उम्मीदों एवं न-उम्मीदों के बीच झूलता अंतरिम बजट

डॉ अतुल गोयल

अर्थशास्त्री

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय (झाँसी)

24 जनवरी को दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक के ‘बेसमेंट’ में आयोजित हलवा समारोह के साथ ही बजट 2024 के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई। यहाँ वित्त मंत्रालय तथा वह प्रिटिंग प्रेस स्थित है जिसमें बजट तैयार किया जाता है।

हलवा समारोह में वित्त मंत्री और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल हुए। यह परंपरागत बजट कार्यक्रम है, जिसे बजट को अंतिम रूप देने से पहले मनाया जाता रहा है। वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार हलवा समारोह में, केंद्रीय वित्त मंत्री- सीतारमण के साथ वित्त राज्य मंत्री भागवत के कराड भी मौजूद थे।

समारोह में वित्त और व्यय सचिव डॉ. टी.वी. सोमनाथन, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ, निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग(दीपम) सचिव तुहिन कांत पांडेय और राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा मौजूद थे।
बजट प्रस्तुत होने तक- केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन नितिन गुप्ता, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल, अपर सचिव (बजट) आशीष वच्छानी के अलावा बजट की तैयारी और संकलन प्रक्रिया में शामिल वित्त मंत्रालय के सभी अधिकारी और कर्मचारी इसी बेसमेंट में रहेंगे।

हलवा समारोह के दौरान वित्त मंत्री ने बजट प्रेस का भी दौरा किया और संबंधित अधिकारियों को अपनी शुभकामनाएँ देने के अलावा तैयारियों की समीक्षा की। दरअसल ‘हलवा’ रस्म केंद्र सरकार के बजट की तैयारी में शामिल वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को ‘अलग रखने ’ की प्रक्रिया है। यानी बाहर की दुनिया से वे पूरी तरह अलग हो जाते हैं।

बजट दस्तावेज एक फ़रवरी, 2024 को संसद में केन्द्रीय वित्त मंत्री का बजट भाषण पूरा होने के तुरंत बाद, वार्षिक वित्तीय विवरण ( जिसे बजट के रूप में जाना जाता है) अनुदान मांगें, वित्त विधेयक आदि सहित केंद्रीय बजट के सभी दस्तावेज ‘केंद्रीय बजट मोबाइल ऐप’ पर उपलब्ध होंगे. यह दो भाषाओं (अंग्रेजी और हिंदी) में होंगे और एंड्रॉयड और आईओएस दोनों मंचों पर उपलब्ध होगा. ऐप को केन्द्रीय बजट वेब पोर्टल – www.indiabudget.gov.in से डाउनलोड किया जा सकता है।

 

यह अंतरिम बजट है

सीतारमण वित्त वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट एक फरवरी को पेश करेंगी. यह उनका छठा बजट है जिसे आम चुनाव से पहले पेश करने की चुनौती है। अंतरिम बजट नियमित बजट से निम्न प्रकार से भिन्न होता है-
अंतरिम बजट के माध्यम से पारित वोट-ऑन-अकाउंट में सरकार से वित्तीय वर्ष के एक हिस्से के खर्चों को पूरा करने के लिए संसदीय मंज़ूरी मांगी जाती है।

जब चुनाव नज़दीक हों तो सरकार के लिए पूर्ण बजट पेश करना व्यावहारिक नहीं है, इसलिए सरकार अंतरिम बजट पेश करती है, जो संक्रमण काल (सत्ता में कुछ महीने शेष रहने) के बजट की तरह होता है। इसमें नियमित बजट की तरह ही पूरे साल का अनुमान पेश किया जाता है.
जब नई सरकार नया बजट बनाती है, तो वह उचित समझे जाने पर अनुमानों से सहमत हो सकती है या बदलाव कर सकती है। संविधान, सरकार को अंतरिम बजट में कर व्यवस्था में बदलाव करने की शक्ति देता है।

विभिन्न सरकारों द्वारा अब तक पेश किए गए सभी 14 अंतरिम बजटों में, इस तथ्य का सम्मान करते हुए कोई बड़े कर परिवर्तन या नई योजनाओं की घोषणा नहीं की गई है, क्योंकि नैतिक रूप से सरकार केवल कुछ महीनों के लिए सत्ता में रहने वाली है।

 

आम तौर पर, वार्षिक बजट में दो खंड होते हैं –

पिछले वर्ष की आय और व्यय पर रिपोर्ट
आगामी वर्ष के लिए प्रस्तावित आय सृजन और व्यय

अंतरिम बजट में पहला भाग वार्षिक बजट के समान होता है, यानी पिछले वर्ष की आय और व्यय, लेकिन इस बजट में चुनाव तक प्रस्तावित बुनियादी खर्चों का दस्तावेज़ीकरण ही शामिल किया जाता है।
अंतरिम बजट में   चुनाव आयोग ने इस आशय के नियम दिए हैं कि मतदाताओं को गलत तरीके से प्रभावित करने वाले किसी भी बड़े नीतिगत बदलाव की अनुमति नहीं होगी, इसलिए आम जनता को इस बजट में रेवड़ी बंटने या बहुत अधिक सुविधा बढ़ने की उम्मीद नहीं करना चाहिए। वैसे भी वर्तमान सरकार स्थिर है और इसे दोबारा सत्ता में लौटने का पूरा विश्वास है इसलिए यह “परम्परा को तोड़ने का जोखिम” क़तई नहीं लेगी।

 

उम्मीदें एवं न- उम्मीदें

ऐसी सम्भावना है कि इस बजट में अमीर किसानों को टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति की सदस्य आशिमा गोयल ने आयकर में निष्पक्षता लाने के लिए इसकी सिफारिश की है।
आशिमा गोयल कहना है कि गरीब किसानों के खातों में पैसे भेजकर सरकार किसानों की मदद करती है, इसलिए अब टैक्स सिस्टम को संतुलित बनाने की जरूरत है।
अंतरिम बजट में अमीर किसानों को टैक्स के दायरे में लाने के लिए ऐलान किया जा सकता है, अभी खेती से होने वाली आय को आयकर सेक्शन 2(1ए) में दी गई सूची के अनुसार, धारा 10(1) के अंतर्गत छूट प्राप्त है।
अंतरिम बजट में सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठा सकती है।वित्त वर्ष 2023-24 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर एक साल पहले के 4 प्रतिशत से घटकर 1.8 प्रतिशत रह गई थी।

वर्ष 2019 के आम चुनाव से पहले पेश अंतरिम बजट में सरकार ने पीएम-किसान सम्मान निधि की घोषणा की थी, जिसके तहत छोटे किसानों को सालाना 6,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से 30 नवंबर, 2023 तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को 2.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किए जा चुके हैं। चुनावी साल में ऐसी उम्मीदें हैं कि आगामी बजट में सहायता की मात्रा बढ़ सकती है। सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 22-25 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा भी कर सकती है।

चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार का कृषि-ऋण लक्ष्य 20 लाख करोड़ रुपये है। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर, 2023 तक 20 लाख करोड़ रुपये के कृषि-ऋण लक्ष्य का लगभग 82 प्रतिशत हासिल कर लिया गया है।
भारतीय उद्योग परिसंघ का विचार है कि अंतरिम बजट में समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों को प्रमुख प्राथमिकता दी जानी चाहिए। कृषि में बर्बादी या नुकसान को कम करने के लिए भंडारण को बढ़ावा देने का सुझाव दिया गया था। इसके लिए सरकार अंतरिम बजट में इलेक्ट्रॉनिक नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीदों कवरेज बढ़ा सकती है।

उद्योग चैंबर द्वारा किसानों को सीधे नकद हस्तांतरण के रूप में उर्वरक सब्सिडी देने की दिशा में आगे बढ़ने का भी मुद्दा उठाया गया है। माना जा रहा है कि सरकार किसानों को रिझाने के लिए बजटीय समर्थन दे सकती है।
कृषि में अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों का लाभ उठाने के लिए भारत को मजबूत किसान उत्पादक संगठनों की आवश्यकता है। उच्च कृषि बीमा परिव्यय, ग्रामीण रोजगार योजनाओं में अधिक निवेश, बेहतर सिंचाई सुविधाएँ और बेहतर ग्रामीण बुनियादी ढांचे से भारत कृषि उत्पादन में एक बड़ा अंतर पैदा कर सकता है।
वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में, सीतारमण ने कृषि शिक्षा और अनुसंधान सहित कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय को 1.25 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे ।वित्त वर्ष 2013-14 में यह आवंटन 27,662.67 करोड़ था।

इस अंतरिम बजट में सरकार द्वारा, कृषि को बढ़ावा देने के लिए की गई पहल को जारी रखने, पीएम-किसान सम्मान निधि में कुछ वृद्धि और ग्रामीण खर्च में बढ़ोतरी की उम्मीद हैं। बजट में सर्वाधिक दिलचस्पी निवेशकों को होती है, निवेशकों को यह सर्वाधिक प्रभावित करता है। ऐसे समय निवेशकों को क्या करना चाहिए ?
क्या वे कोई बड़े सुधारों की उम्मीद करें ?
हमारा मानना है कि निवेशक को आगामी बजट में राजकोषीय नीति में अनुशासन के अलावा नियामक माहौल और नीतिगत मामलों में स्थिरता की उम्मीद करनी चाहिए।

निवेशक इस आगामी अंतरिम बजट में बड़े सुधारों की उम्मीद नहीं करें और किसी भी महत्वपूर्ण सुधार के लिए चुनाव के बाद पूर्ण बजट का इंतजार करें।
इस अंतरिम बजट में रक्षा, रेलवे और पूंजीगत सामान कंपनियों पर फोकस में रहने की उम्मीद की जा सकती है।
यदि सरकार अपने राजकोषीय समेकन लक्ष्य को गम्भीरता से लेती है, तो एनबीएफसी और बैंकों को तरलता दबाव कम होने से लाभ होने की उम्मीद की जा सकती है।

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