आखिर क्यों बदले गए भाजपा के जिताऊ जिला प्रभारी ?

योगेश पटेरिया 

झांसी। विधानसभा चुनाव 2022 की रणभेरी बज चुकी है। उसके ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी ने जनपद में कई दिनों से खाक छान रहे अपने महारथी प्रभारियों का पटल परिवर्तन कर दिया है। उन्हें एक जनपद से दूसरे जनपद का प्रभारी बना दिया है। जबकि पंचायत चुनाव में उनका बेहतर प्रदर्शन बताया जा रहा था। आखिर ऐसी क्या वजह रही कि चुनाव आने के ठीक पहले प्रभारियों को बदलना जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

 

विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कहीं जाने वाली भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसके लिए उन्होंने बहुत समय पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं। लगातार बड़े नेताओं के दौरे चल रहे हैं। हाल ही में प्रदेश के कई जनपदों के प्रभारियों को इधर से उधर किया गया। पार्टी संगठन का यह कदम राजनीतिक विश्लेषकों के समझ से परे नजर आ रहा है । लोगों का कहना है कि आखिर भाजपा को क्या सूझी जो ऐन वक्त पर उन्होंने अपने दिग्गज प्रभारियों को जिले से हटाकर दूसरी जगह रख दिया।

उदाहरण के तौर पर जनपद झांसी को ही ले ले। यहां की पूर्व प्रभारी प्रदेश उपाध्यक्ष कमलावती सिंह ने पंचायत चुनाव में अप्रत्याशित जीत भाजपा को दिलवाई। प्रधानों से लेकर ब्लाक प्रमुख और निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में तक उनकी अहम भूमिका बताई गई। हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े कार्यक्रम में और उनहोने शिरकत करते हुए कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया। इस जीत का श्रेय भी उन्होंने कार्यकर्ताओं को दिया। फिर आखिर ऐसा क्या हुआ जो ऐन वक्त पर उन्हें झांसी के प्रभार से मुक्त कर दिया गया। यह चर्चा का विषय है।

 

राजनैतिक गलियारों के महारथी इसे समझ नहीं पा रहे आखिर इतने दिनों की मेहनत और बूथ लेवल तक पकड़ रखने वाले प्रभारियों को एक ही झटके में ऐन वक्त पर हटाकर भारतीय जनता पार्टी ने कोई बड़ी गलती तो नहीं कर दी। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल नए प्रभारियों ने अपने-अपने जनपद में पहुंचकर कमान संभालना शुरू कर दिया है। उसका उदाहरण बीते रोज जनपद झांसी में प्रभारी बनाए जाने के बाद पहुंचे सलिल विश्नोई का भी था।

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