ट्राइग्लिसराइड्स: दिल की सेहत बिगाड़ने वाला साइलेंट गुनहगार

झाँसी। दिल को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आवश्यक बचाव किए जाएं। इसी बारे में साओल (SAAOL) हार्ट सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर बिमल छाजेर ने विस्तार से जानकारी दी। हार्ट अटैक, दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। आर्टरी में पट्टिका के पनप जाने से ऐसा होता है, जो ब्लड फ्लो में रुकावट पैदा करता है और हार्ट की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स दोनों ही फैट के माफिया के रूप में काम करते हैं जिससे हर साल लाखों लोगों की जान पर बन आती है। कई हार्ट स्पेशलिस्ट अभी भी कोलेस्ट्रॉल के लेवल को 180 मिलीग्राम / डीएल से ऊपर और ट्राइग्लिसराइड के लेवल को 160 मिलीग्राम / डीएल से ऊपर सही ठहराते हैं।

 

जल्दी डायग्नोज से हार्ट को बचाया जा सकता है: आर्टरी में जब ब्लॉकेज 50% या उससे अधिक तक पहुंच जाता है तो उसके बाद हार्ट अटैक हो सकता है. अगर आर्टरी वॉल कमजोर हैं, तो 50-70% ब्लॉकेज लेवल पर भी वॉल टूट सकती है। हैरानी की बात ये है कि अगर आर्टरी में 70 फीसदी से कम ब्लॉकेज हो तो मरीज को हार्ट अटैक से पहले इसके कोई लक्षण नहीं नजर आते. हालांकि, इन ब्लॉकेज का आसानी से पता लगाया जा सकता है। नॉन इनवेसिव टेस्ट सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी से इसका पता लग जाता है। इस टेस्ट में महज दो मिनट लगते हैं। ये टेस्ट अब भारत में बहुत ही आम है। वहीं, जब ब्लॉकेज 70-80% से अधिक हो जाती है, तो एनजाइना हो सकता है, जिसका पता लगाने के लिए स्ट्रेस टेस्ट (टीएमटी) या सीटी एंजियोग्राफी की जाती है। दिल के ब्लॉकेज का जल्दी पता लगाने से उसके कारणों को खत्म करने और दिल के दौरे को रोकने में मदद मिलती है।

 

कम वजन और फिजिकल एक्सरसाइज बेहद अहम : दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए सही डाइट और फिजिकल एक्सरसाइज बहुत ही महत्वपूर्ण है. हालांकि, डाइटिंग ऐसी न हो कि बिल्कुल भूखा रहा जाए। जो भी खाएं वो बैलेंस डाइट रहे. डाइट में सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स और जरूरी फैट्स हो। रेगुलर एक्सरसाइज की जाए, जिसमें कम से कम फिजिकल एक्टिविटी हो. वजन उठाने वाली एक्सरसाइज की जाए, मसल्स बनाने वाली एक्सरसाइज की जाए क्योंकि ये अधिक कैलोरी को खत्म करने में मदद करता है।

तेल फ्री कुकिंग : ट्राइग्लिसराइड्स, तेल का एक रूप है जो कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है और इससे दिल की बीमारियां हो जाती हैं। इससे ये पता चलता है कि हमारी रोज की लाइफ में हम जितना भी तेल खाते हैं वो लंबे समय के लिहाज से हमारी सेहत को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।

 

अच्छी बात ये है कि तेल का अपना कोई स्वाद नहीं है। जी हां, यकीन करें. उदाहरण के तौर पर आप एक चम्मच तेल चखने की कोशिश करें। हम सिर्फ मसालों को पकाने या सीजन करने के लिए अपने भोजन में तेल का इस्तेमाल करते हैं, जो वास्तविक स्वाद देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप तेल की एक बूंद के बिना भी वैसा ही स्वाद पा सकते हैं?

 

हमने 1000 से अधिक तेल मुक्त व्यंजनों को विकसित किया है जो समान रूप से स्वादिष्ट हैं। हमारे पास पहले से ही चावल, गेहूं, दाल, फल और सब्जियों जैसे विभिन्न खाद्य पदार्थों में ट्राइग्लिसराइड्स सहित आवश्यक फैट हैं, जो हमारी बुनियादी फैट जरूरतों को पूरा करते हैं। बादाम, अखरोट, काजू और पिस्ता जैसे सूखे मेवों में 50% से अधिक तेल होता है। नारियल और मूंगफली में लगभग 40% तेल या ट्राइग्लिसराइड्स होते हैं. दुर्भाग्य से, कई हार्ट स्पेशलिस्ट गलत सलाह देते हैं, यह दावा करते हुए कि ये नट्स वसा मुक्त हैं या वे एचडीएल के स्तर को बढ़ाते हैं या ओमेगा -3 तेल होते हैं. ये डॉक्टर अक्सर ये नहीं बताते कि ये नट्स ब्लड ट्राइग्लिसराइड के स्तर को भी बढ़ाते हैं। इसलिए दिल के मरीजों को सभी नट्स खाने से बचना चाहिए। हालांकि, किशमिश, अंजीर, खजूर और खुबानी में लगभग कोई तेल नहीं होता है और शुगर की चिंता किए बिना हार्ट मरीज इसका सेवन कर सकते हैं।

 

अब लोगों को ये समझने की जरूरत है कि तेल में जो ट्राइग्लिसराइड होता है वो भी हमारे दिल की सेहत के लिए बराबर का नुकसानदायक है।

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