ईपीजीएम मशीनों से होगी कुपोषण की रोकथाम
झांसी। सरकार की डिजिटल नीति का असर अब धरातल पर भी दिखने लगा है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) के द्वारा कुपोषण को रोकने के लिए शुरू की गई इलैक्ट्रो फिजिओ ग्रोथ मानीटरिंग (ईपीजीएम) मशीन में शुरुआती 10 आंगनबाड़ी केन्द्रों के 851 बच्चों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। अब यह मशीन एक सैकड़ा और आगनवाड़ी केन्द्रों पर स्थापित किए जाने की योजना का कार्य चल रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी नरेंद्र सिंह ने बताया कि सुपोषण मिशन के अंतर्गत माह जुलाई वर्ष 2019 में मुख्य विकास अधिकारी टीकाराम फुण्डे के नेतृत्व में बड़ागांव ब्लॉक के 10 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ईपीजीएम मशीन लगाने के लिए चुने गए थे। इन केन्द्रों के कुल 851 बच्चों को ईपीजीएम मशीन में रजिस्टर किया गया जिससे कि इनकी लाइव मानीटरिंग होती रहे। इस मशीन को एक मां नाम के सॉफ्टवेर से जोड़ा गया, जिससे कि कोई भी अधिकारी कभी भी इस एप के माध्यम से जानकारी ले सके। मशीन के जरिये मानीटरिंग पर कम वजन के 12 प्रतिशत गंभीर बच्चों का चिन्हिकरण हुआ। वही बौनेपन के शिकार 16 प्रतिशत गंभीर बच्चे मिले, वही लंबाई के अनुसार वजन के 11 प्रतिशत गंभीर बच्चे मिले। इन सभी बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। इस तरह एप के जरिये इनकी मानीटरिंग करना आसान हो गया है। एक सैकड़ा और आगनवाड़ी केन्द्रों पर मशीना लगाए जाने का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि कुपोषण आज भी सभी वर्गों के लिए एक समस्या बना हुआ है। इसकी रोकथाम के लिए समय समय पर जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जाते है। वर्तमान कुपोषण के प्रति जागरूकता लिए पोषण पखवाड़ा चल रहा है, जो कि 22 मार्च तक चलाया जाएगा। स्वस्थ भारत प्रेरक कृति जैन ने बताया कि लंबाई के अनुसार कम वजन वाले बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार होते है, यदि इन पर ध्यान न दिया जाए तो इनकी मृत्यु भी हो सकती है। ऐसे बच्चों की समय से मानीटरिंग हो पाये इसी लिए ईपीजीएम मशीन की शुरुआत की गई थी।