गाँव में बढ़ता जा रहा है, कोरोना महामारी का प्रकोप
वैक्सीनेशन भ्रांतियों को लेकर अशिक्षित के साथ-साथ शिक्षित भी हैं प्रभावित
रूढ़िवादी मानसिकता और जानकारी का अभाव सबसे बड़ी बाधा
झाँसी: परमार्थ समाज सेवी संस्थान द्वारा बुन्देलखण्ड के ललितपुर, झाँसी, हमीरपुर व जालौन जिले में कोरोना जागरूकता को लेकर ’जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ व्यापक जागरूकता अभियान शुरू किया गया। यह 15 दिवसीय अभियान 25 अप्रैल से 8 मई को समाप्त हुआ। इस अभियान के दौरान गांव की जो परिस्थिति देखने को मिली है, वह काफी चिंताजनक है। गांव के लोग न तो कोरोना की जांच कराने के लिए तैयार हैं और न ही वैक्सीनेशन के लिए। वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में बहुत अधिक भ्रांतियां हैं और यह भ्रांतिया न केवल अशिक्षित लोगों में है, बल्कि शिक्षित वर्ग भी इन भ्रांतियों से प्रभावित है।
वैक्सीन का नाम लेते ही भड़क रहे हैं लोग
अभियान के दौरान कई गांव में तो ऐसी स्थिति हो गयी कि लोगों ने कार्यकर्ताओं को भी लाठी लेकर, डण्डा लेकर भगाने की कोशिश की। वैक्सीन का नाम लेते ही गांव में लोग भड़क जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं के द्वारा इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए लोगों के घर-घर जाकर संवाद किया जा रहा है। गांव में लोग स्वास्थ्य खराब होने के कारण तनाव में हैं। जिसके कारण हिंसा भी हो रही है। जिसका सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं के ऊपर पड़ रहा है। वही शहर मेें दुकाने बंद होने के कारण कालबाजारी भी बढ़ गयी है।
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अभी हाल में पंचायत चुनाव होने के कारण गांव में रोजगार के अवसर नहीं हैं। मनरेगा आदि जैसी योजनाऐं बिलकुल बंद पड़ीं हैं। लोग लाॅकडाउन के कारण गेहूं नहीं बेच पा रहे हैं। जानकारी एवं संसाधनों के अभाव मेें गांव के स्तर पर मजदूरों की देखभाल नहीं हो पा रही है। अभियान के दौरान कार्यकर्ताओं के द्वारा गांव स्तर पर एक निगरानी तंत्र बनाया गया है। कई गांव के लोगों ने अपने गांव की गांवबंदी की है, जिससे बाहर का कोई व्यक्ति गाँव के अन्दर न आ सके।
भ्रांतियों को दूर करने के लिए एक साथ आगे आयें सभी संगठन
जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह का कहना है कि जो नई पंचायत आयी है। वह अगर कोरोना महामारी से निपटने में अपनी ताकत लगाये तो बेहतर होगा। पंचायतों की आपदा के समय भूमिका बढ़ाई जाये, क्योंकि समुदाय स्तर पर कोरोना को रोकने के लिए निगरानी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वैक्सिनेशन को लेकर भ्रांतियों को दूर करने के लिए राजनैतिक दलों, धार्मिक संगठनों, सामाजिक संस्थाओं सबको आगे आने की जरूरत है।
ग्राम स्तर पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता
अभियान के संयोजक सतीश चंद्र का कहना है कि गांव स्तर पर सरकारों को अधिक ध्यान देने की जरूरत है। गांव के स्तर पर क्वारंटाइन सेंटरों पर मूलभूत आवश्यकताओं की सुविधा उपलब्ध करायी जाये। गांव स्तर पर सोशल प्रोटेक्शन स्कीमों के पारदर्शी गर्भवती महिलओं, धात्री महिलाओं की हालत बेहद खराब है। पेयजल संकट बढ़ गया है। पेयजल संकट का सामना सबसे ज्यादा घरों में क्वारंटाइन परिवारों को करना पड़ रहा है। ऐसे परिवारों के लिए टैंकरों से पानी उपलब्ध कराने की अत्यन्त आवश्यकता है। कोरोना की जागरूकता हेतु प्रत्येक ब्लाॅक स्तर पर रिर्सोस सेण्टर की स्थापना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता निकलकर आयी है। अगर गांव में कोरोना के संक्रमण को समाप्त करना है तो स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग एवं पंचायती राज, इनको समन्वयक के साथ काम करने की आवश्यकता है।