किसी भी धर्म के विरुद्ध नहीं है, समान नागरिक संहिता : डॉ शालिनी अली
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के तत्वावधान में हुई जागरूकता गोष्ठी
झाँसी। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने वन नेशन, वन पीपल, वन लॉ यानी कॉमन सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) देश भर में ज़ोरदार मुहिम शुरू किया हैं। झाँसी के ताज कंपाउंड स्थित कलाम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी में आयोजित मुस्लिम बुद्धिजीवी जागरूकता संगोष्ठी में अखिल भारतीय मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला प्रमुख डॉ शालिनी अली ने कहा कि समान नागरिक संहिता भारत के किसी भी धर्म के ख़िलाफ़ नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रचार किया जा रहा है कि यह क़ानून अल्पसंख्यकों के विरुद्ध है। विश्व के अनेक देशों में रहने वाले वहां के नागरिकों, विशेष रूप से वहाँ के मुस्लिम वर्ग को भी कोई आपत्ति नहीं होती है। वहां का मुस्लिम, वहीं के कानून को मानता है। फिर आखिर भारत में ही ऐसा क्यों है कि मुस्लिमों को इसमें शक या संदेह होता है? उन्होंने कहा कि भारत में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने दशकों से मुस्लिमों को डरा सहमा कर रखा हुआ है।
मंच के हिन्दुस्तान फर्स्ट हिन्दुस्तानी बेस्ट के राष्ट्रीय संयोजक बिलाल रहमान ने कहा कि पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो एक कानून द्वारा शासित न हो। इसलिए हमें अपनी विविधता का जश्न मनाकर “एक राष्ट्र, एक कानून” के विचार को बरकरार रखते हुए एक उदाहरण पेश करना होगा।
एक देश, एक कानून समूचे भारत के लिए एक कानून की वकालत करती है, जो शादी, तलाक, उत्तराधिकार एवं गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा, यह क़ानून किसी भी धर्म के आंतरिक मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करता है। मंच का साफ तौर पर मानना है कि जिन्हें इस पर संदेह है, उन्हें विचलित नहीं होना चाहिए बल्कि, उन्हें सभी को समझने और समझाने की कोशिश करनी चाहिए। देश में इतने सारे धर्म हैं और उन सभी को एक देश, एक कानून से सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय के रूप में हमें यह पहचानना चाहिए कि अंततः, हमारी एकता के बंधन के मूल में हिंदुस्तान- हिंदुस्तानी, भारत-भारतीय और भारतीयता की सर्वोत्कृष्ट भावना निहित है। वरिष्ठ रंगकर्मी आरिफ़ शहडोली ने कहा कि हमारे देश में विभिन्न धर्म हैं और भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण तरीके से रहते हैं। इसलिए एक देश, एक कानून के कार्यान्वयन से यह देश शांतिपूर्ण और अधिक बलशाली हो जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मुहम्मद नईम ने कहा कि समान नागरिकता क़ानून की तरह हर देश में समान शिक्षा, समान स्वास्थ्य और समान रोज़गार के अवसरों की पहल होनी चाहिए।
संगोष्ठी का संचालन कलाम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के निदेशक शेख़ अरशद ने तथा आभार हज़रा बेगम ने किया। इस अवसर पर मो ईशान, अरमान ख़ान, आबिद ख़ान, इकरार ख़ान, आसिफ़ ख़ान, शादाब अली, रिफ़ा नाज़, रियान अहमद आदि उपस्थित रहे।