2 वर्ष बाद हर्षोल्लास के साथ शुरू हुआ चैत्र नवरात्र पर्व

पूरे दिन माता के मंदिरों में गूंजते रहे जयकारे,स्थापित हुए कलश

झांसी। विश्व व्यापी कोरोना के कहर के बाद पूरे 2 वर्ष बीतने के उपरांत चैत्र प्रतिपदा नवसंवत्सर के साथ ही शनिवार को नवरात्रि का त्यौहार पूरे हर्षोल्लास के साथ शुरू हो गया। यह प्रकृति रूपी मां शक्ति की पूजा-आराधना और उपासना का महापर्व है। नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक रहेगी। आज नवरात्रि के प्रथम दिन सुबह से ही महानगर समेत ग्रामीण अंचल के प्रसिद्ध मां के मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा लगा रहा। दिन भर मंदिरों में जयकारे गूंजते रहे।

चैत्र नवरात्रि के पवित्र 9 दिनों में ‘मां भगवती’ के विभिन्न 9 रूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इन दिनों भक्त देवी को प्रसन्न करने के लिए उनकी भक्ति में लीन होकर उन्हें मनाने के लिए तरह तरह के उपवास व पूजा अर्चन करते हैं। मान्यता है कि, नवरात्रि में देवी की आराधना करने से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। मां के हर रूप का अपना अलग ही महत्व है। माता रानी की असीम कृपा पाने के लिए श्रद्धालु नौ दिन तक व्रत-उपवास करते हैं।

 

कोई लौंग खाकर व्रत करता है तो कोई केवल जल पीकर व्रत रखते हैं। कोई ज्वारे बोकर उनकी पूजा करते हैं। शनिवार को प्रथम दिवस मां शैलपुत्री की आराधना की गई। साथ ही कलश स्थापित करते हुए व्रत व उपासना शुरु कर दिया गया। चैत्र नवरात्र के पहले दिन ही झांसी महानगर के मंदिरो में श्रद्धालु मां की पूजा अर्चना में सुबह से ही लग गए। घंटे-घड़ियाल और शंख की गूंज के बीच माता रानी के जयकारे से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

 

सुबह ब्रम्ह मुहूर्त से ही आस्थावानों का देवी मंदिरों में पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था। महानगर के पंचकुइयां माता मंदिर,काली माता मंदिर,लहर की देवी माता मंदिर, कैमासिन माता मंदिर,मैमासिन माता मंदिर,मऊरानीपुर के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में बडी माता मंदिर ,अम्बे माता मंदिर व कटेरा के समीप जैत माता मंदिर आदि मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गयी । लोग देवी दर्शन हेतु हाथों में नारियल, चुनरी लेकर कतारबद्ध अपनी बारी का इंतजार करते दिखे।

 

नवरात्र में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा कर भक्त, सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं। माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नई ऊर्जा, नया उत्साह और सदविचार का संचार होता है। लहर की देवी मंदिर में भक्त मांं का दर्शन पाकर निहाल हो उठते हैैं। इन दिनों लोग रामचरित मानस व दुर्गासप्तशती का पाठ भी करते हैं।

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