श्रावण के दूसरे सोमवार को कालिंजर दुर्ग स्थित नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर में पूरे दिन लगा रहा भक्तों का तांता

बाँदा (लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी)। सावन के दूसरे सोमवार को कालिंजर दुर्ग में पूरे दिन श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहा। दूर दराज से आये तमाम भोलेनाथ के भक्तों ने विराजमान नीलकंठ भगवान पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का कार्य विधि विधान से किया। इस दौरान सोमवारी अमावस्या के कारण मंदिर में काफी भीड़ भाड़ रही।


कालिंजर दुर्ग में विराजमान भगवान श्री नीलकंठ का उल्लेख हिन्दूओ के धर्मग्रन्थों व पुराणों में मिलता हैं।बताया कि जाता हैं कि जब भगवान भोलेनाथ ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया था तो कालिंजर दुर्ग स्थित मंदिर में रुके थे। तब से इस मंदिर को नीलकंठ भगवान के नाम पर लोग हमेसा महादेव की पूजा रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करने लगे।अति प्राचीन धरोहर के रूप में इस किले के चारो ओर बियाबान जंगल मौजूद है। यहां कई शाशक रहे।

दुर्ग के अंतिम शाशक रहे राजा अमान सिंह का महल जो अभी मौजूदा समय विराजमान है।इस महल को वर्तमान में म्यूजियम बना दिया गया।दुर्ग के ऊपर तमाम प्रसिद्ध यस्थल मौजूद है।जिनमे मुख्य रूप से रानी महल,बुद्धा बुद्धि का तालाब, सर्गवाह, मृगधारा आदि हैं।सावन के महीने में नीलकंठ मंदिर में दूर दराज के लोग आते हैं।यहां श्रदाभाव से दर्शन कर भगवान नीलकंठ का रुद्राभिषेक करते है।दूसरे सोमवार में आज सुबह से मंदिर में भक्तों का जाना हुआ।सोमवारी अमावस्या के चलते तमाम श्रद्धालुओं ने नीलकंठ के दर्शन कर जलाभिषेक किया।

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