विरासत दर्ज कराने और खतौनी में अशुद्धि दुरुस्त कराने का अभियान शुरू
अभिलेख अद्यतनीकृत अभियान 25 जून से 10 जुलाई तक
झाँसी : मंडलायुक्त डा. अजय शंकर पाण्डेय ने शुक्रवार को बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों से कृषक विरासत दर्ज कराने, खतौनी में अशुद्धि को दुरुस्त कराने के लिए न केवल तहसील के चक्कर लगाते हैं, बल्कि जनपद एवं मंडल मुख्यालय स्तर पर उच्चाधिकारियों के पास समस्याओं के निराकरण के लिए पहुंचते हैं। इससे अनावश्यक धन एवं समय बर्बाद होता है। अब ऐसा नहीं होगा। 25 जून से 10 जुलाई तक अभिलेख अद्यतनीकृत अभियान चलाया जा रहा है।
मण्डलायुक्त ने बताया कि अभिलेखों को अद्यतन एवं शुद्ध रखना राजस्व विभाग का दायित्व है। निर्विवाद विरासत के मामलों में तो मृतक के स्थान पर उनके उत्तराधिकारी का नाम दर्ज कर तेरहवीं के दिन खतौनी की प्रति उपलब्ध कराने का प्रावधान है। किन्तु ऐसे मामलों में भी समयबद्ध कार्यवाही नहीं की जाती है। ग्रामीण व कृषकों की समस्याओं का ग्राम स्तर पर ही समाधान कराये जाने के उद्देश्य से इसके लिए विशेष रुप से अभिलेख अद्यतनीकृत अभियान 25 जून से 10 जुलाई तक चलाया जाए।
इस संबंध में मण्डलायुक्त ने मंडल के जनपदों झाँसी, ललितपुर और जालौन के जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने कहा है कि अभियान के अन्तर्गत कृषकों के विरासत सम्बन्धी मामलों तथा खतौनी में हुई लिपिकीय व मानवीय भूल एवं तकनीकी कारणों से खतौनी में हुई त्रृटियों के शुद्धिकरण के लिए प्रत्येक गांव में राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा कार्य किया जाए। इस सम्बन्ध में की गई कार्यवाही प्रत्येक तहसील स्तर से ग्रामवार प्रगति सूचना जनपद स्तर पर प्राप्त की जाएगी।
इसी प्रकार ग्राम की सम्पत्ति पर अनाधिकृत व्यक्तियों का कब्जा होने से जहां एक ओर शासकीय क्षति होती है, वहीं दूसरी ओर चक रोडों, खलिहानों आदि पर अवैध कब्जा होने के कारण ग्रामवासियों के मध्य अक्सर विवाद और शिकायतें प्राप्त होती हैं। उक्त अभियान के दौरान प्रभावी कार्यवाही कराए जाने की आवश्यकता है। इसकी साप्ताहिक रिपोर्ट प्राप्त की जाए।
मण्डलायुक्त ने जिलाधिकारियों को सूचित किया कि समस्त तहसील स्तरीय सम्बन्धित अधिकारी व कर्मचारियों को अपने स्तर से समयबद्व प्रभावी कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित कर दें। उक्त अभियान की मंशा के अनुरुप ग्रामीण व कृषकों की इन समस्याओं का शीध्रता से निस्तारण हो सकें एवं उन्हें इन कार्यों के लिए अनावश्यक रुप से तहसील, जनपद एवं मण्डल मुख्यालय स्तर तक न आना पड़े।