्भर हो सकेंगे एवं अन्य राज्यों पर निर्भरता भी खत्म होगी जिससे ग्राहकों को ताजी मछलीयाँ भी प्राप्त होंगी। उन्होंने बताया की भविष्य में केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुम्बई के साथ इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।
इस प्रशिक्षण में झाँसी एवं दतिया जिले के २५ किसानों ने भाग लिया। इसमें अधिकांश किशोर एवं महिलाएँ शामिल रही। इसी के साथ-साथ प्रशिक्षण के अंतिम दिवस पर विश्वविद्यालय द्वारा मत्स्य पालन में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनी हेतु समाज के कमजोर वर्ग के किसानों के लिए मछली बीज, चारा, सरसों की खली, चूना आदि वितरित किया जायेगा। इस अवसर पर प्रो. इकबाल, डॉ. नीलेश कुमार, डॉ. संजीव कुमार, सत्यनारायण परिडा, अजय कुमार राउत, चरन सिंह कुशवाहा, आदि उपस्थित रहे। संचालन पार्थ सारथी त्रिपाठी एवं आभार व्यक्त डॉ. नीलेश कुमार ने किया।