कृषि विवि में प्लांट डाॅक्टर एवं रबी फसलों के बीज उत्पादन, तकनीकें एवं कृषि प्रबंधन पर पाँच दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का हुआ शुभारम्भ

झाँसी। रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह के निर्देशन में अनुसूचित जाति के किसानों के लिए विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित कर उनकी आय दोगुनी करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी श्रृंखला में आज सोमबार से दो पाँच दिवसीय प्रशिक्षण विवि में प्रारम्भ हुए। प्रथम प्रशिक्षण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित परियोजना के अन्र्तगत अनुसूचित जाति के युवाओं को प्लांट डाॅक्टर बनाने का दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण मशरूम प्रयोगशाला उद्यमिता केन्द्र कृषि विवि, झाँसी में दिया जा रहा है। यह आयोजन पादप रोग विज्ञान विभाग, कृषि महाविद्यालय द्वारा किया जा रहा है।

कार्यक्रम संयोजक विभागाध्यक्ष पादप रोग विज्ञान विभाग डाॅ. प्रशांत जाम्भुलकर ने किसान एवं अतिथियों का स्वागत परिचय कराते हुए कहा कि प्लांट डाॅक्टर प्रशिक्षण में झाँसी, निवाड़ी, ललितपुर, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी के छः जिलों से 5-5 किसानों को चयनित किया गया है। यह प्रशिक्षण आज 4 मार्च से प्रारम्भ होकर 8 मार्च तक चलेगा। इसमें 30 किसान प्रशिक्षण ले रहे हैं। अधिष्ठाता कृषि डाॅ. आरके सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि विवि बना रहा है, किसानों को प्लांट डाॅक्टर उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से पशुओं के डाॅक्टर, आयुर्वेदिक डाॅक्टर, मनुष्यों के डाॅक्टर होते हैं। उसी प्रकार से फसलों के भी डाॅक्टर आप प्रशिक्षणार्थी कहलाएंगे।

किसानों की फसलों में जो रोग लग जाता है, उसकी पहचान आपको इस प्रशिक्षण में बतलाई जायेगी। कौन सी दवा किस रोग के काम में आती है, यह भी बतालाया जायेगा। जब सरसों की फसल में माहू रोग लग जाता है, तो किसानों को 30 से 35 प्रतिशत तक नुकसान उठाना पड़ता है। इस प्रशिक्षण से यह जानकारी दी जाएगी कौन सी बीमारी फसलों में लगने बाली है और इसका क्या निदान है। निदेशक शिक्षा डाॅ. अनिल कुमार ने कहा कि आज दुनिया में मौसम परिवर्तन के कारण बदलाव हो रहा है। उसमें भारत भी अछूता नहीं है। यह प्लांट डाॅक्टर बनने के लिए प्रशिक्षण मील का पत्थर साबित होगा। इसमें किसान को यह जानने को मिलेगा कौन – कौन रोग पौधे में होते हैं। विभिन्न जीवाणु पौध को कैसे नुकसान पहुचाते हैं।

इस प्रशिक्षण लेकर अन्य किसानों की भी मदद करें। जितना अच्छा प्लांट डाॅक्टर होगा उतनी ही उसकी फसल अच्छी होगी। इस विवि में मोबाइल प्लांट हैल्थ क्लीनिक वैन भी है। उसकी भी जानकारी आपको दी जायेगी। अध्यक्षीय संबोधन में निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ. एसएस सिंह ने कहा कि जिस प्रकार स्वास्थ्य सेवाओं पर पैसा अधिक खर्च होता है चाहे पशु रोग, फसल रोग, मनुष्य रोग हो। दवाओं का छिड़काव किसानों को मजबूरी में करना पड़ता है जिस प्रकार बिना अंग्रेजी दवाओं के लोगों को आराम नहीं मिलता है लेकिन चिकित्सक सलाह देता है कि सुबह – शाम अवश्य टहलें ऐसे ही फसलों पर लागू होता है। 500 परिवार पर एक प्लांट डाॅक्टर होना अतिआवश्यक है। अभी तक किसान दवा बेचने बालों से पूंछकर दवा ले लेते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में एक ही फसल पर तीन – चार प्रकार की दवाओं का छिड़काव करते रहते हैं। इससे उनका पैसा भी खराब होता है और उस पौध से प्राप्त होने बाली फसल भी दवायुक्त होती है।

 

लेकिन इस प्रशिक्षण से जो किसान प्लांट डाॅक्टर बन तैयार हो रहे हैं। उससे निश्चित ही लाभ प्राप्त होगा। वर्तमान में तमाम नई-नई दवाएं पौधों के क्षेत्र में आई हैं। वह भी आपको बतलाई जायेगी। इस प्रशिक्षण का उद्धेश्य बुंदेलखण्ड में स्वस्थ हों फसलें। इसको साकार करेंगे बनने बाले प्लांट डाॅक्टर। इस अवसर पर डाॅ. अनीता पुयाम, डाॅ. अभिषेक शुक्ला, डाॅ. वैभव सिंह, डाॅ. कुलेश्वर साहू, डाॅ. सुंदर पाल, डाॅ. विजय कुमार मिश्रा उपस्थित रहे। संचालन डाॅ. शुभा त्रिवेदी ने एवं आभार डाॅ. ऊषा ने व्यक्त किया।

द्वितीय प्रशिक्षण प्रसार शिक्षा सभागार में आयोजित किया गया। यह पाँच दिवसीय प्रशिक्षण अनुसूचित जाति समुदाय के कृषकों के लिए किया जा रहा है। इसमें किसानों को प्रमुख रबी फसलों के बीज उत्पादन, तकनीक एवं कृषि प्रबंधन की जानकारी दी जायगी। कार्यक्रम संयोजक वैज्ञानिक आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग डाॅ. अंशुमान सिंह ने बताया कि यह प्रशिक्षण आज 4 मार्च सोमवार से प्रारम्भ होकर 8 मार्च शुक्रवार को समापन होगा। इसमें किसानों को प्रमुख दलहनी, तिलहनी एवं अनाज फसलों के गुणवत्तायुक्त उन्नत बीजों के उत्पादन की जानकारी दी जाएगी।

 

डाॅ. पीपी जाम्भुलकर ने कहा कि किसानों की मुख्य समस्या वर्तमान में मौसम परिवर्तन है। उन्होंने फसलों में लगने बाले रोगों से बचाव की जानकारी दी। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अधिष्ठाता कृषि डाॅ. आरके सिंह ने कहा कि किसान रबी फसलों जैसे चना, मटर, मसूर, सरसों एवं गेहूँ का वैज्ञानिक तरीके से गुणवत्तायुक्त बीज का उत्पादन कर आमदनी में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। उन्होंने किसानों से उन्नत बीजों को उपयोग करने एवं वैज्ञानिक तरीके से खेती करने जिसमें उन्नत सस्य क्रियाएं, कीट एवं रोग प्रबंधन का उचित उपयोग अपनी पारंम्परिक खेती में लाने पर बल दिया।

 

अध्यक्षीय संबोधन में निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ. एसएस सिंह ने कहा कि कृषि विवि विभिन्न प्रशिक्षण देकर किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने किसानों के जीवन स्तर में सुधार हेतु आय के विभिन्न आयामों जैसे खेती में उन्नत बीजों के उत्पादन की महत्ता पर प्रकाश डाला। इसके साथ – साथ उन्होंने किसानों को खेत पर अधिक समय देने पर बल दिया। इस अवसर पर डाॅ. राकेश चौधरी, डाॅ. अर्तिका सिंह आदि उपस्थित रहे। द्वितीय प्रशिक्षण का आभार सहायक प्राध्यापक डाॅ. रूमाना खान ने व्यकत किया।

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