हंगरी से भारत को रवाना मऊरानीपुर की दिव्यांशी की उड़ान

48 घंटों में अपनी मातृभूमि पहुंचेगी दिव्यांशा

परिजनों ने कहा,मोदी हैं इसलिए यह मुमकिन है

झांसी। रूस-यूक्रेन युद्ध में मौत के कहर के बीच से आगामी 48 घंटों में हंगरी से भारत पहुंचने वाली फ़्लाइट के द्वारा जिले की सबसे बड़ी तहसील के गांव धौर्रा की बेटी अपनी मातृभूमि पहुंचेगी। इसको लेकर उसके परिजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद ज्ञापित करते नहीं थक रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह केवल मोदी के कारण ही मुमकिन हो पा रहा है।

रूस-यूक्रेन के बीच चल जारी युद्ध के कारण एक ओर यूक्रेन के नागरिकों में भगदड़ की स्थिति बनी हुई है । वही दूसरी ओर यूक्रेन में रहने वाले तमाम भारतीय नागरिक तथा मेडीकल की शिक्षा लेने गए हजारों की संख्या में छात्र छात्राएं भी परेशान है। युद्ध के खराब माहौल में मौत के तांडव के बीच अपने आपको सुरक्षित करने के लिए भारतीय लगातार यूक्रेन सीमा से सटे तमाम देशों की सीमाओं से होकर चलाए जा रहे ऑपरेशन गंगा के तहत विमानों की सेवाओं के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत भारत सरकार द्वारा अब तक हजारों छात्र छात्राओं को सकुशल वतन वापसी कराए जाने का क्रम जारी है। ऐसे ही झांसी जिले की मऊरानीपुर तहसील के ग्राम धौर्रा निवासी मेडिकल की छात्रा के सकुशल हंगरी देश पहुंचने व उसके एक-दो दिन में भारत वापसी की खबर को लेकर परिवारी जनों के साथ साथ क्षेत्र के तमाम लोगों ने खुशी जाहिर की। लोगों ने भारत सरकार द्वारा किए जा रहे विशेष कोशिशों को सराहा है।
ग्राम धौर्रा निवासी उमासंकर साहू व द्वारिका प्रसाद साहू ने बताया कि उनके स्वर्गीय भाई नंदकिशोर व स्वर्गीय भाभी उर्मिला की मौत के बाद उनकी पुत्री व उनकी भतीजी  दिव्यांशी के कंधों पर जिम्मेदारी आ गई थी। दिव्यांशी ने हाई स्कूल तक की शिक्षा मऊरानीपुर में पूरी की। इसके बाद वह बड़े भाई व डॉक्टर बहन के सहयोग से छतरपुर मध्य प्रदेश में आगे की शिक्षा पूरी करने जा पहुंची। उसने इंटरमीडिएट व नीट की परीक्षा पास करने के बाद लगभग 4 वर्ष पूर्व सभी के सहयोग से मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन देश के कीब मेडिकल कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करने का विचार बनाया। वहां उसकी शिक्षा ठीक से चल रही थी कि दोनों देशों के बीच अचानक युद्ध शुरू हो गया। इस कारण छात्र-छात्राओं में अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। दिव्यांशा बड़ी मुश्किल व कठिन परिस्थितियों के बीच कीब से 1100 किलोमीटर दूर हंगरी देश की सीमा में पहुंची। पिछले कई दिनों से भारत सरकार के अधिकारियों के संपर्क में रहने व उनकी देखरेख में वतन वापसी के लिए ऑपरेशन गंगा के तहत विशेष विमानों से स्वदेश वापसी के लिए इंतजार कर रही थी। दिव्यांशा ने बताया कि युद्ध के कारण मेडिकल के छात्र छात्राओं सहित तमाम भारतीय नागरिकों ने काफी परेशानियों का सामना किया है। उसने यह भी बताया कि आज भारत सरकार के द्वारा किए जा रहे विशेष प्रबंधों के कारण ही उसकी व अन्य छात्रों की वतन वापसी हो रही है। दिव्यांशी के परिवारी जनों के अनुसार दिव्यांशी 2 दिन के अंदर यहां जा पहुंचेगी। हालांकि वह मऊरानीपुर आएगी या छतरपुर पहुंचेगी यह स्पष्ट नहीं हो सका। दिव्यांशी के वतन वापसी को लेकर परिजनों व क्षेत्र वासियों में खुशी की लहर है।

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