बिगड़ती जीवनशैली से बढ़ रही किडनी की समस्या

जालौन (अनिल शर्मा)। कुठौंद के गोरा निवसी 22 वर्षीय अंकुश बताते है कि उन्हें बीपी की समस्या थी। एक दिन तबियत खराब होने पर जांच कराई तो चिकित्सक ने किडनी में समस्या बताई। बाद में डायलिसिस कराने की सलाह दी। अब मई 2022 में पहली बार झांसी में डायलिसिस कराई थी। अब जिला अस्पताल की यूनिट में जून से डायलिसिस करा रहे है। झांसी जाने की दौड़ बच गई है।

खकसीस निवासी 32 साल के राजुकमार ने बताया कि बीपी के कारण सिरदर्द रहता था। सिरदर्द के लिए बिना चिकित्सीय सलाह के दर्दनिवारक दवाएं लीं। घर में आटा चक्की चलाकर गुजारा कर रहे थे। लापरवाही बरती तो किडनी की समस्या हो गई। दिसंबर 2021 में ग्वालियर में पहली बार डायसिलिस कराई। मार्च 2022 से जिला अस्पताल में डायलिसिस करा रहे हैं।

 

जनपद के जिला पुरुष अस्पताल उरई में पीपीपी मॉडल पर संचालित डायलिसिस यूनिट से मरीजों की झांसी कानपुर जाने की दौड़ बच गई है। यहां रोजाना 30 मरीज डायलिसिस के लिए आते हैं| खास बात यह है कि डायलिसिस कराने वालों में लगभग एक चौथाई युवा भी शामिल है।

 

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ अविनेश कुमार बनौधा का कहना है कि पिछले चार सालों के आंकड़ों पर नजर डाले तो कुल मरीजों में 22 प्रतिशत युवा मरीज हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी में बदलती खानपान की आदतें और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही कई तरह की बीमारियों को दावत दे रही हैं। उनमें एक किडनी की भी बीमारी शामिल है। युवा भी इससे अछूते नहीं हैं| जिला अस्पताल में 12 नवंबर 2019 में डायलिसिस यूनिट शुरु हुई थी। तब यहां छह बेड थे। बढ़ते मरीजों की संख्या को लेकर एक मई 2022 को संख्या बढ़ाकर दस बेड कर दी गई। शुरुआती साल में कुल 20 मरीज डायलिसिस के लिए रजिस्टर हुए थे। चार साल में यह संख्या बढ़कर 368 पहुंच गयी हैं। इस समय कुल 183 मरीज डायलिसिस करा रहे हैं।

खानपान की आदतें सुधारें, बिना सलाह न करें दवा का सेवन
डॉ अविनेश कुमार बनौधा का कहना है कि लोगों की किडनी खराब होने का कारण सेहत के प्रति लापरवाही, खानपान के प्रति बेफिक्री है। किडनी में समस्या होने से एरिथोपाइटिन बनना कम हो जाता है। इससे हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है। ऐसे में किडनी फेल होने की संभावना बढ़ जाती है। किड़नी खराब होने का मुख्य कारण उच्च रक्तचाप और शुगर होता है। इसके अलावा बिना चिकित्सयीय सलाह के दर्दनिवारक दवाओं का सेवन करना, मादक पदार्थों का अत्याधिक सेवन आदि भी प्रमुख कारण हैं।

अब तक हुई 16 हजार से ज्यादा डायलिसिस

डायसिलिस यूनिट के सेंटर मैनेजर संजय कुमार ने बताया कि अब तक 368 मरीज पंजीकृत हो चुके हैं। कुल 16180 डायलिसिस कराई जा चुकी है। रोजाना तीस और महीने में 750 डायलिसिस होती है। डायलिसिस यूनिट होने से मरीजों को झांसी और कानपुर की दौड़ नहीं लगानी पड़ती है।

वर्ष कुल मरीज युवा मरीजों
2019 20 18 प्रतिशत
2020 61 21 प्रतिशत
2021 110 23 प्रतिशत
2022 177 26 प्रतिशत
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कुल- 368 22 प्रतिशत
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नोट-डायलिसिस कराने वालों युवा का यह डाटा 30 साल से नीचे वाले युवाओं का है।

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