बुंदेली बारातों में राजस्थानी हवाई जहाज का जलवा
परिवार का जीवकोपार्जन का भी हैं साधन
झांसी। सामान्य ज्ञान के प्रश्नों में आपने पढ़ा ही होगा कि राजस्थान का जहाज ऊंट को कहा जाता है। अब यही राजस्थानी जहाज ऊंट बुंदेलखंड की बारात में अपना जलवा बिखेर रहे हैं। कभी राजाओं के यहां शाही सवारी के साथ ऊंट,हाथी व घोड़े आदि निकालके जाते थे। आज यही शाही सवारियां बारातों व कथाओं की शोभा यात्राओं में देखने को मिलती हैं।
ऊंट के मालिक तालबेहट निवासी मातादीन यादव ने बताया कि उसके पास दो ऊंट हैं। जिन्हें वह शादी समारोह से लेकर कथा भागवत आदि की शोभा यात्राओं में ले जाता है। उसने बताया कि शोभायात्राओं और बारातों में ऊंट को बाकायदा पूरा सुसज्जित करके ले जाया जाता है। यही नहीं तालबेहट से वह पैदल चलकर झांसी तक की बारातें करने आते हैं। पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि पैदल इसलिए चलना पड़ता है क्योंकि ऊंट को सुरक्षित रखने के लिए उनकी देखरेख करनी पड़ती है। हाईवे पर इस चीज का डर रहता है कि कहीं कोई वाहन आदि टक्कर ना मार दे।
बताया कि ऊंट की लंबाई अधिक होने के चलते ऊंट एक ऐसा जानवर है जो जल्दी ही अनियंत्रित होकर गिर पड़ता है। उसने बताया की एक कार्यक्रम के लिए दोनों ऊंट की कीमत ₹5000 तक दी जाती है। इसमें बारातों में वह रात से लेकर सुबह विदाई करने तक उपस्थित रहते हैं। हालांकि महंगाई के इस दौर में और ऊंट जैसे जानवर को पेट भरने के लिए यह रकम नाकाफी है। बावजूद इसके उन्हें यह सब करना ही पड़ता है। अन्यथा की स्थिति में उनके परिवार का जीवकोपार्जन भी बाधित हो सकता है। इसके लिए वह अपने साथ एक अन्य व्यक्ति को भी लेकर चलते हैं ताकि दोनों ऊंट को सुरक्षित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया और ले जाया जा सके। कुछ भी हो वर्तमान में अपने पूर्वजों की परंपराओं को याद करने का फिलहाल ऊंट औपचारिक साधन बने हुए हैं और पैतृक जमीन राजस्थान छोड़कर बुंदेलखंड के पत्थरों पर अपने जलबे बिखेर रहे हैं।