विश्व पर्यावरण दिवस: जंगल बचेंगे तभी देश बचेगा

झाँसी : विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर परमार्थ समाज सेवी संस्थान के द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इसे सम्बोधित करते हुए भारतीय वन सेवा के पूर्व वन संरक्षक वीके मिश्रा ने कहा कि आज से 50 साल पहले गंगा में हर जगह डॉल्फिन नजर आती थी, लेकिन आज उसी नदी में डॉल्फिन लगभग खत्म होने की कगार पर हैं। हमें पर्यावरण बचाने के लिए नदियों के किनारे रिजर्व फॉरेस्ट को जिंदा करना होगा।

उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके द्वारा कासगंज में चंगनपुर घटियारी जो 4 लाख हजार पौधे लगाए गए थे, जो आज एक बहुत घने जंगल के रूप में जाना जाता है। सरकार के द्वारा इसी कासगंज मॉडल की तर्ज पर गंगा किनारे के जिलों में इसी तरह से वनों को लगाने की योजना बनाई थी।

महाराष्ट्र की वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता प्रतिभा सिद्धे ने कहा कि जो तीन कानून आए हैं उनसे पूंजीपतियों का राज शुरू हो जायेगा। इससे पर्यावरण पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ेगा। अगर पर्यावरण को संतुलित रखना है तो हमें हरित क्रांति से जोड़ना होगा। सरकार के द्वारा विकास के कार्य तो किये जाते हैं लेकिन, उनसे होने वाले विनाश को कभी नहीं देखा जाता। जो लोग वनों को अपना बाप एवं माटी को अपनी मां मानते हैं, उनको नदियों से लेकर सागर एवं मिट्टी से लेकर हवा के संरक्षण में अहम भूमिका निभानी होगी। तभी पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकता है।

वरिष्ठ पर्यावरणविद सुरेश भाई ने कहा कि हिमालय बहुत संवेदनशील है। इस सबसे बडी समस्या इसकी तेजी से पिघल रही बर्फ है। गंगा जहां से निकलती है, वह गौमुख लगभग सूख चुका है। पहाड़ पर चौड़ी सड़कें बनाई जा रही हैं। सरकार मैदानी इलाकों की नीतियों को पहाड़ पर लागू कर रही है, जिससे फायदा कम एवं नुकसान ज्यादा हो रहा है। हिमालय वनों के लिए जाना जाता रहा है। उत्तराखंड के भू-भाग के 45 प्रतिशत वन पाए जाते हैं। हिमालय से निकलने वाली नदियां 50 करोड़ लोगों को पानी देती हैं।

सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक, भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी राजा बाबू सिंह ने कहा कि अभी वह असम के चूराचांदपुर में है। वहां पर जिस तरह से लोगों के द्वारा बड़े पैमाने पर झूम खेती की जा रही है। सैकड़ों सालों से खड़े वन काटे जा रहे है, जिससे पर्यावरण का हृस हो रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए हमें स्थानीय जैव विविधता को संरक्षित करना होगा। इसके लिए हमें वोकल फॉर लोकल से जुड़ना होगा।

वरिष्ठ पत्रकार निदा रहमान ने कहा कि बक्सवाहा के जंगल को काटकर बुन्देलखण्ड को रेगिस्तान में बदलने की योजना है। बक्सवाहा के जंगलों को बचाने के लिए सभी को एक साथ आना होगा। बुन्देलखण्ड की सांसें छीनने का काम हो रहा है।

जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक संजय सिंह ने कहा लोग अभी पर्यावरण संकट को भुलाकर निजी स्वार्थो के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहे हैं। हमने कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की जिस कमी को देखा है अगर हमने पर्यावरण संरक्षण का ध्यान नहीं रखा तो हमें भी आगामी वर्षो में बिना बीमारी के कृत्रिम ऑक्सीजन के साथ जीना होगा। भारत में प्रति व्यक्ति पेड़ों की संख्या को बढ़ाना होगा।

साथ ही संस्थान के द्वारा झाँसी के पाली, परसर, मवई, विरगुवा, गढमऊ, रूद्रकरारी, मानपुर, बण्डा चमरऊआ, सहित 2 दर्जन गांवों में वृहद वृक्षारोपण का आयोजन किया। इसमें ग्रामीण जनों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया।

Kuldeep Tripathi

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