वीर आल्हा-ऊदल की कुलदेवी कहलाती है मां बड़ी चंद्रिका

महोबा (आलोक शर्मा)। मदन सागर तालाब के किनारे ताराचंडी सिद्ध पीठ के रूप में माँ बड़ी चंद्रिका देवी का मंदिर है। माँ की प्रतिमा स्थापना चंदेल शासक नरेश चंद्र बर्मन ने खजुराहो में यज्ञ समापन कर 831 ईसवी में महोबा आकर विशाल महोत्सव का आयोजन किया। मां चंद्रिका देवी के आशीर्वाद से ही चंदेलों का विजय अभियान प्रारंभ होने की मान्यता है। इनका राज्य विस्तार लगभग 400 सालों तक चला। ऐसा बताया जाता है कि आल्हा-ऊदल पर बड़ी चंद्रिका मां की विशेष कृपा रही है।

बड़ी चंद्रिका मंदिर का इतिहास
मां चंद्रिका मंदिर की आज भी आमजन में बड़ी मान्यता है। महोबा शहर के साथ-साथ अन्य कई और जिलों से हजारों लोग मत्था टेकने परिवार के साथ लगातार माँ चंद्रिका मंदिर आते रहते हैं और माँ के चरणों में सुख समृद्धि की कामना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि मन को असीम शांति देने वाली यह अनोखी माँ की प्रतिमा दिन में कई बार रूप बदलती है और भक्तों की मन्नतों को पूरा करती है।े दुर्गा सप्तशती के अनुसार महिषासुर के प्रमुख बलशाली सेनापति चंड से देवी तारा शक्ति का उत्तराखंड में घोर संग्राम हुआ था। चंड वहाँ से भागकर महोबा आ गया, यहां भी संग्राम जारी रहा। देवी के अनुपम अस्त्रों के प्रहारों से चंड के ना मरने पर देवी को आश्चर्य हुआ, अंत मे देवी के घातक प्रहारों से दैत्य चंड कैमूर विंध्य पर्वत की ओर भागा, जहाँ देवी के हाँथो चंड का बध हुआ जिसके फलस्वरूप माँ को चंद्रिका कहा गया।

मंदिर के रूप की मान्यता
मूर्तिकारों ने देवी की 18 में से 17 अनेकांे प्रकार के आयुष धारण कराए हैं लेकिन मुखारविंद पर एक भुजा रुपायित की है। देवी को दैत्य चंड को चरणों तले दबाकर दिखाया गया है। मुखारविंद के ऊपर विशाल गज को शक्ति का प्रतीक उत्कीर्ण कर रुपायित किया गया है।

बड़ी चंद्रिका मंदिर में साल के दोनों नवरात्र पर विशाल मेला लगता है, 9 दिन भंडारे का आयोजन भी होता है। दोनों नवरात्रों के समय मां की भव्य आरती होती है, प्रतिदिन का विशेष श्रृंगार किया जाता है, वर्तमान में पूजा आदि का कार्य देख रहे चंद्रिका मंदिर के महंत बताते हैं कि 1954 में आजमगढ़ से आकर उनके पिता बलिहारी उपाध्याय ने यहां पहुंच कर मन्दिर की पूजा एवं देखरेख आदि की जिम्मेदारी संभाली थी। उसके बाद से उनके पुत्र चंद्रिका यहां पूजा पाठ करते आ रहे हैं। समय-समय पर मन्दिर में नवीनीकरण किया जाता रहा है, इस समय मंदिर प्रांगण में माँ के नौ रूपों के दर्शन रूप में प्रतिमाएं विराजमान हैं।

नवरात्र के दिनों में होती है माता रानी की विशेष आराधना
मंदिर प्रबंधन के अनुसार कॅारोना महामारी को देखते हुए इस बार भक्त जनों के लिये विशेष आदेश जारी किये गये हैं कि मंदिर आने वाले भक्त मास्क लगा कर ही मंदिर में प्रवेश कर पायेंगे। मंदिर में 9 दिनों तक लगातार दुर्गा सप्तशती पाठ, चंडी महायज्ञ, कन्या पूजन, मंत्र जाप व भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। मां बड़ी चंद्रिका की आरती सुबह 5ः30 बजे और शाम को 8ः30 बजे की जाती है।

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