भारत के भविष्य निर्धारण में अहम भूमिका निभाएंगे भारतवंशी युवा

भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र गुरुग्राम, चाणक्य वार्ता, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय ओड़िशा और दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के वेबीनार में अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने रखे अपने विचार

झांसी। अंतर्राष्ट्रीय व्याख्यानमाला ‘भारतवंशियों की युवा पीढ़ी एवं सांस्कृतिक समन्वय’ के अंतिम व तीसरे दिन मुख्य अतिथि व वक्ता गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि जहां वैश्विक मंच की बात है तो भारत आज दुनिया के टॉप राष्ट्रों में शुमार है। भारतीयता की सोच पूरी दुनिया को संपूर्णता में देखने की है। भारतीय संस्कृति, इतिहास, जीवन शैली, खान पान, भारतीय दर्शन, भारतीय व्यवस्था सबकुछ का उसकी के अनुरूप है। ताकि प्राचीन काल की तरह हम फिर से विश्व गुरु की हैसियत को हासिल कर सकें।

उन्होंने स्वामी विवेकानंद और ऋषि अरविंद का जिक्र करते हुए कहा कि उनके सपने को पूरा करने का प्रयास जारी है। भारतीय राष्ट्रवाद को भी उसी वैचारिक सांचे में ढाला गया है। दुनिया के सामने भारतीयता को उसी हिसाब से रखा भी जा रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति व प्रो- मुकेश पाण्डेय ने कहा की भारतीय यवा सांस्कृतिक रूप से बहुत ही सहीष्सुण है। वैश्विक स्तर पर कभी भी भारतीयों का कहीं भी किसी भी संस्कृति से विवाद नहीं रहा है। सर्वे भवंतु सुखिनाः सर्वे संतु निरामयाः के भाव को लेकर हम अग्रसर हैं।

व्याख्यान को भारतीय उच्चायोग त्रिनिदाद एवं टुबैगो के द्वितीय सचिव के रूप में कार्यरत शिवकुमार, ब्रिटेन निवासी और विश्व प्रसिद्ध कथाकार दिव्या माथुर, अमेरिका के वैश्विक महिला मंच की संरक्षिका डॉ. दुर्गा अशोक सिन्हा, कनाडा निवासी सुप्रसिद्ध कवि एवं लेखक पीयूष श्रीवास्तव, केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक और प्रो. सुनील कुलकर्णी, हॉलेंड निवासी धर्मगुरु सुरेंद्र शंकर उपाध्याय, दुबई निवासी उपन्यासकार व कवयित्री डॉ. आरती ‘लोकेश, मॉरिशस स्थित विश्व हिंदी सचिवालय के उप महासचिव डॉ. शुभ शंकर मिश्र, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय हिंदी और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के प्रोफेसर नवीनचंद्र लोहानी और वरिष्ठ साहित्यकार और उद्योगपति डॉ. बीएल गौड़, डेनमार्क में रहने वाली प्रवासी लेखिका अर्चना पैन्युली, नीदरलैंड में पत्रकार और पूर्व दूरदर्शनकर्मी ऋतु शर्मा, शिक्षाविद्, कथाकार व आलोचक, डॉ. संदीप अवस्थी, संविधान विशेषज्ञ एवं साहित्यकार लक्ष्मीनारायण भाला, टोरंटो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और कनाडा निवासी डॉ- हंसा दीप ने वक्तव्य पेश किया।

इसके पूर्व तीनों दिन श्रीमती कांतिदेवी जैन स्मृति व्याख्यानमाला 2022 की डाक्यूमेंट्री का प्रसारण किया गया। राज्यसभा के पूर्व महासचिव ने डॉ। योगेंद्र नारायण चाणक्यवार्ता के संपादक अमित जैन की तारीफ की। तीनों दिन व्याख्यानमाला के संयोजक की जिम्मेदारी का निर्वहन कुशलता पूर्वक चाणक्यवार्ता के अंतरराष्ट्रीय सलाकार धर्मपाल महेंद्र जैन ने किया। चाणक्यवार्ता के संपादक डॉ. अमित जैन ने विषय का प्रवर्तन किया। हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राचार्य डॉ रमास्वागत भाषण, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रो. अवनीश कुमार, डॉ. कौशल त्रिपाठी और डीयू हंसराज कॉलेज के डॉ. प्रभांशु ओझा ने मुख्य अतिथि, अति विशष्टि अतिथि, वक्ताओं और गणमान्य लोगों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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