बेटियां भागीदारी करें इतिहास मे होगा नाम दर्ज : महिला कल्याण अधिकारी

उरई/जालौन (अनिल शर्मा)। जिला प्रोबेशन अधिकारी डॉक्टर अमरेन्द्र कुमार के आदेशानुसार बेटी बचाओ बेटी पढाओ के अन्तर्गत बालिकाओं को सशक्तिकरण, स्वावलंबन, सुरक्षा, स्वास्थ, शिक्षा आदि के जागरुकता हेतु उरई शहर में स्थित रोज वैली पब्लिक स्कूल मे गोष्ठी का आयोजन महिला कल्याण विभाग से महिला कल्याण अधिकारी अलकमा अख्तर द्वारा किया गया।

 

महिला कल्याण अधिकारी द्वारा बालिकाओं को जानकारी देते हुये बताया गया कि सभी बालिकायें अपने ऊपर पूर्ण विश्वास रखकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये निरन्तर प्रयास करते रहे, जिससे लक्ष्य प्राप्ति होने पर आपके माता.पिता, गुरु एवं समाज आप पर गौरवान्वित करें। यह कहा कि बेटियां किसी से कम नहीं होती उन्हे भी समाज में अपनी भागीदारी करनी चाहिए। बेटियां अपनी सुरक्षा स्वंय कर सकती है, किसी की भी जरूरत नहीं है। आवश्यकता है कि वह अपनी सोई हुयी प्रतिभा व क्षमता को पहचाने जिससे वह समाज में व्याप्त कुरितियों के विरुद्व लड़ सके। जिससे इतिहास के पन्नो पर उनका नाम अंकित हो सके। बेटे और बेटियों में कोई अन्तर नही है हमारी बेटियां शासन-प्रसाशन के सभी उच्च पदो पर भागीदारी कर रही है।

 

महिला कल्याण अधिकारी द्वारा बालिकाओं का मनोबल बढ़ाया गया एवं मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की जानकारी दी गई। उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गई। महिला कल्याण अधिकारी द्वारा बालिकाओं को बताया गया की पॉक्सो एक्ट का निर्माण महिला एंव बाल विकास मंत्रालय द्वारा साल 2012 में Pocso Act -2012 के नाम से किया गया था। पॉक्सो एक्ट का फुल फॉर्म Protection of Children From Sexual Offences Act
पॉक्सो एक्ट फुल फॉर्म हिंदी में – लैगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ किसी भी प्रकार से सैक्सुअल शोषण करने वाले व्यक्ति पर इस एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है। इस कानून का निर्माण नाबालिग बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी और छेड़छाड़ के मामलों को रोकने के लिए किया गया था। इस कानून के द्वारा अलग-अलग अपराधों के लिए अलग सजा का प्रावधान है।

18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिग बालिकाएं/ बालक के शरीर के किसी भी अंग में लिंग या कोई अन्य वस्तु डालना या अन्य किसी प्रकार से गलत बर्ताव करना यौन शोषण कहलाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी नाबालिग बच्चे (Minor Child) का यौन शोषण करता है तो उस व्यक्ति पर POCSO ACT के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाती है यदि आपको संदेह है कि किसी बच्चे का यौन शोषण किया जा रहा है, तो आपको इसकी सूचना तुरंत पुलिस या चाइल्डलाइन (1098) को देनी चाहिए। आप सहायता के लिए एनसीपीसीआर या अन्य बाल संरक्षण संगठनों से भी संपर्क कर सकते हैं।

पॉक्सो एक्ट का यह अपराध एक बहुत ही गंभीर अपराध माना जाता है। जिसमें दोषी व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान होता है। जो भी व्यक्ति इस अपराध को करने का दोषी पाया जाता है। इस अधिनियम में अपराध की गंभीरता के आधार पर न्यूनतम 3 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।

कार्यक्रम में विद्यालय के प्रिंसिपल आलोक सक्सेना, अध्यापक विनोद, नंदकिशोर, योगेंद्र, अध्यापिका सबाना, अनिता एवं विधयालय समस्त स्टाप उपस्थित रहा।

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