रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डॉ. ए.के. सिंह ने कार्यभार सम्हाला

झाँसी। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 1962 में जन्मे डॉ. ए.के.सिंह की स्कूली शिक्षा एफ.एम. आई.सी, तमकोहिराज कुशीनगर में हुई। स्नातक कृषि एवं पशुपालन विषय से उच्च शिक्षा के रूप में परा-स्नातक किया। डॉक्टरेट की शिक्षा चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर से की। कानपुर से सहायक प्रोफेसर के रूप में अपना करियर वर्ष 1987 से प्रारम्भ किया। वहीं पर विस्तार शिक्षा पद का भी नेतृत्व किया। डॉ. सिंह ने जुलाई 2005 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली में क्षेत्रीय समन्वयक के रूप में शामिल हुए। वहीं पर 2010 में क्षेत्रीय परियोजना निदेशक के रूप में सुशोभित हुए। 2014 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के दिल्ली मुख्यालय में सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार) के रूप में पदोन्नत हुए। भारत सरकार ने उसी वर्ष में उन्हें उपमहानिदेशक (कृषि विस्तार) के पद की जिम्मेदारी दी।

इसके आलावा उन्होंने उप महानिदेशक, बागवानी का अतिरिक्त प्रभार (9 महीने), उप महानिदेशक, मत्स्य विज्ञान (6 महीने) और निदेशक, कुलपति, आईसीएआर- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (2 साल 5 महीने ) तथा कृषि आयुक्त (8 महीने) के रूप में कार्यभार भी संभाला हैं । डॉ. ए. के. सिंह देश भर में फैले 732 कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से नीति नियोजन, परियोजना का निर्माण और किसानों के मध्य कृषि प्रौद्योगिकी को अपनाने, प्रभावी प्रसार और उनके निगरानी में शामिल रहे हैं। डॉ. सिंह ने अपने लगभग 35 वर्षों के कृषि करियर में कृषि विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् दोनों ही में अध्यापन, शोध तथा विस्तार कार्य के अलावा दलहनी फसलों में प्रौद्योगिकी प्रसार के माध्यम से उत्पादकता बढ़ोतरी के लिय उत्कृष्ट योगदान दिया है ।

उन्होंने किसानों के लिए सूचना व संचार तकनीक आधारित कृषि सलाह मॉडल, सामरिक अनुसंधान और विस्तार योजना (एस.आर.ई.पी.) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के “किसान प्रथम” मॉडल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने ग्रीष्मकालीन मूंगफली, मधुमक्खी पालन, सव्जियों की उन्नत खेती, संकर चावल, ग्रीष्मकालीन मूंग, संसाधन संरक्षण, जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों, और सूखे से बचाव के तरीकों पर अनेकों कार्यक्रम शुरू किए हैं। डॉ. सिंह 15 से भी अधिक शोध परियोजनाओं के प्रधान अन्वेषक के रूप में अपनी सेवाए प्रदान की हैं । उन्होंने 10 पीएच.डी. और 12 एम.एस.सी. छात्रों को भी निर्देशित किया हैं। इसके साथ ही साथ उन्होंने 20 से भी अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों/सम्मेलनों का आयोजन तथा नीति निर्धारण और मूल्यांकन के लिए विभिन्न समितियों की अध्यक्षता की है।

वे राष्ट्रीय ख्याति के एन.ए.ए.एस. मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षा के जर्नल रीभ्यूअर ऑफ़ कर्रेंट साइंस के मुख्य संपादक और समीक्षक भी हैं। वे कई राष्ट्रीय व्यावसायिक समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने अकादमिक व सहयोगी कार्यक्रमों के संबंध में मंगोलिया, नीदरलैंड, थाईलैंड, अमेरिका, लेबनान, ब्राजील, मैक्सिको, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, इथोपिया, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, चीन, वियतनाम में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व किया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् में उप महानिदेशक के रूप में देश में कृषि विस्तार शिक्षा में प्रगतिशील नेतृत्व प्रदान कर रहे थे । उन्हें एन.ए.ए.एस की फैलोशिप, कृषि विस्तार के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान हेतु भा.कृ.अनु.प. के “स्वामी शाहजानंद सरस्वती उत्कृष्ट विस्तार वैज्ञानिक” पुरस्कार सहित 20 से भी अधिक पुरस्कार एवं मान्यताएं दी गयी हैं । उन्होंने 120 शोध पत्र,18 पुस्तकें और 14 पुस्तक अध्याय प्रकाशित की हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त् राष्ट्रसंघ के खाद्य और कृषि संगठन (एफ.ए.ओ.), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, तथा विश्व बैंक सहायता प्राप्त भिभिन्न परियोजनाओं पर कार्यान्वन एवं शोध का भी अनुभव हैं । आज 3 अक्टूबर 2022 को रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के कुलपति के रूप में कार्यभार संभाल लिया है ।विवि के सभी अधिकारियो, वैज्ञानिकों, शिक्षको, कर्मचारियों ने अपना परिचय दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *