प्रदीप जैन आदित्य की पहल से झांसी पहुंचे कर्नाटक में बंधक बने 70 मजदूर

धन्यवाद ज्ञापित कर बोले,बुंदेलखंड का नेता प्रदीप जैन जैसा हो, सुनाई आपबीती
झांसी। पूर्व केन्द्रीय केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने मानवीयता की मिसाल पेश करते हुए कर्नाटक में बंधक बनाए गए 70 मजदूरों व उनके बच्चों को अपने विभिन्न सम्पर्कों और प्रियजनों के सहयोग से आजाद कराया। उनके गांव सकुशल वापिसी की व्यवस्था की। उन्होंने उनके सकरार के गांव जाकर उनके परिजनों से सम्पर्क किया और ढांढस बधाई। प्रदीप जैन आदित्य ने कर्नाटक के संबंधित पुलिस अफसरों और विधायकों से फोन पर सम्पर्क साध कर वहां फंसे हुए मज़दूरों को मदद पहुंचाने के संबंध में चर्चा की और लगातार 04 दिनों तक सम्पर्क बनाये रखा जब तक सभी वहां से मुक्त नहीं हो गये।

मज़दूरों ने बताया कि यहां से ठेकेदार उनको महाराष्ट्र में काम कराने के लिए ले गया था। दो महीने तक उनसे पूना और अन्य जगहों पर महाराष्ट्र में बंधक की तरह बना कर रखा। काम कराया और मजदूरी नहीं दी। सिर्फ थोड़े पैसे दिए ताकि रोटी खाते रह सके और फिर धोखा देकर ठेकेदार कर्नाटक ले गया। जहां से उन्हें प्रदीप जैन आदित्य के प्रयासों के बाद मुक्ति मिली। मज़दूरों को सकुशल झांसी वापस लाने के लिए उन्होंने कर्नाटक क्षेत्र के परिजनों से सम्पर्क कर सभी को रेल किराया और खाने-पीने की व्यवस्था करवायी इसके अलावा सफर के दौरान भोपाल, ललितपुर और झांसी में मज़दूरों को भोजन की व्यवस्था करवायी। झांसी आने पर प्रदीप जैन आदित्य ने रेलवे स्टेशन पर सभी मज़दूरों का फूल माला पहना कर स्वागत किया और तौहफे के तौर पर कम्बल भी दिया। इसके अलावा उनको गाव तक सफर करने के लिए एक बस की भी व्यवस्था की। झांसी स्टेशन पर मज़दूरों के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती थी।

इस मौके पर प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि उनके मन में हर एक के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा है। जैसे ही मालूम हुआ कि इस क्षेत्र के लोग कर्नाटक में फॅसे हुए हैं। उन्हें लगा कि वो जो भी कर सकते हैं करेंगे और अपने लोगों को इस जुल्मों-सितम से बचा कर ही रहेंगे। उन्होंने अपने सम्पर्क सूत्रों का उपयोग करते हुए कर्नाटक में फॅसे हुए मजदूरों को आजाद करवाया। उन्होंने कहा कि हम उन सभी लोगों को धन्यवाद देते हैं। वे कर्नाटक का पुलिस विभाग और सभी सहयोग प्रदान करने वालों के दिल से आभारी हैं।

 

इस मौके पर पूर्व शहर अध्यक्ष इम्तियाज़ हुसैन, सीता राम यादव, भानु सहाय, अशोक सक्सेना, बलवान सिंह यादव, आशिया सिददीकी, अनिल रिछारिया, मज़हर अली, हबीबुर्रहमान चन्दा, अमित त्रिपाठी, पंकज मिश्रा, गौरव जैन, प्रिती, आतिफ इमरोज, भरत राय, संजीव चौरसिया, मुचकुन्द अब्दुल जाविर, अखलाक मकरानी, शफीक अहमद मुन्ना, शाहरूख मंसूरी, रशीद मंसूरी, रईस काजी, महमूद, मेवा लाल भण्डारिया, वीरेन्द्र कुमार झा, पार्वती, जीतू देवानन्द, मोण्टू,, दारा जैन, शेख मुख्तार कुरैशी, शाहिद और वसीम उपस्थित रहे।

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