केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय: जैव संपदा से जीविकोपार्जन एवं व्यवसायीकरण
अटल जय विज्ञान व्याख्यानमाला का 13 वां व्याख्यान दिया
झाँसी : रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी में शनिवार को 13 वें अटल जय विज्ञान व्याख्यान का आयोजन किया गया। कोरोना काल में वर्चुअल माध्यम से आयोजित इस व्याख्यान माला के मुख्य वक्ता डा. संजय कुमार, निदेशक, हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर ने जैव संपदा से जैव अर्थव्यवस्था-जीविकोपार्जन की नये प्रतिमान पर अपना व्याख्यान दिया। यह व्याख्यान केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की परम्परानुसार व्याख्यान माला का 13 वां व्याख्यान था। इस व्याख्यान को देशभर के वैज्ञानिकों शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं ने वर्चुअल माध्यम में उपस्थित होकर सुना।
इस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने में मुख्य योगदान देने वाले डा. अनिल कुमार, निदेशक शिक्षा ने बताया कि हमारे विश्वविद्यालय ने अटल जय विज्ञान व्याख्यानमाला सन् 2018 से भारत रत्न अटल विहारी वाजपेयी की स्मृति में शुरू की थी। हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को हो गया था। इसमें देश के कई जाने माने वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद व्याख्यान प्रस्तुत करते हैं। डा. संजय कुमार ने व्याख्यान में बताया कि हम किस तरह से जैव सम्पदा का संरक्षण कर उसे देशहित में इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान करते हुये कहा कि देश की जैव सम्पदा की जानकारी अवश्य होनी चाहिए ताकि वे उसे सहेज कर जैविक अर्थ व्यवस्था मजबूत कर सकें।
हिमालय जैव सम्पदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में अपने 13 वें अटल जय विज्ञान व्याख्यान जिसका शीर्षक जैव सम्पदा से जैव आर्थिकी जीविकोपार्जन ने नए प्रतिमान पर बोलते हुए कहा कि हिमालय के विभिन्न हिस्सों में पायी जाने वाली पादप जैव विविधता अनेक विशेषताओं से भरी पड़ी है। आवश्यकता इस बात की है कि कैसे आधुनिक एवं अग्रणी विज्ञान की तकनीकों से इनमें पाए जाने वाले विभिन्न पोषक स्वास्थ से भरपूर गुणों एवं घटकों जैसे जीन, प्रोटीन, द्वितीयक उपचयक को पहचान कर उनका व्यवसायीकरण किया जाये और रोजगार के साधन ग्रामीण युवकों को प्रदान किया जा सके।
अत्यंत रोचक व्याख्यान में विभिन्न जैव संसाधनों जैसे हींग, कांगड़ा चाय एवं अन्य पादपों की विशेषताएं एवं उनसे बनने वाले उत्पादों एवं तकनीकों के बारे में बताया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. अरविंद कुमार कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने छात्र-छात्राओं शिक्षकों एवं वैज्ञानिकों को आवाहन किया कि देश की इस बहुमूल्य जैविक सम्पदा का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। इस हेतु हमें अपने विश्वविद्यालय में अधिक शोध कार्य करना होगा ताकि किसानों को अधिक जानकारी उपलब्ध कराई जा सके।
इस कार्यक्रम में डा. अनिल कुमार, डा. एसएस सिंह, डा. एआर शर्मा, डॉ. एसके चतुर्वेदी, डा. एके पांडे, डा. अमेश चंद्रा एवं डा. ए अरूणाचलम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एवं शिक्षक, छात्र-छात्राओं के साथ-साथ देश भर के कई वैज्ञानिक एवं शिक्षक वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन डा. प्रशांत जाम्भूलकर ने किया तथा तकनीकी सहयोग डा. तनुज मिश्रा एवं डा. शैलेंद्र कुमार ने किया।