महानगर का कान्हा उपवन सीख देता है गौसंरक्षण का बेहतर प्रबंधन

यहां 565 गौवंश हैं संरक्षित, महापौर खुद करते हैं देखरेख

झांसी। बुंदेलखंड में प्राकृतिक आपदा के रूप में अतिवृष्टि और सूखा के बाद समाज में व्याप्त छुट्टा जानवर सबसे बड़ी समस्या है। यदि प्राकृतिक आपदा से किसान की फसल बच भी जाती है तो अन्ना जानवर उन्हें चट कर जाते हैं। इसके लिए किसानों को अपना घर छोड़कर खेत पर जागकर रातें काटनी पड़ती हैं। इसके इतर महानगर में बनी कान्हा उपवन गौशाला लोगों को गौवंश के बेहतर प्रबंधन को सिखाती नजर आती है। यहां 565 गौवंश संरक्षित हैं और महापौर इस उपवन की स्वयं देखरेख करते हुए गौसेवा करने पहुंचते हैं।

जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर बिजौली के समीप स्थित कान्हा उपवन गौशाला स्मार्ट सिटी झांसी के नगर निगम परिक्षेत्र में आती है। इसे अक्टूबर 2019 में शुरू किया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह महत्वाकांक्षी योजना करीब साढ़े 3 एकड़ में फैली हुई है। इसका निर्माण एक करोड़ 65 लाख रुपये की लागत से हुआ था। इसमें सात शेड बने हुए हैं। प्रत्येक शेड में 75 से 100 गौवंश संरक्षित हैं। कुल मिलाकर 565 गौवंशों का संरक्षण इस उपवन में किया जा रहा है। इन गौवंशों में देसी गायों के साथ साहीवाल और गिरि गाय भी शामिल हैं। छोटे बछड़ों के लिए एक शेड में अलग व्यवस्था की गई है। भविष्य में बेहतर नस्ल की गाय बनाने के लिए साहीवाल और गिरि सांड़ों को भी इस उपवन में लाने का प्रबंध किया जाना प्रस्तावित है। उपवन में तमाम फलदार व छायादार वृक्षों का भी रोपण किया गया है। इनमें से आंवलों के वृक्षों में फल भी आ गए हैं।

गौवंश के बिना भारतवर्ष की कल्पना असम्भव
महापौर रामतीर्थ सिंघल और उपसभापति सुनील नैनवानी ने कान्हा उपवन पहुंचकर गौवंशों की सेवा की। उन्हें हरी घास और गुड़ समेत केले खिलाए। अपने हाथों से कुछ ऐसे बछड़ों को, जिनकी माताएं अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन्हें बोतल से दूध पिलाया। पूरा रख-रखाव देखा। इस दौरान महापौर रामतीर्थ सिंघल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गौवंशों के संरक्षण के लिए की गई बेहतर व्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि यह केवल संतों के माध्यम से ही संभव था। उन्होंने कहा कि गाय हमारे देश की शान है और इतनी महत्वपूर्ण है कि गौवंश के बगैर भारतवर्ष के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसीलिए हमें गौवंश का संरक्षण करना होगा।

 

सीमित संसाधनों में बेहतर प्रबंधन
वहीं नगर पशु कल्याण अधिकारी डस. राघवेंद्र सिंह ने बताया कि पूरे जनपद में ढाई सौ से अधिक गौशालाएं हैं। इनमें से कान्हा उपवन महानगर की सीमा में आता है। हमारे पास भी वही संसाधन उपलब्ध है जो अन्य गौशालाओं को दिए जा रहे हैं। इन संसाधनों में हम गौवंशों का बेहतर संरक्षण कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कान्हा उपवन में प्रतिदिन 5 से 10 छुट्टा गौवंशों को लाया जाता है। वही कुछ गौवंश लोग माफीनामा व 2 हजार के आर्थिक दंड देने के बाद वापस ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि यहां छुट्टा गौवंशों को संरक्षित रखने का प्रावधान है।

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