झाँसी : यहाँ मुस्लिम लगाते हैं देवी माँ के जयकारे, उड़ाते हैं गुलाल
देश के सबसे बड़े रंगों के त्योहार की शुरूआत करते हैं मुस्लिम
मऊरानीपुर (योगेश पटैरिया) : बुन्देलखंड क्षेत्र के जनपद झाँसी का वीरा गांव अनूठा है। यहां होली के मौके पर हिंदू ही नहीं, मुसलमान भी देवी के जयकारे लगाकर गुलाल उड़ाते हैं और एक-दूसरे से गले मिलकर रंगों के त्योहार होली की शुरुआत करते हैं। मान्यता है कि यहां होली मनाने आने वाले भक्तों की हरसिद्धी देवी के आशीर्वाद से हर मनोरथ पूर्ण होते हैं।
तहसील मऊरानीपुर कस्बे से लगभग 12 किलोमीटर दूर है वीरा गांव। यहां हरसिद्घि देवी का मंदिर है। यह मंदिर उज्जैन से आए परिवार ने दशकों पहले बनवाया था। मंदिर में स्थापित प्रतिमा भी यही परिवार अपने साथ लेकर आए थे।
मान्यता है हर मनोकामना होती है पूरी
मान्यता है कि इस मंदिर में आकर जो भी मनौती (मुराद) मांगी जाती है, वह पूरी होती है। जिसकी मनौती पूरी होती है, वे होली के मौके पर कई किलो व क्विंटल तक गुलाल लेकर हरसिद्धि देवी के मंदिर में पहुंचते हैं। यही गुलाल बाद में उड़ाया जाता है।
मुसलमान लगाते हैं देवी के जयकारे
क्षेत्र के लोग बताते हैं कि वीरा गांव में होली का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यहां होलिका दहन से पहले ही होली का रंग चढ़ने लगता है। मगर होलिका दहन के एक दिन बाद यहां की होली सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने वाली होती है। लोगों का कहना है कि इस होली में हिंदुओं के साथ मुसलमान भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और देवी के जयकारे भी लगाते हैं। होली के मौके पर यहां का नजारा उत्सवमय होता है क्योंकि लगभग हर घर में मेहमानों का डेरा होता है, जो मनौती पूरी होने के बाद यहां आते हैं।
मुस्लिम करते हैं फाग के गाने की शुरुआत
बुंदेलखंड सांप्रदायिक सदभाव की मिसाल रहा है। यहां कभी धर्म के नाम पर विभाजन रेखाएं नहीं खिंची हैं। वीरा में होने वाला समारोह इसका जीता जागता प्रमाण है। यहां फाग (जिसे भोग की फाग कहा जाता है) के गायन की शुरुआत मुस्लिम समाज का प्रतिनिधि ही करता रहा है। उसके गायन के बाद ही गुलाल उड़ने का क्रम शुरू होता रहा है। अब सभी समाज के लोग फाग गाकर होली मनाते हैं। इसमें मुस्लिम भी शामिल होते हैं। यहाँ के लोग पुराने नहीं बल्कि नए कपड़ों को पहनकर होली खेलते हैं।
हिंदू-मुसलमान एक-दूसरे के मात्थे पर लगाते हैं तिलक
सामाजिक कार्यकर्ता इस होली को बुंदेलखंड के लोगों के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का पर्व बताते हैं। उनका कहना है कि होली ही एक ऐसा त्योहार है, जब यहां के लोग सारी दूरियों और अन्य कुरीतियों से दूर रहते हुए एक दूसरे के गालों पर गुलाल और माथे पर तिलक लगाते हैं। वीरा गांव तो इसकी जीती-जागती मिसाल है।
यहाँ की होली देती है सीख
बुंदेलखंड के वीरा गांव की होली उन लोगों के लिए भी सीख देती है, जो धर्म और जय के नाम पर देश में देशभक्त और देशद्रोह की बहस को जन्म दे रहे हैं। अगर देश का हर गांव और शहर वीरा जैसा हो जाए, तो विकास और तरक्की की नई परिभाषाएं गढ़ने से कोई रोक नहीं सकेगा।