सरकार से मिले इलेक्ट्रिक चाक से कुम्हारों की आमदनी और ग्राहक दोनों बढ़े

दीयों के साथ कुल्हड़ की मांग और उत्पादन में भी हुयी बढ़ोत्तरी 

झांसी। उत्तर प्रदेश सरकार की कुम्हारों को आजीविका की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिशें असर दिखा रही हैं। झांसी जनपद में इलेक्ट्रिक चाक की मदद से एक ओर जहां कुम्हारों की आमदनी में इजाफा हुआ है तो दूसरी ओर उनके उत्पादों की बिक्री के लिए भी कई तरह के प्लेटफार्म उपलब्ध कराये जा रहे हैं। कई कुम्हारों को माटी कला रोजगार योजना के तहत ऋण दिलाया गया है, जिसके बाद उनके उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुयी है और काम का भी विस्तार हुआ है। दीये और कुल्हड़ के अलावा कई तरह के बर्तन बनाने का काम भी जनपद के कुम्हार कर रहे हैं।

 

हर साल दिए जा रहे इलेक्ट्रिक चाक 

उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की ओर से अभी तक 80 कुम्हारों को निशुल्क इलेक्ट्रिक चाक दिए गए हैं जबकि आने वाले दिनों में 30 कुम्हारों को चाक दिए जाने की तैयारी चल रही है। हर साल कुम्हारों को चयनित कर उन्हें इलेक्ट्रिक चाक दिए जाते हैं। कोछाभांवर के रहने वाले गौरीशंकर बताते हैं कि इस दीपावली के मौके पर बहुत सारे लोगों की डिमांड आयी है। इलेक्ट्रिक चाक मिल जाने के बाद चार गुना अधिक काम हो रहा है। प्रभुदयाल प्रजापति कहते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगने के बाद से कुल्हड़ों की डिमांड बढ़ी है और हमारा काम भी बढ़ा है। इलेक्ट्रिक चाक ने हमारे काम को आसान बनाया है।

 

माटीकला के उत्पादों की बढ़ रही है डिमांड 

कोछाभांवर स्थित माटीकला सहकारी समिति के अध्यक्ष सुरेश प्रजापति कहते हैं कि हमारी आमदनी और ग्राहक दोनों ही बढे हैं। हमें सम्मेलनों में स्टॉल लगाने के लिए बुलाया जाता है और हमारे सामानों की बिक्री के लिए ऑनलाइन भी लोग हमसे संपर्क करते हैं। झांसी के बाहर भी हमारे दीये, कुल्हड़ और अन्य सामान जा रहे हैं। परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी राकेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक देकर उनके उत्पादन और आमदनी में बढ़ोत्तरी के प्रयास हो रहे हैं। कुम्हारों को ऋण की योजनाओं का भी लाभ दिलाया जा रहा है। साथ ही बहुत सारे कुम्हारों की ऑनलाइन माध्यमों से उत्पादों की बिक्री में मदद की जा रही है।

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