भारतीय संस्कृति, मूल्य और परंपराओं पर आधारित शिक्षा उच्च चरित्र का निर्माण करती है- प्रो. मुकेश पाण्डेय

उरई में में एक दिवसीय भारतीय शिक्षण मंडल की प्रांतीय बैठक संपन्न

झांसी। किसी भी देश के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है चाहे वह प्राथमिक, माध्यमिक, महाविद्यालयी, विश्वविद्यालयी या तकनीकी स्तर की शिक्षा हो। राष्ट्रीय चिंतन और विचार विमर्श से उपजे शोध और नवाचार के परिणाम स्वरुप नई शिक्षा नीति का सृजन हुआ है। उक्त विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर मुकेश पांडे ने भारतीय शिक्षण मंडल कानपुर प्रांत की उरई में आयोजित बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि यह नई शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति, मूल्यों और परंपराओं को साथ लेकर राष्ट्र के लिए कार्य करने वाले मानव समूह का चरित्र निर्माण करेगी। उन्होंने भारतीय शिक्षण मंडल के संबंध में कहा की, यह शिक्षा पर केंद्रीत संगठन है। जिसमें राष्ट्रीय स्तर के अनेक विद्वान अपने विचारों से, उद्देश्यपरक एवं उदयीमान कार्यकर्ताओं का निर्माण करते हैं। आज भारतीय शिक्षण मंडल विदेशों में भी सक्रिय है। इसके माध्यम से कार्यकर्ता का रचनात्मक एवं सर्जनात्मक विकास होता है। उन्होंने कहा कि भारत में विदेशों से स्पर्धा करने वाले उच्च संस्थानों की स्थापना की आवश्यकता है जिससे हमारे यहां के अनेक विद्वत छात्र भारत में ही रह कर अपने ज्ञान से भारत का पुनर्निर्माण कर सकें। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अंगद सिंह ने भारतीय शिक्षक मंडल की 1969 से वर्तमान तक की यात्रा, संघर्ष एवं उपलब्धियों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में वैचारिक युद्ध चल रहा है। ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ ने जून 2014 के समय नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री की शपथ लेने के पूर्व लिखा- “द ब्रिटेन फाइनली लेफ्ट इंडिया”। जिसका तात्पर्य सहज ही लगाया जा सकता है। फिर से पुरानी व्यवस्था स्थापित करने के लिए अनेक संगठन भारत को रोकने के लिए कार्य कर रहे हैं। भारतीय शिक्षण मंडल इस वैचारिक युद्ध को रोकने के लिए निरंतर सक्रिय है। विशिष्ट वक्ता डॉ ओम प्रकाश ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल का कार्यकर्ता सहज रूप से समन्वित हो कर कार्य करता है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुपालन के लिए वैश्विक स्तर के शोध प्रकल्प की आवश्यकता थी। भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा नागपुर में 90 एकड़ भूमि पर 2100 करोड रुपए की सहायता से भारत के सबसे उत्कृष्ट शोध संस्थान “रिसर्च फॉर रीसर्जेनस फाउंडेशन” (आर. एफ. आर.एफ.) का गठन किया है। वर्तमान में देश के प्रतिष्ठित आईआईटी, आईआईएम जैसे लगभग 180 संस्थानों के साथ इस शोध संस्थान ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने बताया कि 2017 में उज्जैन में गुरुकुल सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 100 से अधिक गुरुकुल के छात्रों ने सहभागिता की। यह निर्णय लिया गया कि ‘आचार्य संकलन निधि’ द्वारा देशभर में आधुनिक गुरुकुल पाठ्यक्रम बनाकर कक्षा 1 से 10 तक निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसमें वेद के साथ विज्ञान, कृषि, सामाजिक एवं मानविकी जीवन, स्वावलंबी बनने में सहायक कौशल आधारित विषयों का ज्ञान प्रदान किया जाएगा। वर्तमान में भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित 41 विषयों का पाठ्यक्रम बनाकर लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही भविष्य में भारत में राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां को देखते हुए एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने भारतीय शिक्षण मंडल में मंडल व्यवस्था किस प्रकार कार्य करती है इसके संबंध में जानकारी दी। स्वागत उद्बोधन में भारतीय शिक्षक मंडल के कानपुर प्रांत के अध्यक्ष डॉ राजेश चंद्र पांडे ने कहा कि पूर्व की शिक्षा ने मनुष्य को भौतिक वस्तुओं का उपयोगी बना कर रख दिया है। शिक्षा व्यवसाय एवं धन उपार्जन का माध्यम बन गई है। भारतीय शिक्षण मंडल का प्रयास है की निशुल्क, उत्कृष्ट, गुणवत्ता पूर्ण, एवं छात्रों का समग्र विकास करने वाली शिक्षा कैसे प्रदान की जाए। मानव समाज को जोड़ने वाली, राष्ट्रीय हितों का संरक्षण करने वाली, उत्कृष्ट मानव का विकास करने वाली शिक्षा प्रणाली कैसे विकसित की जाए। 30 वर्षों के अनुसंधान के बाद नई शिक्षा नीति के रूप में एक पहल करने का प्रयास किया गया है। निश्चिती ही आने वाला समय भारत का समय होगा। हम पुरे वैश्विक स्तर पर राष्ट्र गौरव को स्थापित कर भारत को उत्कृष्ट राष्ट्र बनाने में सक्षम होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ प्रभात कुमार ने भारतीय शिक्षण मंडल यात्रा पर अपने संस्मरण साझा किए। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर नीरज कुमार द्विवेदी एवं आभार प्रांत मंत्री डॉ गिरिजा मिश्रा ने दिया। डॉ संदीप चतुर्वेदी ने ध्येय श्लोक एवं डॉ मनोज तिवारी ने ध्येय वाक्य प्रस्तुत किया। इस अवसर कानपुर प्रांत के अनेक जिलों से आए भारतीय शिक्षण मंडल के सदस्यों के साथ बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के डॉ राजेश पांडे, डॉ ललित गुप्ता, डॉ कौशल त्रिपाठी, इंजीनियर अनुपम व्यास उपस्थित रहे।

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