राम विश्व के कण कण में व्याप्त : हरगोविंद कुशवाहा

हिंदी सिनेमा में राम* विषय पर बीयू में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ शुभारंभ

झांसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और रुद्राणी कला ग्राम एवं शोध संस्थान, ओरछा के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी विभाग के वृन्दावन लाल वर्मा सभागार में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय कुमार सिंह की अध्यक्षता, मध्य प्रदेश शासन के सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव एवं संस्कृतिविद मनोज श्रीवास्तव के मुख्य आतिथ्य एवं दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा व फ़िल्म अभिनेता एवं बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा बुंदेला के विशिष्ट आतिथ्य में राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ।


संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी सिनेमा की शुरुआत धार्मिक फिल्मों से हुई, जिनमें अधिकतर राम और रामायण आधारित फिल्में बनी, जिन्हें देखकर समाज सुसंस्कृत और मानवीय बनता था, आज फिल्मों का स्वरूप ही बदल गया है, जिससे समाज विकृत हो रहा है। विशिष्ट अतिथि राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने कहा कि बुंदेलखंड के कण कण में राम का वास है। श्रीराम के प्रताप से यहां साहित्य, कला, संस्कृति पुष्पित और पल्लवित हो रही है। विशिष्ट अतिथि फिल्म अभिनेता राजा बुंदेला ने अपने संबोधन में बुंदेलखंड के वैभव का विस्तृत वर्णन करते हुए सिनेमा में राम की उपस्थिति को चित्रित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने कहा कि आज के समाज में राम राज्य स्थापित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को मानवीय मूल्यों आधारित चरित्र को अपनाना होगा। उदघाटन सत्र को अधिष्ठाता कला संकाय प्रो सी बी सिंह एवम निदेशक शोध प्रो एस पी सिंह ने भी संबोधित किया।


शुभारंभ सत्र में स्वागत भाषण संयोजक डॉ पुनीत बिसारिया, संचालन डॉ श्रीहरि त्रिपाठी, आभार डॉ मुन्ना तिवारी ने व्यक्त किया। संगोष्ठी में कोंच रामलीला के रावण स्वरूप संजय सिंघाल ने रावण का एकल अभिनय कर लोगों की वाही वाही प्राप्त की। इसके पूर्व ललित कला संस्थान के शिक्षक डॉ अजय कुमार गुप्ता के संयोजन में श्री राम के जीवन चरित्र पर आधारित चित्रकला प्रदर्शनी का उद्धघाटन अतिथियों द्वारा किया गया।


संगोष्ठी के द्वितीय सत्र का प्रारंभ सरस्वती वंदना के माध्यम से कवियत्री मोनिका पाण्डेय मनु ने किया वहीं अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ० पुनीत बिसारिया ने की। शोध पत्र का वाचन ब्रजलता मिश्रा, डॉ मुहम्मद नईम, डॉ योग्यता भार्गव, डॉ पूनम पाराशर, संजय सोनी, अंजली कुमारी, लखन लाल पाल, डॉ सुधा, डॉ मधु तिवारी, लक्ष्मी नारायण शर्मा, विकास तिवारी, कुमकुम गुप्ता, मंजुल भटनागर, डॉ हरिमोहन, डॉ गुण सागर विद्यार्थी, डॉ संजीव श्रीवास्तव, डॉ राजेश श्रीवास्तव, डॉ लक्ष्मीकांत चंदेल आदि के द्वारा किया गया।


संगोष्ठी के तृतीय सत्र में राम काव्य समागम का आयोजन किया गया जिसमें कवि/कवियत्रियों द्वारा भगवान राम पर आधारित अपनी मौलिक रचनाओं को प्रस्तुत किया गया। कवि सम्मेलन में पन्नालाल असर, विवेक बरसैयां गुरसरांय, सुमन मिश्रा, डॉ कुंती हरिराम, भगवान सिंह कुशवाहा, वैभव दुबे, पंकज अभिराम, अभिषेक बुंदेलखंडी, संजय सिंघाल प्रदीप पांडेय, श्याम नारायण नायक, देवेंद्र भारद्वाज, डॉ अजय दुबे, डॉ सुखराम चतुर्वेदी फौजी आदि ने अपनी अपनी रचनाएं पढ़ी। संचालन डॉ रामशंकर भारती ने तथा आभार डॉ मुहम्मद नईम ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर डॉ निधि अग्रवाल, डॉ अवनी जैन, डॉ कौशल त्रिपाठी, डॉ नवीन चंद पटेल, उमेश शुक्ला, डॉ द्युति मालिनी, डॉ अजीत कुमार सिंह, डॉ सीमा श्रीवास्तव, डॉ पुष्पेंद्र सिंह चौहान, डॉ अजय दुबे, डॉ ज्योति वर्मा, डॉ अनुपम सोनी, डॉ बृजेन्द्र बौद्ध, डॉ अनिरुद्ध गोयल, डॉ अश्वनी कुमार सिंह, डॉ बृजेश कुमार सिंह, डॉ सुनीता, डॉ शिप्रा गुप्ता, डॉ लवकुश द्विवेदी, डॉ सुरभि मुखर्जी, डॉ जय सिंह, रामकुमार, पुष्पेंद्र, कामद दीक्षित, प्रियांशु, विशाल आदि उपस्थित रहे।

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