स्वतंत्रता के बाद रानी के अपनों ने अलग कर दी उनकी झांसी
व्यापारियों ने विरोध में चलाया हस्ताक्षर अभियान
झांसी। झांसी रेलवे स्टेशन के स्थान पर वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन किया जाना झांसी की जनता को नागवार गुजर रहा है इसके चलते विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं आज नव वर्ष के अवसर पर व्यापारियों ने हस्ताक्षर अभियान चला कर झांसी का नाम बदलने का विरोध जताया उन्होंने शासन को आगाह करते हुए कहा कि यदि उनके इस विरोध को हल्के में लिया गया तो यह विरोध जन आंदोलन का रूप ले लेगा।
बीते दिनों सांसद अनुराग शर्मा के द्वारा संसद में झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन करने के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए शासन ने इसे स्वीकार लिया। और झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मी बाई कर दिया है। इसको लेकर झांसी वासियों में खासा रोष देखा जा रहा है। लोग इसे वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के अपमान से जोड़कर देख रहे हैं। व्यापारियों ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर लोगों की इस पर राय भी मांगी। व्यापारी नेता उप्र व्यापार मंडल के प्रान्तीय अध्यक्ष संतोष साहू ने बताया कि 1857 में जब देश अंग्रेजों का गुलाम था। तब स्वतंत्रता की दीपशिखा वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई ने अपना स्वर बुलंद करते हुए कहा था कि मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी। अपने इस प्रण का उन्होंने अपने जीते जी पूरा सम्मान रखा। आज जब हमें उनके बलिदान से स्वतंत्रता में सांस लेने का अवसर मिला,तो उनके अपनों ने उनसे उनकी झांसी को छीनने का काम किया है। उन्होंने कहा कि नगर के व्यापारी इसका विरोध करते हैं। साथ ही यह मांग करते हैं कि भले ही झांसी स्टेशन का नाम वीरांगना लक्ष्मी बाई कर दिया जाए लेकिन उसके साथ झांसी जरूर जोड़ा जाए। क्योंकि महारानी लक्ष्मीबाई का नाम झांसी से जुड़ा है। आज करीब डेढ़ सौ व्यापारी व झांसी वासियों ने हस्ताक्षर किया है। हम यह मांग ग्रह मंत्री,मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री तक भेजेंगे। यदि फिर भी न सुना गया तो इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा। इस अवसर पर उनके साथ व्यापारी नेता सोनी समेत तमाम व्यापारी उपस्थित रहे।