तृतीय अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार बुविवि में प्रारंभ, समय के अनुरूप शीर्षक है काफ़ी महत्वपूर्ण
- वेबीनार का शीर्षक आज के समय के लिए है काफी महत्वपूर्ण – प्रोफेसर सरगेइ स्वेटोव
- वेबीनार के संयोजक प्रोफेसर वी के सिंह ने किया संचालन
अंतर्राष्ट्रीय/झाँसी: प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन पर तृतीय अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी उत्तर प्रदेश; भू विज्ञान संस्थान करेलियन रिसर्च सेंटर पेट्रोजावोस्क रूस एवं राजकीय महाविद्यालय गुरुड़ाबाज अल्मोड़ा उत्तराखंड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। दो दिवसीय वेबीनार का उद्घाटन करते हुए भू विज्ञान संस्थान करेलियन रिसर्च सेंटर पेट्रोजावोस्क रूस के निदेशक प्रोफेसर सरगेइ स्वेटोव ने कहा कि वेबीनार का शीर्षक आज के समय के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्राकृतिक आपदाएं आए दिन कहीं न कहीं अक्सर आती रहती हैं तथा इस प्रकार के वेबीनार नियमित रूप से होने चाहिए जिससे आपदा के संबंध में प्रबंधन की जानकारी, सुझाव एवं निदान के उपाय खोजे जा सकें।
प्रोफेसर सरगेइ स्वेटोव एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के भू विज्ञान के प्रोफेसर वी. के. सिंह ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी एवं भूविज्ञान संस्थान पेट्रोजावोस्क (रूस) के बीच हुए शोध बिंदुओं को स्पष्ट किया। इन लोगों ने कहा कि इससे आने वाले समय में आपदा प्रबंधन की योजना बनाने में अत्यंत सहायता मिलेगी। आई.आई.टी. पटना के निदेशक प्रोफेसर टी. एन. सिंह ने हिमालय क्षेत्रों में शैल पिंडों के अस्थाईत्व के साथ उनके समुचित उपायों के बारे में जानकारी दी जिससे इन्हें कम किया जा सके। के.आर.मंगलम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सी. एस. दुबे ने भारत के प्राकृतिक आपदाओं के अध्ययन पर विस्तृत जानकारी दी। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह ने जलवायु परिवर्तन का समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चर्चा की।
करेलियन रिसर्च सेंटर पेट्रोजावोस्क रूस के प्रोफेसर वी. शेकोव ने करेलिया में खनन और औद्योगिक विरासत के प्रक्रिया में मूल सुरक्षा के बारे में बताया तथा इसी संस्थान के प्रोफेसर ऐ. ऐ. लेवेदेव ने दक्षिण-पूर्वी फेनोस्कैंडिया में खदान विस्फोट को भूकंप का मुख्य कारण बताया। डी.आर.डी.ओ. दिल्ली के सेवानिवृत्त भूवैज्ञानिक एल. के. सिन्हा ने बर्फीले तूफानों एवं उनके नियंत्रण के बारे में चर्चा की। गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वाई. पी. सुंदरियाल उत्तराखंड हिमालय में जलवायु से उत्पन्न होने वाले आपदाओं के बारे में जानकारी दी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी की डॉ. आशा लता सिंह ने बैक्टीरिया, पर्यावरण और स्वास्थ्य आपदाओं के बारे में बताई। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस. सी. भट्ट ने जीआईएस और रसल विधि का प्रयोग करके बुंदेलखंड क्षेत्र में मृदा अपक्षय के बारे में चर्चा की।
आई.आई.टी. रुड़की के डॉ. शारदा प्रसाद प्रधान ने उत्तराखंड हिमालय में भूस्खलन अनुसंधानो के बारे में जानकारी दी तथा पीयूष कुमार सिंह ने कुमायूं हिमालय के NH-09 के अनुदिश शैल स्थिरता में भौमिकीय संरचनाओं के प्रभावों की जानकारी दी। उत्तर पूर्वी अफ्रीका के प्रोफेसर नागेश्वर दुबे ने इथियोपिया के नीले नील घाटी के भूस्खलन के लिए जिम्मेदार मोटे शैल अनुक्रमो के ऊर्ध्वाधर दरारों के बारे में बताएं। इस अवसर पर वेबीनार के संयोजक राजकीय महाविद्यालय गुरुड़ाबाज अल्मोड़ा के प्राचार्य प्रोफेसर आर. ए. सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए वेबीनार की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा साथ ही पहाड़ों में रहने वाले लोगों को आपदा के पूर्व, आपदा के दौरान और आपदा के बाद बचने के लिए विभिन्न सावधानियों की जानकारी दी। वेबीनार का संचालन, संयोजक प्रोफेसर वी. के. सिंह, समन्वयक अन्तरराष्ट्रीय छात्र प्रकोष्ठ बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी के द्वारा किया गया एवं साथ ही विभिन्न प्रकार के भूस्खलनो के बारे में भी जानकारी दी।