इजरायलियों के बीच भड़का नेतन्याहू सरकार के खिलाफ गुस्सा, पहली बार इतना बड़ा आंदोलन

येरूशलम। इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों चुनौतियों से गुजर रहे हैं। एक तरफ आतंकी संगठन हमास से युद्ध में सेना मोर्चे पर है तो वहीं देश के अंदर विरोधी स्वर मजबूत हो रहे हैं। रविवार को तो येरूशलम में संसद के बाहर करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों ने आंदोलन किया। इन लोगों की मांग थी कि हमास के बंधक बने लोगों को जल्दी से छुड़ाया जाए। भले ही उससे कुछ डील ही करनी पड़े। इसके अलावा बेंजामिन नेतन्याहू सरकार को घेरते हुए जल्दी चुनाव कराने की मांग भी की गई। पीएम नेतन्याहू ने सभी बंधकों को वापस लाने का भरोसा दिया था, लेकिन अब तक इस मिशन में पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाए हैं।

इजरायली सेनाओं ने गाजा पट्टी और पश्चिमी बैंक पर जमकर हमले बोले हैं। इसके बाद भी हमास में अब तक कोई बड़ी फूट नहीं हुई है। अब तक वह अड़े रहने की बात कर रहा है। कई महीनों के युद्ध के बाद भी हमास का यह रुख इजरायल के लिए टेंशन की बात बना हुआ है। इस जंग में इजरायल के अब तक 700 सैनिक मारे जा चुके हैं। बीते कुछ सालों में इजरायल का किसी युद्ध में यह सबसे बड़ा नुकसान है। इसके चलते भी इजरायलियों के बीच नेतन्याहू सरकार के खिलाफ गुस्सा भड़क रहा है।

एक आंदोलनकारी ने तो यहां तक कहा कि यह सरकार पूरी तरह से फेल है।

हारेत्ज और वाईनेट जैसी इजरायली न्यूज साइट्स का दावा है कि करीब 10 हजार लोगों ने आंदोलन में हिस्सा लिया। ये लोग नारे लगा रहे थे कि चुनाव तुरंत होने चाहिए। 7 अक्टूबर को हमास ने जो हमला किया था, उसे लेकर पहले ही बेंजामिन नेतन्याहू सरकार लापरवाही के आरोप झेल रही है। इस हमले में 1200 लोग मारे गए थे और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया था। एक आंदोलनकारी ने तो यहां तक कहा कि यह सरकार पूरी तरह से फेल है और हमारी सुरक्षा नहीं कर पा रही है। दरअसल युद्ध के लंबे खिंचने से भी असंतोष की स्थिति है। खुद नेतन्याहू की गठबंधन सरकार में भी मतभेद पैदा हो रहे हैं।

आखिर यहूदी धार्मिक शिक्षा पाने वाले छात्रों को सेना में जाने से छूट क्यों दी गई है।

विवाद का एक विषय यह भी है कि आखिर यहूदी धार्मिक शिक्षा पाने वाले छात्रों को सेना में जाने से छूट क्यों दी गई है। इस मसले पर इजरायल में दशकों से बहस रही है और इस पर सुप्रीम कोर्ट में भी चर्चा चल रही है। अदालत ने इस मामले में सरकार को जवाब देने के लिए अब 30 अप्रैल तक का समय दिया है। खुद नेतन्याहू का कहना है कि इस मसले का हल कुछ दिनों में निकाल लिया जाएगा। वहीं चुनाव को लेकर उनका कहना है कि ऐसी जंग के बीच चुनाव कराने से देश पर असर पड़ेगा और महीनों तक हम पॉलिसी पैरालिसिस की स्थिति में आ जाएंगे। गौरतलब है कि नेतन्याहू कुछ दिनों के लिए अवकाश पर हैं क्योंकि उन्होंने हर्निया का ऑपरेशन कराया है।

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