कोरोना (Corona): हे सरकार- तुम्हारे हाथ जोड़ते हैं, पैर पड़ते हैं, चुनाव छोड़ जान बचाओ
हे सरकार- तुम्हारे हाथ जोड़ते हैं, पैर पड़ते हैं, चुनाव छोड़ कर लोगों की जान बचाओ। गाँव को नया प्रधान, ब्लॉक को प्रमुख और ज़िला पंचायत को नया अध्यक्ष न भी मिला तो क्या ज़िन्दगी रुक जाएगी? लेकिन, कोरोना (Corona) साँसें रोक रहा है। तो फिर सारी सरकारी मशीनरी वहाँ झोंक कर लोगों को मरता हुआ क्यों छोड़ दिया गया है?
उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण के वोट 15 अप्रैल को डाले जा चुके हैं। मैं भी उनमें से एक जिले का रहने वाला हूँ। 15 अप्रैल तक मैंने सभी अधिकारियों को चुनाव के महाउत्सव में फंसा हुआ पाया। चुनावी ड्यूटी में हर कोई फंसा हुआ था। चूँकि गाँवों का चुनाव है इसलिए हर जगह लोग सक्रियता से प्रचार में लगे हुए थे और कोरोना एक-दूसरे को बाँट रहे थे।
चुनाव ने किया बेड़ा गर्क, जमकर फैला कोरोना (Corona)
कोरोना वायरस ने लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया था। मगर, अधिकारी हैं तो एक ही जान दो मोर्चों पर कैसे लड़ते इसलिए शायद तय कर लिया गया कि 15 के बाद देखेंगे। तब तक हजारों की संख्या में मरीज सामने आने लगे। चुनाव बाद बहुत देर हो चुकी थी। अब मीटिंग हो रही हैं, सख्त दिशा-निर्देश जारी हो रहे हैं। ख़बरें छप रही हैं। लेकिन, जमीन पर तो कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा।
सच्चाई तो यह है कि आज भी बेड नहीं हैं, ऑक्सीजन नहीं है, रेमेडिसिविर नहीं है। पिछले साल जो विशालकाय हॉस्पिटल क्वारंटाइन का केंद्र बना हुआ था। इस साल वो भी चुनावों में बिजी था। लोग मरीजों को लेकर भटक रहे हैं। हमें भी फोन कर रहे हैं। हे सरकार, उनको क्या बोलें कि चुनाव है ? अगर तुम्हारे प्राणों की आहुति उस महाउत्सव के लिए जाती है तो खुद को शहीद मानो।
शांत रहो, खबर छपी है कि जल्द 300 बेड का अस्पताल बनेगा। हर जगह ऑक्सीजन होगी। रेमेडिसिविर सस्ता होगा और हर मेडिकल स्टोर पर मिलेगा। अभी नहीं है तो क्या हुआ ? जिन्दा तो रहो कुछ दिन उत्तर प्रदेश में, सब मिलेगा। एक बार गाँव को प्रधान, ब्लॉक को प्रमुख और जिला पंचायत को अध्यक्ष तो मिल जाने दो। फिर देखना चारों ओर सुख-शांति और स्वास्थ्य होगा।
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कोर्ट की चुप्पी समझ से बाहर है
हे कोर्ट देवता
तुम क्यों सो गए हो? आधी-आधी रात को जागकर फ़ैसले देने वाले भगवानों तुम चुप क्यों हो? इस चुनाव को करवाने की एक ज़िद तुम भी पाले हुए थे? आदेश आया था कि 15 मई तक हर हाल में चुनाव हो जाने चाहिए। अब आप देख लो नतीजा। आपके कहे अनुसार चुनाव तो हो रहे हैं लेकिन इस महामारी का क्या होगा ? क्या इस पर आपको कोई निर्देश देने का विचार नहीं आता ?
क्यों नहीं एक और आदेश आप पारित कर देते कि फिलहाल रोक दो चुनाव। ठीक वैसे ही जैसे परीक्षाएं रोकी गई हैं। पहले कोरोना (Corona) से लड़ लो, फिर चुनाव एक महीने बाद भी लड़ा जा सकता है।
खुद ही लगा लो कोरोना (Corona) लॉकडाउन
हे मनुष्य
गाँवों तक पहुँच गया है ये जानलेवा वायरस। देश के लोगों मान जाओ। खुद को लॉकडाउन (Lockdown) कर लो। सरकार से लाठियां खाकर ही लॉकडाउन होना पसंद क्यों है तुम्हें? हर गली-मोहल्ले-गाँव-बाजार-नुक्कड़ पर यही चर्चा है कि अब तो सरकार को लॉकडाउन (Lockdown) कर ही देना चाहिए।
यह किस तरीके का तर्क है। अगर आप जानते हैं कि लॉकडाउन से कोरोना संक्रमण को रोका जा सकता है तो खुद सारे काम टाल दीजिये। शादियां, तेरहवीं, शॉपिंग, रेस्त्रां में खाना, रिश्तेदारी में जाना आदि जिंदा रहने से महत्वपूर्ण काम कब से बन गए हैं।
आसान लड़ाई को मुश्किल न बनाइए
अभी भी बहुत देर नहीं हुई है। चुनाव टाल दीजिए। सत्ता न सही कोई विपक्षी दाल ही चुनाव का बहिष्कार कर दे और अपने कार्यकर्ताओं को आदेश दे कि चुनाव में जो पैसा खर्च कर रहे हो उसे जनता की सेवा में लगा दो। लोगों की जान बचाओ। अधिकारियों को सरकार सब काम छोड़कर कोरोना (Corona) से जंग करने दे। लोग अपना ख्याल रखें और खुद को कोरोना से बचाएं तो मिल जुलकर हम ये लड़ाई भी जीत ही जाएंगे।
हम आपकी बात से सहमत है
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