मानसून में बच्चों को होती है ईएनटी से जुड़ी समस्याएं, ऐसे रखें ध्यान

झांसी। सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में ईएनटी विभाग के लीड कंसल्टेंट डॉक्टर अनीश गुप्ता ने मानसून के दौरान बच्चों को होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी और सावधानियों के बारे में बताया। मानसून चिलचिलाती गर्मी से राहत तो दिलाता है और पर्यावरण को फिर से जीवंत करता है लेकिन यह अपने साथ कई हेल्थ इशू भी लाता है। खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए इस दौरान काफी परेशानी होती है। कान, नाक और गले की दिक्कतें इस दौरान काफी बढ़ जाती हैं। ह्यूमिडिटी बढ़ने और जलजनित बैक्टीरिया और वायरस के संपर्क में आने से बच्चों को ये दिक्कतें होने का ज्यादा डर रहता है। यह मौसम स्कूल जाने वाले बच्चों के बीच ईएनटी से जुड़ी चिंताएं बढ़ाता है। लिहाजा इनसे बचाव के लिए कुछ कदम उठाना बेहद जरूरी है।

 

स्कूल जाने वाले बच्चों में ईएनटी से जुड़ी होती है सबसे ज्यादा ये समस्याएं

कान में इंफेक्शन-मानसून के दौरान नमी और बैक्टीरिया में वृद्धि के चलते ओटिटिस मीडिया और ओटिटिस एक्सटर्ना जैसे कान के संक्रमण हो सकते हैं। इसके लक्षणों में कान में दर्द, कान बहना और सुनने में अस्थायी दिक्कत आना हो सकता है। साइनसाइटिस- एलर्जी, नमी और ड्रेनेज वे में रुकावट की वजह से साइनसाइटिस हो सकता है। इसमें चेहरे में दर्द, नाक बंद, सिरदर्द और पोस्ट नेजल ड्रिप जैसे लक्षण सामने आते हैं।

 

गला सूखना और टॉन्सिलाइटिस- मानसून के दौरान वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के चलते गला सूखना और टॉन्सिलाइटिस के मामलों में बढ़ोतरी हो जाती है। इसमें गले में दर्द, चबाने में परेशानी और सूजन वाले टॉन्सिल हो जाते हैं। इन सब लक्षणों को दिमाग में रखते हुए माता-पिता अपने बच्चों को मानसूनी बीमारियों से बचाने के लिए ये सावधानी बरतें। सफाई का ध्यान- बच्चों को स्वच्छ रहने के लिए कहें, अच्छे से हाथ धुलवाएं, हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें और गंदे हाथों से बच्चे अपना चेहरा न छू पाएं।

 

भीगे नहीं- मानसून में बारिश होती है और बच्चे इसमें नहाते हुए मस्ती करते हैं। आप ये सुनिश्चित करें कि बच्चे छाता या रेनकोट साथ लेकर चलें और बारिश में भीगे नहीं. गीले जूते या कपड़े तुरंत चेंज करें। स्ट्रीट फूड से बचें और साफ पानी पिएं- बच्चों को बाहर का फूड खाने से रोकें और फिल्टर पानी के अलावा कोई पानी न पीने दें। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन होने का खतरा नहीं रहेगा जिसकी वजह से ईएनटी समस्याएं हो जाती हैं।

 

आसपास सफाई रखें- अपने लिविंग एरिया को लगातार साफ करते रहें। बेडरूम, बाथरूम और खेल की जगह को भी साफ रखें ताकि धूल-मिट्टी और अन्य एलर्जी वाली चीजों से बचा जा सके। एलर्जेन कंट्रोल- धूल और पोलन एलर्जी से ईएनटी की समस्या तेजी से बढ़ने का डर रहता है। इसलिए इनडोर वातावरण को धूल मुक्त रखें, और जरूरी हो तो एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, और पीक पोलन टाइम के दौरान खिड़कियां बंद रखें।

 

कैसे किया जा सकता है इलाज

एंटीबायोटिक- बैक्टीरियल संक्रमण के मामलों में अच्छे डॉक्टर से एंटीबायोटिक दवाई लें जो ईएनटी रोगों के खिलाफ कारगर हों। नाक की सफाई- नेती पॉट या नेजल स्प्रे से नाक की सफाई करें और उसकी रुकावटों को खत्म करें। इससे साइनसाइटिस को रोकने में मदद मिलती है। हालांकि, यह सब एक डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए। सर्जरी- क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस के गंभीर मामलों और लगातार होने वाले कान के इंफेक्शन से जुड़े केस में सर्जरी से भी इलाज किया जाता है। इसमें ईएनटी स्पेशलिस्ट टॉन्सिलेक्टोमी या टिमपैनोस्टोमी ट्यूब के जरिए सर्जरी का सुझाव देते हैं।इम्यूनिटी का ध्यान- इंफ्लूएंजा और न्यूमोकोकस जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए टीका लगवाएं। इससे सांस से जुड़े इंफेक्शन और संबंधित ईएनटी समस्याओं का खतरा कम हो जाता है।

 

मानसून स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए काफी चुनौतियां लेकर आता है। ऐसे में इस दौरान बच्चों को होने वाली ईएनटी की समस्याओं के जागरूक होना और उनसे बचाव करना काफी अहम साबित हो सकता है। व्यक्तिगत स्वच्छता को बढ़ावा देना, दूषित पानी और स्ट्रीट फूड से बचना और एक स्वच्छ इनडोर वातावरण बनाए रखना इसमें काफी महत्वपूर्ण है। लगातार या गंभीर लक्षणों के मामले में, ईएनटी स्पेशलिस्ट को दिखाएं ताकि सही तरीके से रोग का पता लगाकर इलाज किया जा सके। एंटीबायोटिक्स, नाक की सफाई और सर्जरी के जरिए ईएनटी की परेशानियों से बचाव किया जा सकता है और बच्चों के लिए एक स्वस्थ और अधिक सुखद मानसून बनाया जा सकता है।

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