अविरल गंगा यात्रा निरंतर जारी रहे: कुलपति

स्वयं सेवकों ने गंगा की दुर्दशा को नाटक के माध्यम से किया प्रस्तुत
झांसी। उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशानुसार राष्ट्रीय सेवा योजना बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा संचालित अविरल गंगा यात्रा के समापन अवसर पर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेवी वैशम्पायन ने कहा कि शासन के अनुसार यह यात्रा आज समाप्त हो रही है। लेकिन जब तक गंगा सहित सभी जल स्त्रोत साफ नहीं हो जाते हमें निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिए।
प्रो. वैशम्पायन ने कहा कि जल के बिना जीवन संभव नहीं है। उन्होंने स्वयं सेवकों द्वारा गंगा की दुर्दशा पर प्रस्तुत नाटक ‘नमामि गंगे’ की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज गंगा पूर्णतः गन्दी हो चुकी है। हमें इसे पुनः देवी के रुप में स्थापित करने के लिए बहुत प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस नाटक को देश के अन्य विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों में भी दिखाया जाना चाहिए। जिससे गंगा की वास्तविक स्थिति और दर्द लोगों के समझ आ सके।  विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अविरल गंगा यात्रा के नोडल अधिकारी नारायण प्रसाद ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय निरंतर जल स्त्रोंतो और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करता है तथा भविष्य में करता रहेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना बुन्देलखण्ड क्षेत्र को फिर से पानीदार बनाने के लिए जो प्रयास कर रही है वह प्रशंसनीय है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. उमेश कुमार ने विश्वविद्यालय परिसर एवं संबद्ध महाविद्यालयों में राष्ट्रीय सेवा योजना अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रमों की झलक प्रस्तुत की। इस अवसर पर डाॅ. दीप्ति भदौरिया, डाॅ. अनिल कुमार दुबे, डाॅ. प्रणव त्रिपाठी, डाॅ. नरेन्द्र कुमार पाठक, डाॅ. श्वेता पाण्डेय, डाॅ. फुरकान मलिक, डाॅ. अनुपम व्यास, डाॅ. यतीन्द्र मिश्र, डाॅ. जितेन्द्र बबेले, दिलीप कुमार, जयराम कुटार, आरती वर्मा, संजीव वर्मा, मुकुल वर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन एनएसएस के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. मुहम्मद नईम ने किया।

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